झूठी गवाही पर वादी के खिलाफ दर्ज होगा केस, पढ़िए पूरी खबर
लड़की को भगाने के मामले में अदालत ने आदेश की प्रति एसएसपी को भेजते हुए कहा कि वादी ने झूठी गवाही देकर विधि विरुद्ध कार्य किया है उस पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 16 May 2019 03:40 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। लड़की को भगाने और उससे दुष्कर्म करने के मामले में पिता ने अदालत में सुनवाई के दौरान न सिर्फ बयान बदला, बल्कि आरोपित के पक्ष में गवाही दे दी। सुनवाई के दौरान लड़की की आयु को लेकर भी वादी पक्ष कोई सटीक जवाब नहीं दे सका। ऐसे में सबूतों और गवाहों के बयानों को मद्देनजर रखते हुए विशेष न्यायाधीश पोक्सो की अदालत ने बुधवार को आरोपित को दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने आदेश की प्रति एसएसपी देहरादून को भेजते हुए कहा कि वादी ने अभियोजन और अभियुक्त दोनों की तरफ गवाही देकर विधि विरुद्ध कार्य किया है, उस पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने अदालत को बताया कि एक अक्टूबर 2015 को डोईवाला थाने में एक व्यक्ति ने मुकदमा दर्ज कराया कि उसकी नाबालिग पुत्री को ललित उर्फ मोनू पुत्र ऋषिपाल निवासी खानपुर ब्रह्मपुर, थाना लक्सर, हरिद्वार भगा ले गया है। दो दिन बाद लड़की को हरिद्वार के कनखल से बरामद कर लिया गया और ललित को भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया गया। अदालत में चार्जशीट आने के बाद सुनवाई शुरू हुई तो वादी पक्ष लड़की की उम्र को लेकर सटीक जवाब नहीं दे पाया, जिसके चलते उसकी आयु निर्धारित नहीं हो सकी। यही नहीं, सुनवाई के दौरान लड़की के पिता ने आरोपित के पक्ष से भी गवाही दे दी। वहीं लड़की की मां भी पक्षद्रोही हो गई।
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि ललित ने लड़की को भगाया, जबकि लड़की ने कहा कि वह खुद हरिद्वार तक गई थी। शादी का झांसा देकर दुष्कर्म की भी बात साबित नहीं हुई। ऐसे में पीडि़ता और गवाहों के बयान में विरोधाभासी कथन होने के कारण ललित को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया। वहीं, अदालत ने निर्णय की प्रति एसएसपी देहरादून को भेजते हुए आदेश दिया कि वादी ने दोनों पक्ष तरफ से गवाही दी जो विधि विरुद्ध है। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
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