निकाय चुनाव: धर्मनगरी की सीट गंवाना भाजपा को बड़ा झटका
धर्मनगरी हरिद्वार के महापौर का पद गंवाने से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सुकून ये है कि निकाय प्रमुखों के ओवरऑल नतीजों को लेकर भाजपा भले आगे है।
By Edited By: Updated: Thu, 22 Nov 2018 12:05 PM (IST)
केदार दत्त, देहरादून। देवभूमि में छोटी सरकार यानी नगर निकायों के लिए हुई जंग में निकाय प्रमुखों के ओवरऑल नतीजों को लेकर भाजपा भले ही सुकून में हो, लेकिन धर्मनगरी हरिद्वार के महापौर का पद गंवाने से उसे बड़ा झटका लगा है। धर्मनगरी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लिहाज से अहम है और सालभर दिग्गज यहां जुटते हैं। यही नहीं, हरिद्वार आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं का सीधा संपर्क महापौर से होता है। और तो और, 2021 में होने वाले कुंभ की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।
सियासी गलियारों में अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के हरिद्वार सीट से चुनाव लड़ने की भी चर्चाएं हैं। इस सबको देखते हुए हरिद्वार के प्रथम नागरिक का पद विपक्ष की झोली में चले जाने से भाजपा खुद को असहज महसूस कर रही है। धार्मिक नजरिये से हरिद्वार का महत्व मथुरा और अयोध्या से कम नहीं है। गंगाद्वार में सालभर ही विभिन्न पर्वों और अवसरों पर गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु व सैलानी आते हैं। जाहिर है कि इनका सीधा संपर्क वहां के प्रथम नागरिक से होता है।
हरिद्वार में वर्षभर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम होते रहते हैं, जिनमें सियासत के साथ ही देश-विदेश से तमाम हस्तियां जुटती हैं। यही नहीं, पिछले कुछ समय से सियासी गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरिद्वार से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर अभी तक किसी स्तर से पुष्टि नहीं है, लेकिन जिस तरह से भाजपा के दिग्गज हरिद्वार को लेकर रुचि दिखाते आ रहे हैं, उससे इस संभावना को बल मिलता है।
इस सबके मद्देनजर हरिद्वार के महापौर पद को अपने पास बरकरार रखने के लिए भाजपा पूरा जोर लगाए हुए थी। फिर यह सीट सीधे तौर पर शहरी विकास मंत्री एवं सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक की प्रतिष्ठा से जुड़ी थी, जो विधानसभा में हरिद्वार का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। हरिद्वार के महापौर की कुर्सी अपने पास बरकरार रखने को लेकर पार्टी आश्वस्त भी दिख रही थी, लेकिन चुनाव के नतीजों से भाजपा को सबसे बड़ा झटका लगा है।
हालांकि, हार के कारणों की पार्टी समीक्षा में जुट गई है, लेकिन महापौर का पद गंवाने से बेचैनी भी कम नहीं है। पार्टी की चिंता यह है कि धर्मनगरी में सरकारी स्तर पर होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में अब प्रोटोकाल के तहत उसे हरिद्वार के प्रथम नागरिक को शामिल करना होगा और यह पद विपक्ष के पास है। साथ ही, 2021 में होने वाले कुंभ की तैयारियों के लिए कसरत भी प्रारंभ हो गई है।
आने वाले दिनों में पूरा फोकस इसी पर रहने वाला है। उस पर शहरी विकास मंत्री और महापौर के अलग-अलग पार्टियों से होने के कारण इनके मध्य छत्तीस का आंकड़ा होने से दिक्कतें बढ़ेंगी। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी मेट्रो परियोजना भी जल्द ही हरिद्वार से आकार लेगी। सूरतेहाल, हरिद्वार में विकास कार्यों का श्रेय लेने को लेकर होड़ मच सकती है। इन सब परिस्थितियों के चलते पार्टी खुद को अहसज भी महसूस कर रही है।
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