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विधानसभा में ये दो विधेयक हुए पेश, जानिए सदन की खास बातें

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे के बीच दस फीसद आरक्षण और हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक सदन में पेश कर दिए गए।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 13 Feb 2019 09:22 AM (IST)
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विधानसभा में ये दो विधेयक हुए पेश, जानिए सदन की खास बातें
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे के बीच दस फीसद आरक्षण और  हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक सदन में पेश कर दिए गए। जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस ने दूसरे दिन भी सदन का बहिष्कार किया। 

आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो के लिए दस फीसद आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश सत्र के दूसरे दिन सरकार ने विधानसभा पटल पर रखा। सरकार ने गत पांच फरवरी को यह अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश में लाभार्थियों की पात्रता और इसे लागू न करने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का व्यक्ति योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य वर्ग के साथ चयनित होता है तो उसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाएगा। 

सदन में संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण) अध्यादेश सदन में पेश किया। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी सेवाओं में राज्य के उन स्थायी निवासियों को आरक्षण मिलेगा, जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण की मौजूदा योजना में शामिल नहीं हैं। 

यह आरक्षण ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के व्यक्तियों पर लागू होगा, जिनके परिवारों की सभी स्रोत से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होगी। इस स्रोतों में कृषि, व्यवस्था व पेशा आदि से प्राप्त आय सम्मिलित होगी। आय का आधार लाभार्थी द्वारा आवेदन के वर्ष के पूर्व वित्तीय वर्ष की आय को बनाया जाएगा। 

हालांकि, जिन लोगों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक जमीन, एक हजार वर्ग फुट या उससे अधिक स्थान पर बना भवन, अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड और अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे अधिक का भूखंड होगा, वे इसके दायरे में नहीं आएंगे। 

अध्यादेश में आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णो को आरक्षण देने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसका उल्लंघन करने अथवा इसे विफल करने के आशय से काम करने वाले दोषसिद्ध अधिकारी को तीन माह तक का कारावास व बीस हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। 

इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह अध्यादेश वहां लागू नहीं होगा, जहां चयन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। यानी, जहां लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार हो चुका है।

हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक सदन में पेश

राज्य को शिक्षा हब के रूप में विकसित करने और शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने सदन में हिमालयीय विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पेश किया। विधेयक में कहा गया है कि इसका उद्देश्य शिक्षा में अभिनव प्रयोग, अध्यापन और ज्ञानोपार्जन की नवीन पद्धति को लागू करना, सामाजिक व आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को शिक्षा प्रदान करना तथा रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराना है। 

स्ववित्त पोषित इस विश्वविद्यालय में आयुष शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक अध्ययन व शोध कार्य, आयुष, तकनीकी, प्रबंधकीय, मेडिकल, विज्ञान, मानविकी, हिमालयीय अध्ययन, शिक्षा व पत्रकारिता के क्षेत्र में अध्ययन व अध्यापन का कार्य कराया जाएगा। विधेयक में विश्वविद्यालय की शक्तियों व इसके ढांचे का पूर्ण विवरण दिया गया है।

सदन के बाहर कांग्रेस विधायकों का धरना

हरिद्वार जिले में हुए जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस सदन से लेकर बाहर तक आक्रामक रही। सदन से वाकआउट करने के बाद कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए आए और फिर परिसर में सीढि़यों पर धरना दिया। वे हाथों में सरकार के इस्तीफे की मांग से संबंधित तख्तियां भी लिए थे। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि जहरीली शराब प्रकरण में जिन लोगों की मौत हुई, उनमें अधिकांश अनुसूचित जाति से हैं। उनकी अब तक कोई मदद सरकार ने नहीं की है। 

बाद में पत्रकारों से बातचीत में विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इस प्रकरण में केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री छोटी-छोटी घटनाओं पर ट्वीट करते रहे हैं, मगर जहरीली शराब प्रकरण में उनकी ओर से संवेदना के दो शब्द तक नहीं कहे गए। 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का घेराव करने के लिए सभी कांग्रेस विधायक ऊधमसिंहनगर जाएंगे। इस मौके पर पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, विधायक मनोज रावत आदि मौजूद थे। 

अभिभाषण में सिर्फ जुमलेबाजी 

एक सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार का कोई विजन नहीं दिखा। इसमें सिर्फ जुमलेबाजी है। किसानों, बेरोजगारों के लिहाज से इसमें कोई रोडमैप नहीं है। प्रदेश सरकार भी मोदी की तर्ज पर चल रही है कि किसी प्रकार 2019 में बेड़ा पार हो जाए। 

सदन में उठाएंगे किसानों की मांग 

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के विस के समक्ष प्रस्तावित धरने के संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि रावत सदन के बाहर और विधायक सदन के भीतर गन्ना किसानों के भुगतान का मसला नियम 310 में उठाएंगे। अगर, यह स्वीकार नहीं हुआ तो सभी विधायक रावत के साथ धरने में शामिल होंगे। 

पैसा तो भिजवा दीजिए, ताकि गरीबों के घर चूल्हा जले 

नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने विस परिसर में पत्रकारों से बातचीत में जहरीली शराब प्रकरण पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पीडि़त परिवार बेहद गरीब हैं और उनके घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा। उन्हें आर्थिक इमदाद तुरंत मिलनी चाहिए, मगर सरकार पर दबाव बनाने के बावजूद इस बारे में कोई आश्वासन नहीं मिला। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह पीड़ित परिवारों को कम से कम पैसा तो भिजवा दे।

जब सदन में उलझे बत्रा और माहरा

जहरीली शराब प्रकरण को नियम 310 की ग्राह्यता को लेकर सदन में हो रही चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा और रुड़की के भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा उलझ गए। माहरा जब अपनी बात रख रहे थे, तब उन्होंने जिक्र किया कि सरकार का कोई नुमाइंदा पीड़ितों का हालचाल जानने तक नहीं पहुंचा। 

इस पर विधायक बत्रा ने कहा कि वह सबसे पहले वहां पहुंचे थे और पीड़ितों को अस्पताल लाने में मदद की। इसी बात पर दोनों में बहस हुई। बाद में माहरा ये भी टिप्पणी की कि अब उन्हें सत्ता पक्ष के विधायक बोलने नहीं दे रहे और पिछली बार उन्हें सदन में आने से रोका गया था।

जब आबकारी मंत्री पंत हुए विचलित

हरिद्वार में जहरीली शराब के सेवन से हुई मौतों से संसदीय कार्य व आबकारी मंत्री प्रकाश पंत खासे विचलित हुए। सदन में सरकार की ओर से जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात कर चुके थे। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से किस संबंध में बात की थी। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि संभवतया उन्होंने आबकारी मंत्री के पद से इस्तीफे की पेशकश की। 

हालांकि, स्वयं पंत ने इस तरह की किसी पेशकश से इन्कार किया। सदन में विपक्ष के विधायकों द्वारा जब जहरीली शराब प्रकरण में पीड़ितों के हाल का जिक्र किया जा रहा था, उस समय सदन पूरा शांत था। विपक्षी विधायकों द्वारा हर बार आबकारी मंत्री को निशाने पर रखते हुए उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा जा रहा था। 

एक बार स्थिति यह बनी कि संसदीय कार्यमंत्री उठ कर बाहर गए और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह व डीजीपी अनिल रतूड़ी समेत अन्य अधिकारियों से भी चर्चा की। कुछ देर बाद सभी सदन में वापस गए। 

सूत्रों की मानें तो इस दौरान भी संसदीय कार्यमंत्री ने पद छोड़ने के संबंध में चर्चा की। अपने संबोधन में संसदीय कार्य मंत्री ने जहरीली शराब प्रकरण मामले में मृतक व उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और कहा कि वह इतने विचलित हो गए थे कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी बात की थी। हालांकि, बाद में मीडिया कर्मियों द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की बात को सिरे से नकार दिया।

विधायकों ने एक सुर में सराही आयुष्मान योजना

सत्तारूढ़ दल भाजपा के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों के विधायकों ने आयुष्मान भारत और अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को सराहते हुए इसे आम जनता खासकर गरीबों के लिए बेहद उपयोगी करार दिया। विधानसभा में भोजनावकाश के बाद राज्यपाल अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल सत्तापक्ष के विधायकों ने सरकार के फैसलों को खूब सराहा। 

वहीं एकमात्र विपक्षी विधायक निर्दलीय प्रीतम पंवार ने सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों और जनभावनाओं से जुड़े गैरसैंण मुद्दे की अनदेखी का आरोप लगाया। राज्यपाल अभिभाषण पर भाजपा विधायक विनोद कंडारी धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों की गैर मौजूदगी में राज्यपाल अभिभाषण पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऑनलाइन प्रक्रिया से आम जनता समेत तमाम वर्गो को फायदा मिल रहा है। 

केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना से गरीबों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। राज्य सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर राज्य के प्रत्येक परिवार को जोड़कर बड़ा कदम उठाया है। खेल महाकुंभ के जरिये गांव की बेटियां भी स्कूटी चला रही हैं। बीते वर्ष में उठाए गए सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे राज्य के चहुंमुखी विकास की नई उम्मीदें बंधी हैं। 

विधायक बलवंत भौर्यांल ने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है। अटल आयुष्मान योजना से गरीबों को अब इलाज की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। विधायक चंदन रामदास ने रिंगाल व रामबांस से उत्पादित वस्तुओं पर कर की दर कम करने और गुड़ पर कर को माफ किए जाने को राज्य हित में बढि़या कदम करार दिया। 

विधायक ने अटल आयुष्मान योजना को सार्थक बताते हुए हल्द्वानी में विवेकानंद अस्पताल को भी इस योजना में शामिल किए जाने और एपीएल के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में चीनी और चावल का कोटा बढ़ाने का सुझाव दिया। विधायक धन सिंह नेगी ने कहा कि सौभाग्य योजना ने दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। 

रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि पंडित दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना ने दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों तक बिजली और बिजली के तार पहुंचा दिए। इससे पहले दुर्गम क्षेत्रों में गिने-चुने घरों में बिजली पहुंचने को तकरीबन नामुमकिन माना जाता रहा है। अब तस्वीर बदली है। 

यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूड़ी ने कहा कि आयुष्मान योजना का सबसे अधिक फायदा हर वर्ग की महिलाओं को मिलना है। इलाज महंगा होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपनी बीमारी को छिपाने को मजबूर रहती हैं। उन्होंने टेली रेडियोलॉजी और टेली कार्डियोलॉजी के प्रयासों को सराहा। उन्होंने प्रदेश में एनसीइआरटी की किताबों को लगाने के फैसले को आम जनता के हित में बड़ा कदम बताया। 

सल्ट विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने जीएसटी में व्यापारियों की दिक्कतें दूर करने को उठाए गए कदमों के साथ ही जीएसटी मित्रों की तैनाती का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं की पहुंच बढ़ी है। पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने भी आयुष्मान योजना को गरीब और आम आदमी के हित में बताया। उन्होंने ढोल वादकों के उत्थान को किए जा रहे प्रयासों को सराहा। 

विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि आयुष्मान योजना में गोल्डन कार्ड तेजी से बनाए जा रहे हैं। अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्षी बैंच पर एकमात्र विधायक प्रीतम पंवार नजर आए। चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि अभिभाषण में संशोधन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। सरकार ने गैरसैंण के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी है। यह गंभीर मामला है। भाजपा सरकार दो साल गुजरने पर भी अपना रुख साफ नहीं कर रही है। राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण नहीं हो रहा है। सौंग नदी पर बांध के प्रस्ताव पर ठोस कार्ययोजना नदारद है। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है।

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