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बिना ट्रांसपोर्ट दुकानों तक नहीं पहुंच रही किताबें, अभिभावक परेशान Dehradun News

जिला प्रशासन ने दून में किताबों की दुकान खोलने की इजाजत तो दे दी है लेकिन अभिभावकों को यहां से कई किताबों के बगैर ही लौटना पड़ रहा है। ऐसा मालवाहन वाहनों के न आने से हो रहा है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Sat, 02 May 2020 11:47 AM (IST)
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बिना ट्रांसपोर्ट दुकानों तक नहीं पहुंच रही किताबें, अभिभावक परेशान Dehradun News
देहरादून, जेएनएन। जिला प्रशासन ने दून में किताबों की दुकान खोलने की इजाजत तो दे दी है, लेकिन अभिभावकों को यहां से कई किताबों के बगैर ही लौटना पड़ रहा है। वजह यह कि मालवाहक वाहनों के फंसे होने के कारण प्रदेश में बाहरी राज्यों से किताबें पहुंच ही नहीं पा रहीं। जिस कारण दुकानों में पूरी किताबें उपलब्ध नहीं हैं।

प्रदेश में एनसीईआरटी के अलावा आइसीएसई, सिविल सेवा, एसएससी, मेडिकल, इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं आदि की किताबें दिल्ली, आगरा व मेरठ से सप्लाई होती हैं। इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों में इस्तेमाल होने वाली रेफरेंस किताबें भी यहीं से आती हैं। 

हालांकि, एनसीईआरटी की किताबें हल्द्वानी में भी छपती हैं। लेकिन, कुछ दुकानदारों के पास ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होने के चलते ये किताबें भी दून नहीं पहुंच पा रहीं। किताबों की खेप अलग-अलग स्थानों पर अटकी हुई है। हालांकि, आइसीएसई और आइएससी के ज्यादातर छात्र-छात्राओं को उनके स्कूल लॉकडाउन से पहले ही किताबें दे चुके हैं। 

स्थानीय स्तर पर भी पुलिस-प्रशासन ने किताब विक्रेताओं को अब तक क्षेत्रीय सप्लायरों से किताबें लाने के लिए पास जारी नहीं किए हैं। इंदर बुक डिपो के मालिक इंदर ने बताया कि दिल्ली, आगरा और मेरठ तीनों जगह किताबों की बड़ी खेप अटकी हुई है। स्थानीय स्तर पर भी ट्रांसपोर्ट सुविधा न होने के कारण दुकानों तक किताबों की खेप नहीं पहुंच पा रही। 

ज्यादातर अभिभावक घर पर ही मंगा रहे किताबें

किताबों की दुकान खोले जाने के दूसरे दिन भी देहरादून में किताबों की दुकानों पर खास भीड़ देखने को नहीं मिली। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सुरक्षा के मद्देनजर ज्यादातर अभिभावक होम डिलीवरी के माध्यम से किताबें घर पर ही मंगा रहे हैं। 

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डिस्पेंसरी रोड स्थित नेशनल बुक डिपो के मालिक सुधीर कुमार जैन ने बताया कि वह पिछले छह दिन से हर रोज करीब 10 लोगों को किताबें होम डिलीवरी कर रहे हैं। लेकिन, यह काम अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि, घर तक किताबें पहुंचाने के लिए न तो डिलीवरी ब्वॉय मिल रहे हैं और न ही हर क्षेत्र में होम डिलीवरी की जा सकती है।

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