सैटेलाइट में पकड़ में नहीं आ रहा अतिक्रमण, सड़कों पर खर्च होंगे 100 करोड़
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने देहरादून में 2005 से लेकर 2018 तक का अतिक्रमण सैटेलाइलट से जांचने का प्रयास किया, लेकिन अतिक्रमण के चित्र पकड़ में नहीं आए।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 09 Aug 2018 10:44 AM (IST)
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: दून के अतिक्रमण का सच जानने के लिए बीते दिनों उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) में हुई बैठक के बाद अधिकारी खासे उत्साहित थे। क्योंकि उनकी मांग के मुताबिक उत्तराखंड अंतरिक्ष ऊपयोग केंद्र (यूसैक) ने दून के अतिक्रमण की स्थिति बताने के लिए वर्ष 2005 से लेकर 2018 तक के सेटेलाइट चित्र मुहैया कराने की बात कही थी। पहले चरण में प्रिंस चौक से लेकर रिस्पना पुल तक मुख्य सड़क के चित्र मांगे गए थे। अपने वादे के मुताबिक यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने अलग-अलग वर्षों के सेटेलाइट चित्र भी एमडीडीए के सुपुर्द कर दिए। उत्साह से भरे अफसरों ने जब चित्रों का अवलोकन किया तो मुश्किल का हल निकलने के बजाय उनकी टेंशन और बढ़ गई।
एमडीडीए के संयुक्त सचिव शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि इस पूरी सड़क के सेटेलाइट चित्रों के छह-छह सेट मिले हैं। यह चित्र वर्ष 2005, 2010, 2012, 2015, 2016 व अप्रैल 2018 तक की अवधि के हैं। हालांकि चित्रों में सिर्फ भवन ही नजर आ रहे हैं। यह पता नहीं चल पा रहा है कि भवनों का कौन सा भाग कितना आगे आया। काफी माथापच्ची के बाद भी इतना पता चल पाया है कि 13 साल के अंतराल में 20-30 के करीब ही नए भवन हैं और शेष भवन इससे पहले की अवधि के हैं।
संयुक्त सचिव ने बताया कि 10 अगस्त को मंडलायुक्त इस मसले पर बैठक लेंगे और उन्हें इस बात से अवगत करा दिया जाएगा कि इस तरह सेटेलाइट चित्रों से अतिक्रमण की पहचान करना संभव नहीं हो पा रहा। ताकि यूसैक की मदद से अतिक्रमण की पहचान करने के लिए कोई और उपाय खोजा जा सके।
कार्मिकों पर जिम्मेदारी तय करने के हो रहे प्रयास
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा कि था कि जिस भी कार्मिक की तैनाती के दौरान अतिक्रमण हुए हैं, उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने अतिक्रमण चिह्नित करने को सेटेलाइट चित्रों की मदद लेने को भी कहा था। हालांकि मौजूदा चित्रों से यह उम्मीद धूमिल पड़ती दिख रही है।
सेटेलाइट डाटा खरीदने का ही विकल्प
यूसैक ने मौजूदा सेटेलाइट चित्र नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) से मंगाए हैं और यह देश में उपलब्ध सबसे हाई रेजोल्यूशन डाटा है। इसकी मदद से धरातल पर 0.5 मीटर भाग वाली हर वस्तु की पहचान की जा सकती है। हालांकि, इस अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट करने के लिए अब 0.3 मीटर तक की क्षमता रखने वाले डेटा की जरूरत महसूस की जा रही है। यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट के अनुसार, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद ली जाएगी। हालांकि इस काम में 24 डॉलर प्रति वर्गमीटर का खर्च आएगा। यदि सरकार की डिमांड होगी तो बजट मुहैया कराएगी तो यह डाटा की मंगा लिया जाएगा।
सड़कों के कायाकल्प पर खर्च होंगे 100 करोड़
अतिक्रमण हटाए जाने के बाद जो सड़कें चौड़ी की गई हैं, उन्हें व्यवस्थित रूप देने में करीब 100 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान लगाया गया है।बुधवार को एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने अतिक्रमण के बाद चौड़ी हुई सड़कों को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक ली। उपाध्यक्ष डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि ऊर्जा निगम सड़कों पर मौजूद खंभों को प्राप्त चौड़ाई के अनुरूप और पीछे खिसकाने का खाका तैयार कर लें।
इसी तरह जल संस्थान को भी पेयजल लाइनों की शिफ्टिंग की दिशा में कवायद शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब सड़कें काफी चौड़ी हो जाएंगी, इसके लिए उनमें सर्विस डक्ट भी बनाए जाने चाहिए। ताकि विभिन्न लाइनों को सर्विस डक्ट के माध्यम से गुजारा जा सके। इससे सड़कों की खुदाई करने की प्रवृत्ति से भी निजात मिल सकेगी। इस कवायद के तहत विभिन्न स्थानों पर रीचार्ज पिट भी बनाए जाएंगे, ताकि भूजल रीचार्ज हो सके। इसके अलावा सड़कों सौंदर्यीकरण के विभिन्न प्रयास करने पर भी सुझाव प्राप्त किए गए। बैठक में एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का समेत विभिन्न अधिकारी उपस्थित रहे।
ईसी रोड व करनपुर रोड को स्मार्ट सिटी में लिया जाएगाएमडीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि ईसी रोड व करनपुर रोड का कायाकल्प स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत किया जाएगा। साथ ही करनपुर रोड में वन-वे सिस्टम लागू करने पर भी विचार विमर्श किया गया।
दून में चिह्नित हो चुके 6630 अतिक्रमणतीन दिन बारिश के बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया गया। हालांकि सिर्फ अतिक्रमण को चिह्नित ही किया जा सका और किसी भी निर्माण पर ध्वस्तीकरण या सीलिंग की कार्रवाई नहीं की जा सकी।अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी प्रेस बयान में बताया गया कि बुधवार को विभिन्न स्थलों पर 182 नए अतिक्रमण चिह्नित किए गए। इसी के साथ कुल चिह्नित अतिक्रमणों की संख्या 6630 हो चुकी है। जबकि अब तक 3321 अतिक्रमणों को ध्वस्त किया जा चुका है और कुल 108 भवनों को अब तक सील किया गया। अपर मुख्य सचिव ने टास्क फोर्स को और अधिक तेजी से काम करने के निर्देश भी जारी किए हैं।यह भी पढ़ें: हटाए गए अतिक्रमण को सेटेलाइट से किया जाएगा कैदयह भी पढ़ें: दून में 174 अतिक्रमण चिह्नित और चार किए ध्वस्त, 29 लोगों पर मुकदमायह भी पढ़ें: दून में 74 अतिक्रमण ध्वस्त, टास्क फोर्स को लोगों ने घेरा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।