अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जारी, विधायक की गाड़ी देख डर गई टीम
हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शहर के तीन जोन में 71 पक्के अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। कैनाल रोड पर विधायक की गाड़ी देख टीम अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नहीं कर सकी।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 22 Aug 2018 03:26 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: हाईकोर्ट के आदेश पर चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शहर के तीन जोन में 71 पक्के अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। इस दौरान टास्क फोर्स ने 120 नए अतिक्रमण पर लाल निशान लगाए और नोटिस जारी किए। साथ ही व्यापारियों का विरोध भी जारी है।
उधर, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने दोबारा अतिक्रमण करने तथा समय मांगने पर अतिक्रमण न हटाने वालों पर सीधे मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को टास्क फोर्स ने शहर के बल्लूपुर से कैनाल रोड, कमला पैलेस से ट्रांसपोर्ट नगर के बीच, धर्मपुर चौक से मोथरोवाला रोड तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान जेसीबी से 72 बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। जबकि 120 नए अतिक्रमण चिह्नि कर उन पर लाल निशान लगाए गए। इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल, एसडीएम मसूरी मीनाक्षी पटवाल, एसडीएम सदर प्रत्यूष सिंह के नेतृत्व में पुलिस फोर्स और संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई की गई। अब तक अतिक्रमण हटाओ अभियान में 3499 अतिक्रमण ध्वस्त और 7208 चिह्नित किए गए।
नो-पार्किंग पर सिनर्जी अस्पताल को सीलिंग का नोटिस
अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत एमडीडीए की टीम ने सिनर्जी अस्पताल को सीलिंग का नोटिस थमा दिया है। आरोप है कि अस्पताल की बेसमेंट में पार्किंग की जगह नियम विरुद्ध लैब और दूसरे काम किए जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन को एक सप्ताह के भीतर नक्शा और जवाब देने का समय दिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स ने शहर के मोथरोवाला रोड, कमला पैलेस से ट्रांसपोर्ट नगर रोड और बल्लुपूर से कैनाल रोड में 35 से ज्यादा भवन स्वामियों को नोटिस जारी किए। आरोप है कि यह लोग आवासीय भवनों में व्यवसायिक कारोबार कर रहे हैं। इसी दौरान अतिक्रमण हटाओ दस्ता कैनाल रोड स्थित सिनर्जी अस्पताल मे पहुंचा।
यहां अस्पताल में आए लोगों के अधिकांश वाहन सड़क के दोनों तरफ नो-पार्किंग जोन में खड़े थे। एमडीडीए की टीम ने अस्पताल के अंदर जाकर देखा तो पार्किंग जोन में लैब और दूसरे कारोबार संचालित होते मिले। इस पर एमडीडीए ने अस्पताल प्रबंधन को सीलिंग का नोटिस थमा दिया है। एक सप्ताह के भीतर नक्शा और अनुमति पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बाद एमडीडीए ने अस्पताल के सीलिंग करने की चेतावनी दी गई है। एसडीडीए के सचिव पीसी दुम्का ने बताया कि नोटिस का जवाब न मिलने पर सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट के आदेश पर बेसमेंट में पार्किंग की जगह दूसरे कार्य करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है।
भाजपा विधायक की गाड़ी देख डर गई टीम कैनाल रोड पर एक भवन सड़क तक बना हुआ था। इस भवन पर तीन फीट तक अतिक्रमण हटाने को लाल निशान लगा हुआ मिला। मगर, इस घर के सामने एक भाजपा महिला विधायक की यूपी नंबर की 0001 गाड़ी खड़ी थी। यह गाड़ी देख टास्क फोर्स की टीम कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। हालांकि घर के लोगों ने बताया कि दो दिन का समय अतिक्रमण हटाने के लिए मांगा गया है। बताया गया कि यह गाड़ी एक पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार विधायक की थी। जो इस भवन में निवास करती हैं।
अभियान के खिलाफ व्यापारियों ने खोला मोर्चा
दून उद्योग व्यापार मंडल और प्रातीय उद्योग व्यापार मंडल से जुड़े व्यापारियों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है। अभियान में मनमानी का आरोप लगाते हुए और सीलिंग की कार्रवाई के विरोध में व्यापारियों ने अग्रवाल धर्मशाला से जिलामुख्यालय तक रैली निकाल कर प्रदर्शन किया। साथ ही इस संबंध में डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। जिलामुख्यालय में प्रदर्शन के दौरान व्यापारियों ने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। व्यापारी वर्ग हमेशा प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में सहयोग करता रहा है। लेकिन वर्तमान में एमडीडी, जिला प्रशासन व नगर निगम के अधिकारियों की संयुक्त टीम मनमानी कर रही है।
अभियान के तहत 1904, 1914 व 1938 के नक्शों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसी भी सूरत में उचित नहीं है। क्योंकि तब और अब की परिस्थितियां अलग हैं। अब कई मकान, सड़क, नालियां आदि बन गई हैं। लेकिन अधिकारी स्वीकृत नक्शों को भी दरकिनार कर रहे हैं। इस अभियान में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे व्यापारियों को उठाना पड़ा है। अभियान के कारण कई छोटे व्यापारी पूर्ण रूप से बेरोजगार हो गए हैं उन्हें परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है। व्यापारियों ने सरकार से मांग की कि प्रभावित व्यापारियों को दूसरे स्थान पर जगह उपलब्ध कराई जाए तब दुकानों पर कार्रवाई की जाए। व्यापारियों ने कहा कि एमडीडीए ने देहरादून में मास्टर प्लान में नौ मीटर से अधिक चौड़ी सड़क पर व्यवसाय गतिविधियों को उचित माना था। लेकिन अब इस मापदंड के तहत बने व्यवसायिक भवनों को बिना कंपाउंडिंग का मौका दिए सील किया जा रहा है।
साथ ही देहरादून में कई क्षेत्र उत्तर प्रदेश आवास विकास निगम के अंतर्गत हैं। जहां खरीद फरोख्त से लेकर मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार उक्त विभाग के पास है। यहां सड़कों की चौड़ाई नौ मीटर से 24 मीटर तक है। कई लोग यहां छोटे-छोटे व्यवसाय कर रहे हैं। पर उन्हें भी अब सीलिंग का डर सता रहा है। इसके अलावा होटल आदि का सराय एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। टैक्स भी व्यवसायिक दर से अदा किया जा रहा है। लेकिन अब सीलिंग का डर दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा व्यापारी उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेंगे इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोयल, संरक्षक उमेश अग्रवाल अध्यक्ष विपिन नागलिया, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रभाकर, कोषाध्यक्ष प्रवीण जैन मंत्री सुनील मैसोन, युवा अध्यक्ष अनुज जैन, उपाध्यक्ष बृजलाल बंसल, संगठन मंत्री डीडी अरोड़ा, युवा मंत्री मीत अग्रवाल, उपाध्यक्ष कमलेश अग्रवाल, गौरव कुमार, प्रतीक मैनी आदि शामिल थे।देवभूमि इंस्टीट्यूट के अतिक्रमण की फिर जांच के आदेशहाई कोर्ट ने देवभूमि इंस्टीट्यूट देहरादून की ओर से सरकारी भूमि में अतिक्रमण करने की शिकायत पर दुबारा जांच करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को एडीएम देहरादून व एसडीएम विकास नगर कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने इंस्टीट्यूट की ओर से सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं करने की जानकारी दी थी। जबकि विकास नगर तहसीलदार द्वारा पूर्व में अतिक्रमण होने की रिपोर्ट दी थी। देहरादून निवासी शाह आलम ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें इंस्टीट्यूट पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाया गया। पूर्व में कोर्ट ने डीएम देहरादून को मामले में पेश होने के निर्देश दिए थे मगर डीएम के अवकाश पर होने पर एडीएम व एसडीएम कोर्ट में पेश हुए।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली तिथि 28 अगस्त नियत कर दी और उसी तिथि को डीएम देहरादून को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।यह भी पढ़ें: अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, व्यापारियों की अफसरों से तीखी नोकझोंकयह भी पढ़ें: एसएसपी और नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारीयह भी पढ़ें: अतिक्रमण की पहचान को सैटेलाइट से नक्शा मिला, भाषा की आई अड़चन
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