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यहां छह साल से लटका है सड़क चौड़ीकरण, नौ करोड़ बढ़ गई लागत

साढ़े छह साल बाद भी राजमार्ग का चौड़ीकरण अटका हुआ है जबकि तब से अब तक लागत में करीब नौ करोड़ रुपये का इजाफा हो चुका है।

By Edited By: Updated: Tue, 23 Apr 2019 08:05 PM (IST)
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यहां छह साल से लटका है सड़क चौड़ीकरण, नौ करोड़ बढ़ गई लागत
देहरादून, जेएनएन। जिस हरिद्वार बाईपास रोड (अजबपुर से आइएसबीटी) पर साल-दर-साल वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है, उसके लिए वक्त वर्ष 2012 पर अटका हुआ है। अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा देखिए कि साढ़े छह साल बाद भी राजमार्ग का चौड़ीकरण अटका हुआ है, जबकि तब से अब तक लागत में करीब नौ करोड़ रुपये का इजाफा हो चुका है। 

बाईपास रोड के चौड़ीकरण का काम सितंबर 2012 में शुरू किया गया था और तभी से इसकी रफ्तार पर ब्रेक लगने की आशंका भी बढ़ गई थी। इसकी वजह यह थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की (अब डोईवाला खंड के अधीन) ने 13 करोड़ रुपये का इस्टीमेट तैयार कर टेंडर आमंत्रित किए थे। 

हालांकि, जब टेंडर आए तो सबसे कम दर 11 करोड़ रुपये थी। यानी कि बाजार दर से भी 18 फीसद कम। कायदे से अधिकारियों को इस बात का मूल्यांकन करना था कि इस दर पर काम संभव भी है या नहीं। अधिकारियों ने ढंग से आकलन किए बिना ही संबंधित ठेकेदार को हरी झंडी दे दी। 

कुछ समय बाद ही इस निर्णय का असर दिखने लगा और काम में हीलाहवाली शुरू हो गई। लंबे समय बाद भी जब काम की प्रगति ना के बराबर रही तो राजमार्गं खंड ने ठेकेदार से काम छीनकर उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके विरोध में ठेकेदार ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी और मामला खटाई में पड़ गया। 

अधिकारियों का रवैये देखिए कि कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद उन्होंने भी पल्ला झाड़ दिया और मजबूत पैरवी की ही नहीं जा सकी। स्टे हटा और अब मंत्रालय को विश्वास में नहीं ले पा रहे हैं। करीब डेढ़ साल पहले कोर्ट ने मामले से स्टे हटा दिया। इसके बाद खंड ने करीब 20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा। ताकि नए सिरे से टेंडर की कार्रवाई की जा सके। 

डोईवाला खंड के सहायक अभियंता सुरेंद्र सिंह का कहना है कि मंत्रालय स्तर पर मामला लंबित है। वहां के अधिकारियों को कोर्ट का स्पष्ट आदेश चाहिए। इसके लिए आचार संहिता हटने के बाद मंत्रालय में दोबारा दस्तक दी जाएगी। 

डेंजर जोन बन गई बाईपास रोड 

राजमार्ग में चौड़ीकरण के तहत फोर लेन के हिसाब से कटान का कार्य ही किया जा सका है। इसके चलते मुख्य सड़क और कच्चे मार्ग में काफी अंतर आ गया है। तमाम स्थानों पर बीच में कहीं पिलर खड़े हैं तो कहीं पेड़ों के हिस्से हैं। इससे हर समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है। 

कई दफा इस मार्ग पर हादसे भी हो चुके हैं। व्यस्ततम समय में इस सड़क पर प्रति घंटे 5000 से अधिक वाहन भी गुजरते हैं। इसके चलते अक्सर जाम भी लगा रहता है। वहीं, चौड़ीकरण के अभाव में प्रमुख चौराहों का निर्माण न होने से भी यातायात की स्थिति अस्त-व्यस्त ही रहती है। 

यह काम होने से बनेगी बात 

-राजमार्ग को दो लेन की जगह फोर लेन बनाया जाना जरूरी है। क्योंकि अजबपुर से आगे व आइएसबीटी के बाद का राजमार्ग फोर-लेन है। सिर्फं यही भाग दो लेन में अटका है, जो किसी बॉटलनेक से कम नहीं। 

-मोथरोंवाला चौक, पुरानी पुलिस चौकी जंक्शन, सरस्वती विहार चौक आदि क्षेत्र में चौराहों को बेहतर स्वरूप दिया जाएगा। 

-तीन छोटे-बड़े पुल का निर्माण किया जाना है।

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