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उत्तराखंड के 12 कोविड अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज, 27 मई तक 15 हजार डोज मिलने की उम्मीद

Uttarakhand Black Fungus उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सरकार इसे महामारी घोषित कर चुकी है। इन सबके बीच इस बीमारी के इलाज के लिए 12 जिला कोविड अस्पतालों को अधिकृत किया गया है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 25 May 2021 10:40 PM (IST)
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ब्लैक फंगस के इलाज को 12 जिला कोविड अस्पताल अधिकृत, आदेश जारी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Black Fungus उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 12 डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों को इसके इलाज को अधिकृत किया है। मकसद यह कि इन अस्पतालों में इस बीमारी के मरीजों का सही प्रकार इलाज हो सके और यहां दवा वितरण का कार्य नियंत्रण के साथ किया जा सके। साफ किया गया है कि जो डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं हैं, उन्हें सरकार सहयोग नहीं करेगी। 27 मई तक प्रदेश को ब्लैक फंगस की दवा एंफोटेरेसिन-बी की 15 हजार डोज मिलने की उम्मीद है। इससे दवा की कमी दूर हो जाएगी। 

मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए सचिव स्वास्थ्य डा. पकंज कुमार पांडेय ने बताया कि प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसका एक कारण यह है कि एम्स ऋषिकेश में पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के मरीज भी इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं। सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि ब्लैक फंगस के उपचार में एंफोरटेरेसिन-बी का अहम रोल है। यह दवा दो तरह की है। इसमें एक एंफोरटेरेसिन-बी, लाइपोसोमल है जो ज्यादा असरकारक है। दूसरी साधारण एंफोरटेरेसिन है। प्रदेश को कोटे के हिसाब से 170 लाइपोसोमल मिली थी।

इनमें से 90 का उपयोग किया जा चुका है। शेष विभाग के पास हैं। इसके अलावा 430 साधारण एंफोरटेरेसिन केंद्र से प्राप्त हुई थी, इनमें से 261 का उपयोग किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि साधारण एंफोरटेरेसिन-बी का उत्पादन रुद्रपुर की एक कंपनी में शुरू हो चुका है। यहां से 15 हजार डोज 15 मई को मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा इस कंपनी को सात हजार और डोज का आर्डर दिया गया है। केंद्र से लाइपोसोमल की और मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा टोसलीजुमैब अब तकरीबन समाप्त हो चुकी है। इसके लिए केंद्र से 100 डोज की ओर मांग की गई है। 

एक अन्य सवाल के जवाब में सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि जिस तरह कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर सिर्फ बच्चों को प्रभावित करेगी, तो ऐसा नहीं है। यह इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि तब तक 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लोगों में से अधिकांश के पूरी तरह वैक्सीन हो चुके होंगे। 18 से 44 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन चल रहा है। 18 साल से कम आयु वर्ग वाले बच्चों के लिए अभी वैक्सीन नहीं है। इसलिए यह आशंका जताई जा रही है कि उन पर इसका सबसे अधिक असर होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है।

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