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शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल और चित्रेश बिष्ट को एक ही 'पाठशाला' से मिली देशभक्ति की सीख

शहीद मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट और मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी से ग्रहण की थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 18 Feb 2019 11:08 PM (IST)
शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल और चित्रेश बिष्ट को एक ही 'पाठशाला' से मिली देशभक्ति की सीख
देहरादून, जेएनएन। मेजर चित्रेश बिष्ट के बाद अब दून शहर मेजर विभूति ढौंडियाल को अंतिम विदाई देने का दारुण दुख उठा रहा है। इसे संयोग कहें या नियति, देश की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले यह दोनों जांबाज एक ही स्कूल से पढ़े हैं। अपने पूर्व छात्रों की शहादत पर स्कूल परिवार शोकाकुल है, मगर साथ ही उन्हें इस बात पर फख्र है कि उनके छात्र देश के काम आए। कोई भी आदर्श शिक्षा यही सीख देती है।

सैन्य बहुल उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही वीर भूमि भी कहा गया है। यहां के युवाओं में देशभक्ति का जज्बा और सैन्य वर्दी की ललक साफ दिखती है। भारतीय सैन्य अकादमी जैसे संस्थान तो उनकी प्रेरणा बन ही रहे हैं, कुछ स्कूल भी भावी पीढ़ी में इस जज्बे की नींव डाल रहे हैं। यहां हम बात कर रहे हैं देहरादून के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी की।

शहीद मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट और मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा इसी स्कूल से ग्रहण की। मेजर चित्रेश ने वर्ष 2005 में बारहवीं पास की, जबकि मेजर विभूति ने यहां दसवीं तक की पढ़ाई की। उन्होंने वर्ष 2000 में दसवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने 12वीं की परीक्षा पाइनहॉल स्कूल से पास की। इन दोनों जांबाजों ने देश की खातिर अपने प्राणों की आहूति देकर न केवल देश व प्रदेश, बल्कि स्कूल को भी गौरान्वित किया है।

कश्मीर में 52 ऑपरेशन का सफल नेतृत्व कर चुके भारतीय शेर मेजर रोहित शुक्ला भी इसी स्कूल से पढ़े हैं। उन्हें सेना मेडल के साथ ही शौर्य चक्र से भी अलंकृत किया जा चुका है। इसके अलावा स्कूल के कई भूतपूर्व छात्र सैन्य सेवा में ऊंचे ओहदे तक पहुंचे हैं। पूर्व एयर चीफ मार्शल एसके सरीन, उप सेना प्रमुख ले जनरल एमएमएस राय, एयर मार्शल राजीव दयाल माथुर, वाइस एडमिरल विनय बधवार समेत कई नाम न सिर्फ स्कूल का गौरव हैं, बल्कि भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी।

सेंट जोजफ्स एल्युमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष रणधीर अरोड़ा व पूर्व अध्यक्ष प्रवीण चंढोक का कहना है कि स्कूल परिवार इन शहादत से शोकाकुल और साथ ही गौरान्वित भी है। वहीं प्रधानाचार्य ब्रदर बाबू वर्गीस ने कहा कि युवा इन जांबाजों से सीख लें। देश सबसे पहले है। मेजर चित्रेश और मेजर विभूति के प्रति हम सभी कृतज्ञता का भाव रखते हैं।

दादी को तब बताया, जब पार्थिव शरीर घर लाने की तैयारी हो गई

परिजनों ने विभूति की शहादत की जानकारी देर शाम तक उनकी दादी और मां सरोज ढौंडियाल को दी, जब यह तय हो गया कि पार्थिव शरीर को रात में ही घर लाया जाना है। हालांकि पहले से बीमार मां अपने लाल की शहादत की खबर पाकर मूर्छित अवस्था में चली गई। जब होश आया तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ यही स्थिति उनकी दादी की भी थी।

जुबां पर था मेजर विभूति का मिलनसार स्वभाव

पूरे दिन लोग ढौंडियाल परिवार के घर के पास जमा रहे और इस दौरान सभी की जुबां पर शहीद मेजर विभूति शंकर के मिलनसार स्वभाव की बातें थीं। ढौंडियाल परिवार के पड़ोसी व रिटायर्ड रक्षा वैज्ञानिक यूपीएस असवाल ने बताया कि जब भी विवेक शंकर घर आते थे तो आसपास के सभी लोगों से मुलाकात करते थे।

शहीद मेजर विभूति का प्रोफाइल

  • शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल
  • यूनिट: 55-आरआर (ग्रेडेनियर्स/ पीयू-ईएमई)
  • डेट ऑफ कमीशन: 17 सितंबर 2011
  • जन्म: 19 फरवरी 1985
  • माता: सरोज ढौंडियाल
  • पिता: स्व. ओपी ढौंडियाल
  • विवाह: 19 अप्रैल 2018
  • पत्नी: निकिता कौल
  • पता: डंगवाल मार्ग, देहरादून
  • शिक्षा: 10वीं सेंट जोजफ्स एकेडमी, 12वीं पाइनहॉल व स्नातक डीएवी पीजी कॉलेज

शहीद चित्रेश का प्रोफाइल

  • नाम-चित्रेश बिष्ट
  • पिता-रिटायर्ड इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट
  • माता-रेखा बिष्ट
  • वर्तमान पता-नेहरू कॉलोनी, देहरादून
  • मूल गांव-पिपली, रानीखेत अल्मोड़ा
  • भाई- नीरज बिष्ट, यूके में है सेटल
  • स्कूली शिक्षा: 2006 में देहरादून के सेंट जोजेफ्स एकेडमी से 12वीं पास।
  • उच्च शिक्षा: सीएमए पुणो से इंजीनियरिंग और आइएमए देहरादून से जून-2010 में पासआउट।
  • नियुक्ति: सेना में इंजीनियर कोर में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए और वर्तमान में मेजर थे।
  • वैवाहिक स्थिति: अविवाहित थे, 18 दिन बाद सात मार्च को होना था विवाह।
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