भर्ती होने पर कैशलेस चिकित्सा सुविधा, उत्तराखंड के सूचीबद्ध अस्पतालों में असीमित धनराशि तक मिलेगा उपचार
एसजीएचएस में सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों और प्रदेश और बाहर के निजी अस्पतालों में भर्ती होने पर कार्मिकों व पेंशनर को कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलेगी। उत्तराखंड में सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा असीमित धनराशि तक अनुमन्य की गई है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 26 Nov 2021 02:01 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) में सूचीबद्ध सरकारी, अस्पतालों और प्रदेश व बाहर के निजी अस्पतालों में भर्ती होने पर कार्मिकों व पेंशनर को कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलेगी। उत्तराखंड में सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा असीमित धनराशि तक अनुमन्य की गई है। वास्तविक खर्च की प्रतिपूर्ति की भी व्यवस्था शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि जहां सीजीएचएस दरें उपलब्ध नहीं हैं, वहां एम्स की दरों पर प्रतिपूर्ति की जाएगी। एम्स की दरें उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में चिकित्सा प्रतिपूर्ति वास्तविक खर्च की 100 प्रतिशत दर के आधार पर की जाएगी। ऐसी स्थिति को दुर्लभ से दुर्लभतम माना गया है। कार्मिकों व पेंशनर व उनके परिवार के सदस्यों व आश्रितों को राज्य में स्थित सूचीबद्ध निजी अस्पताल में उपचार के लिए किसी सरकारी अस्पताल से रैफर कराने की आवश्यकता नहीं है।
250 से 1000 रुपये तक होगी कटौती सभी कार्मिकों-पेंशन से समान सीजीएचएस दरों पर सातवें वेतन आयोग के अनुसार अंशदान लिया जाएगा। वेतन स्तर-एक से पांच तक कार्मिकों व पेंशनर से 250 रुपये प्रतिमाह, वेतन स्तर-छह से 450 रुपये प्रतिमाह कटौती होगी। वेतन स्तर-सात से 11 तक 650 रुपये और वेतन स्तर-12 एवं उच्चतर से एक हजार रुपये प्रतिमाह कटौती की जाएगी। नई पेंशन योजना से आच्छादित कार्मिक न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने पर एसजीएचएस कार्ड 12 माह का वार्षिक अंशदान देकर प्राप्त कर सकते हैं। अथवा 10 वर्ष के अंशदान के करीब एकमुश्त देने के बाद आजीवन वैधता के साथ गोल्डन कार्ड प्राप्त कर सकेंगे।
पेंशनर से कटौती का फार्मूला तय पुरानी पेंशन योजना का लाभ ले रहे पेंशनर मासिक या वार्षिक कटौती या 10 वर्ष की अंशदान राशि के बराबर एकमुश्त अंशदान के भुगतान से आजीवन वैधता के साथ गोल्डन कार्ड का लाभ लेने का विकल्प ले सकते हैं। वार्षिक अंशदान वाले पेंशनर से समय-समय पर पुनरीक्षित दरों के मुताबिक वार्षिक अंशदान लिया जाएगा। 10 वर्ष के एकमुश्त अंशदान पर यह लागू नहीं होगा। पति-पत्नी दोनों के सेवारत होने की दशा में दोनों में से जो उच्चतर वेतनमान में कार्यरत होगा, उससे अंशदान लिया जाएगा। दोनों के ही माता-पिता जो उन पर आश्रित हैं, परिवार में शामिल होंगे, बशर्ते दोनों इस योजना के अंतर्गत निर्धारित अंशदान दे रहे हों।
कार्मिकों-पेंशनर को ओपीडी की भी सुविधा सरकार ने कार्मिकों और पेंशनर व उनके परिवार के सदस्यों को आउट डोर पेशेंट (ओपीडी) सुविधा भी उपलब्ध कराई है। सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध अस्पतालों में ओपीडी की सुविधा मिलेगी। सीजीएचएस की दरों पर परामर्श शुल्क, डायग्नोस्टिक्स, रेडियोलाजी की सुविधा दी जाएगी। इस दौरान लाभार्थी इन शुल्कों या चिकित्सा खर्च और औषधियों की खरीद का खर्च खुद उठाएगा। इसकी प्रतिपूर्ति की व्यवस्था भी नियत की गई है। अंत रोगी उपचार (आइपीडी) के लिए सीजीएचएस की दरें मान्य होंगी।
पांच लाख से ज्यादा राशि को प्रशासकीय विभाग से स्वीकृति ओपीडी व आइपीडी के प्रतिपूर्ति के दावे की डेढ़ लाख की राशि कार्यालयाध्यक्ष स्वीकृत करेंगे। डेढ़ से तीन लाख तक राशि विभागाध्यक्ष, तीन लाख से पांच लाख तक विभागाध्यक्ष व पांच लाख से अधिक प्रशासकीय विभाग स्वीकृति देगा। शासनादेश में गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया भी तय की गई है।यह भी पढें- उत्तराखंड: ढाई लाख कार्मिकों को मिला स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच, आयुष्मान से बाहर कर जोड़ा गया सीजीएचएस से
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