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Dehradun में हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर बिल्डर ने की 19 करोड़ की धोखाधड़ी, अपने ही पार्टनर को बनाया शिकार

Dehradun Crime दिल्ली निवासी बिल्डर ने वहीं रहने वाले अपने पार्टनर के साथ देहरादून में हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू करने के नाम पर 19 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। बिल्डर ने ऐसी कंपनी के खातों में धनराशि डलवाई जो निष्क्रिय थी। आरोपित ने कंपनी बालाजी डेवलपवेल के साथ धोखाधड़ी कर बिना अनुमति करोड़ों रुपये अन्य कंपनियों में लगा दिए। मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

By Soban singh Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 12 Jul 2024 08:48 AM (IST)
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Dehradun Crime: हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर पार्टनर से 19 करोड़ की धोखाधड़ी
जागरण संवाददाता, देहरादून। Dehradun Crime: दून में हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी सामने आई है। दिल्ली निवासी बिल्डर ने वहीं रहने वाले अपने पार्टनर के साथ देहरादून में हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू करने के नाम पर 19 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। बिल्डर ने धोखाधड़ी करने के लिए दिल्ली निवासी अपने भाई व देहरादून के सहस्रधारा रोड निवासी व्यक्ति को अपने साथ मिलाया।

बिल्डर ने ऐसी कंपनी के खातों में धनराशि डलवाई, जो निष्क्रिय थी। एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, अपर मुख्य न्यायिक न्यायाधीश के आदेश पर विवेक विहार दिल्ली व वर्तमान में दून ट्रफलगर अपार्टमेंट, राजपुर रोड निवासी बिल्डर जितेंद्र खरबंदा, किरसाली सहस्रधारा रोड निवासी अजय पुंडीर और विवेक विहार दिल्ली निवासी अजय खरबंदा के खिलाफ धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

अदालत में दिए प्रार्थनापत्र में विवेक विहार, दिल्ली निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि उनके परिचित जितेंद्र खरबंदा ने उन्हें बताया कि वह देहरादून में भूमि खरीदकर हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने जा रहा है। उत्तराखंड में बाहर का व्यक्ति 250 गज से अधिक जमीन नहीं खरीद सकता है, ऐसे में वह देहरादून में रहने वाले अपने पार्टनर अजय पुंडीर के सहयोग से भूमि खरीदेगा। जितेंद्र खरबंदा ने कहा कि वह अजय पुंडीर को अपनी कंपनी का निदेशक बनाते हुए भूमि कंपनी के नाम पर ले लेगा। इसके बाद पुंडीर को निदेशक पद से हटाकर वह दोनों (जितेंद्र खरबंदा व मुकेश कुमार) निदेशक बन जाएंगे।

पीड़ित मुकेश कुमार ने बताया कि दिसंबर 2017 को जितेंद्र खरबंदा ने अंजनी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई और भूमि खरीदने के लिए अजय पुंडीर के खाते में धनराशि डालने के लिए कहा। मोटा मुनाफा देखकर उसने विभिन्न तिथियों को अजय पुंडीर, बालाजी डेवलपवेल प्राइवेट लिमिटेड, अजय खरबंदा, बालाजी इंफ्रा साइन व अन्य के खातों में 19 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।

काफी समय बीतने के बावजूद जब उन्होंने जितेंद्र खरबंदा को प्रोजेक्ट के स्टेटस के बारे में पूछा तो उसने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। जब उन्होंने जितेंद्र खरबंदा के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि उसने साजिश के तहत उनके साथ करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर दी। आरोपित ने उनकी कंपनी बालाजी डेवलपवेल के साथ धोखाधड़ी कर बिना अनुमति करोड़ों रुपये अन्य कंपनियों में लगा दिए। इस मामले में जब उन्होंने एसएसपी से शिकायत की तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।

दून वैली कोलोनाइजर्स से कर चुके हैं 12 करोड़ की धोखाधड़ी

मुकेश कुमार ने बताया कि यह गिरोह इससे पूर्व दून वैली कोलोनाइजर्स एंड बिल्डर्स कंपनी के निर्देशक पटेलनगर निवासी प्रदीप नागरथ से 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर चुका है। बताया कि दून वैली कोलोनाइजर्स एंड बिल्डर्स कंपनी की तरला नागल में 36 बीघा भूमि है। आरोपित जितेंद्र खरबंदा ने खुद को बालाजी डेवलपर्स कंपनी का निदेशक बताया और प्रदीप नागरथ को हाउसिंग प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया। इसके लिए अजय पुंडीर को प्रतिनिधि नियुक्त करवा दिया।

इस मामले में आरोपितों ने हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर प्रदीप नागरथ से 12 करोड़ के रुपये की धोखाधड़ी कर दी। इस मामले में राजपुर थाना पुलिस ने 13 अप्रैल को आरोपित जितेंद्र खरबंदा, अजय खरबंदा, अजय पुंडीर, रीमा खुराना, सीमा खुराना सहित 11 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने छह विवेचकों से मामले की जांच करवाई और बाद में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। प्रदीप नागरथ ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

करोड़ों की धोखाधड़ी, अब तक नहीं लगाई गैंगस्टर

भूमाफिया पर सख्त कार्रवाई का दावा करने वाली दून पुलिस का हाल यह है कि जितेंद्र खरबंदा व अजय पुंडीर के खिलाफ जमीन धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हो चुके हैं, लेकिन एक भी आरोपित के खिलाफ गैंगस्टर नहीं लगाई। ऐसे में भूमाफिया के हौसले बुलंद हैं। वह खुलेआम लोगों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर रहे हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि अजय पुंडीर व जितेंद्र खरबंदा का रिकार्ड चेक करने के लिए संबंधित सीओ को निर्देश जारी किए गए हैं। पता किया जा रहा है कि उनके खिलाफ दर्ज कितने मुकदमों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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