उत्तराखंड में बारिश बरपा रही कहर, चमोली में बादल फटा; बागेश्वर में अतिवृष्टि से तीन पुल बहे
चमोली जिले के गैरसैंण इलाके में बादल फटने से नाले में आए उफान के साथ मलबा लोगों के घरों तक पहुंच गया। इससे चार गौशाला और एक स्कूल का किचन क्षतिग्रस्त हो गया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 07 Aug 2019 07:17 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में मौसम ने तमाम दुश्वारियां खड़ी कर दी हैं। मंगलवार तड़के चमोली जिले के गैरसैंण इलाके में बादल फटने से नाले में आए उफान के साथ मलबा लोगों के घरों तक पहुंच गया। इससे चार गौशाला और एक स्कूल का किचन क्षतिग्रस्त हो गया। मलबे में तीन मवेशियों के दबने की सूचना है। इधर, यात्रा मार्गों पर सफर मुश्किल बना हुआ है। खासकर, बदरीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री हाईवे पर स्लाइडिंग जोन में सफर जोखिम भरा हो गया है। दूसरी तरफ, राज्य मौसम केंद्र ने अगले 24 घंटों के दरम्यान सात जिलों में फिर से भारी से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं, देहरादून और पिथौरागढ़ में भारी वर्षा की चेतावनी के मद्देनजर कक्षा एक से कक्षा 12 तक के समस्त सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के साथ ही समस्त संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश रहेगा।
चमोली जिले में गैरसैंण ब्लाक के दूरस्थ पत्थरकट्टा गांव के ऊपरी इलाके में सोमवार तड़के करीब तीन बजे बादल फट गया। इससे गांव के बीच से बहने वाले नाले में उफान आ गया। इसके साथ ही काफी मात्रा में मलबा और पानी के साथ लोगों के घरों में घुस गया। करीब दर्जनभर आवासीय मकानों में दरारें भी आ गईं। गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की सुरक्षा दीवार और रसोई घर क्षतिग्रस्त हो गया। उफान से गांव की पेयजल लाइन, संपर्क मार्ग और छह छोटी पुलिया बह गईं। कृषि भूमि को भी नुकसान पहुंचा। इससे गांव में अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोग जान बचाने घरों से बाहर आ गए। मंगलवार सुबह बारिश थमने पर लोगों ने राहत की सांस ली। एसडीएम वैभव गुप्ता और राजस्व उप निरीक्षक संदीप बिष्ट ने गांव पहुंचकर नुकसान का जायजा लिया। एसडीएम बादल फटने की पुष्टि की और बताया कि इससे हुए नुकसान की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है।
इसी जिले के कर्णप्रयाग विकासखंड के सिमली गांव में मूसलाधार बारिश से सौ नाली कृषि भूमि नाले के उफान के साथ आए मलबे से पट गई। सिमली, न्यूमार्केट, पंप परिसर, औद्योगिक परिक्षेत्र व बाजार में पानी जमा होने से राहगीरों को दिक्कतें पेश आईं। कई स्थानों पर पेयजल लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गईं।
रुद्रप्रयाग जिले में मयाली-घनसाली मोटर मार्ग पर मरड़ीगाड़ के पास मलबा आ गया। यहां स्कूली बच्चों का वाहन भी करीब एक घंटे फंसा रहा। बाद में जिला प्रशासन ने पैदल नाला पार कराकर बच्चों को स्कूल तक छुड़वाया। गौरीकुंड हाइवे गत सोमवार से बांसवाड़ा में अवरुद्ध चल रहा है। मंगलवार को पूरे दिन जनपद के सभी स्थानों पर बारिश का सिलसिला बना रहा।
धौली गंगा में 12 मवेशी फंसे
चमोली जिले के लाता गांव के पास धौली गंगा नदी के किनारे घास चुगने गए 12 मवेशी 24 घंटे फंसे हुए हैं। विगत दोपहर चारा खाने के बाद ये पशु आराम करने के लिए नदी की एक छोटी धारा के निकट चले गए। इस बीच नदी में अचानक बहाव तेज हो गया। इलाके में मूसलाधार बारिश होने की वजह से जलस्तर कम नहीं हो रहा है। अभी तक मवेशियों को रेस्क्यू नहीं किया जा सका।
मार्ग बंद होने से कैलास यात्री फंसे रहेकुमाऊं के पिथौरागढ़ में भारी बारिश को देखते हुए समस्त शिक्षण संस्थाएं और आंगनबाड़ी केंद्र बुधवार को बंद रहेंगे। सीमांत में भारी बारिश से थल -मुनस्यारी मार्ग यातायात के लिए पूरी तरह बंद हो चुका है। अस्कोट -कर्णप्रयाग मार्ग में थल से डीडीहाट के मध्य मलबा आने से मार्ग आठ घंटे बंद रहा। टनकपुर-तवाघाट हाईवे घंटों बंद रहा। वापस लौट रहा दसवां कैलास मानसरोवर यात्रा दल बलुवाकोट के निकट कुछ घंटे फंसा रहा। मुनस्यारी के खलिया टॉप में आकाशीय बिजली गिरने से छह खच्चरों की मौत हो चुकी है।
ऊधमसिंह नगर के खटीमा में रात भर हुई बारिश के बाद उफान पर आए खकरा नाले में एक युवक बह गया। डूबने से उसकी मौत हो गई। करीब तीन घंटे बाद उसका शव घटनास्थल से 50 मीटर दूरी पर बरामद कर लिया गया। बागेश्वर के कनलगढ़ घाटी में अतिवृष्टि से तीन आरसीसी पुल बह गए हैं। जिले के गरुड़, कपकोट और कांडा में 14 आवासीय घर ध्वस्त हो गए हैं। 16 सड़कों पर भारी मात्रा में मलबा आने से वह आवागमन के लिए पूरी तरह बंद हो गए हैं। झटक्वाली में मलबे घरों में घुसने से 17 बकरियां गायब हो गई और 25 बकरियां मलबे से निकाली गई।
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