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कांग्रेस के दांव से गड़बड़ाए भाजपा के संतुलन के समीकरण

सूबे में पांच साल बाद सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की कमान गणेश गोदियाल को सौंप कर जो पैंतरा चला उसने भाजपा के क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के समीकरणों को गड़बड़ा दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:05 AM (IST)
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कांग्रेस के दांव से भाजपा के संतुलन के समीकरण गड़बड़ा गए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सूबे में पांच साल बाद सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की कमान गणेश गोदियाल को सौंप कर जो पैंतरा चला, उसने भाजपा के क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के समीकरणों को गड़बड़ा दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट बैंक की अहमियत को देखते हुए यह कदम उठाया, जो अब भाजपा के लिए दुविधा की वजह बनता दिख रहा है। राजनीतिक गलियारों में अब इस चर्चा ने जन्म ले लिया है कि भाजपा निकट भविष्य में कांग्रेस के इस रणनीतिक दांव के जवाब में संगठन में बदलाव जैसा कोई निर्णय ले सकती है।

मार्च में हुआ था नेतृत्व में बदलाव

उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस, दोनों अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। अमूमन ये दोनों ही दल गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के बीच क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए नेता विधायक दल एक मंडल से बनाते हैं और संगठन का मुखिया दूसरे मंडल से। यही फार्मूला ब्राह्मण व राजपूत वर्ग के मध्य जातीय संतुलन के लिए भी अपनाया जाता है। भाजपा नेतृत्व ने गत मार्च में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को बदल कर सबको चौंका दिया था। त्रिवेंद्र की जगह पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे तीरथ सिंह रावत को सरकार की कमान सौंपी गई। संगठन का नेतृत्व त्रिवेंद्र कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य रहे मदन कौशिक को दिया गया, जबकि बंशीधर भगत को तीरथ सरकार में मंत्री बना दिया गया।

कांग्रेस को घेरने का भाजपा का दांव

तीरथ को चार महीने का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद से हटना पड़ा और इसी महीने की शुरुआत में पुष्कर सिंह धामी नए मुख्यमंत्री बन गए। युवा चेहरे को सरकार की कमान सौंपकर भाजपा ने कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की घेराबंदी भी कर डाली, यानी एक तीर से दो निशाने साधे। दरअसल, मूल रूप से पिथौरागढ़ के पुष्कर सिंह धामी राजपूत हैं और ऊधम सिंह नगर जिले की खटीमा सीट से विधायक हैं। यानी, धामी के रूप में कुमाऊं मंडल और तराई, दोनों को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने कांग्रेस, खास तौर पर हरीश रावत के लिए तगड़ी चुनौती पेश कर दी। इससे कांग्रेस की चुनावी रणनीति गड़बड़ाने का अंदेशा पैदा हो गया।

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बदलाव समेत अन्य विकल्पों पर मंथन

कांग्रेस ने भाजपा की इस रणनीति का जवाब प्रदेश संगठन का जिम्मा गढ़वाल के ब्राह्मण नेता व पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को सौंपकर दिया। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी ब्राह्मण हैं और हरिद्वार से विधायक हैं। भाजपा के समक्ष यक्षप्रश्न यह आ खड़ा हुआ है कि क्या कौशिक राज्य, विशेषकर गढ़वाल मंडल में उतने प्रभावी साबित होंगे, जितना कांग्रेस के गणेश गोदियाल। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से पार्टी इस दृष्टिकोण से गहराई से मंथन में जुटी हुई है। इसी क्रम में संगठन में बदलाव के विकल्प पर भी विचार चल रहा है।

चर्चा में निशंक और महेंद्र भट्ट के नाम

सूत्रों का कहना है कि अगर संगठन में बदलाव की नौबत आती है तो गढ़वाल से किसी ब्राह्मण नेता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। राजनीतिक गलियारों में इसके लिए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ ही बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट के नाम चर्चा में बताए जा रहे हैं। निशंक गढ़वाल से हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि अभी वह हरिद्वार संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसके अलावा वह राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। महेंद्र भट्ट युवा हैं और उन्हें संगठन का अनुभव है। बदरीनाथ से विधायक होने के नाते वह देवस्थानम बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कांग्रेस के गणेश गोदियाल बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। यह तय माना जा रहा है कि उनके जरिये कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड मामले में भाजपा सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगी।

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