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एक साल बाद दोबारा AIIMS Rishikesh पहुंची सीबीआइ, पिछली बार प्रोफेसर समेत 5 पर किया था केस; ये है पूरा मामला

AIIMS Rishikesh नियुक्ति और खरीदारी में घपले के आरोप से घिरे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में बीते वर्ष फरवरी में सीबीआइ की टीम ने छापा मारा था। शुक्रवार को फिर से एक डीएसपी के नेतृत्व में सीबीआइ की टीम में शामिल सात लोग एम्स ऋषिकेश पहुंचे हैं।

By Harish chandra tiwariEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 31 Mar 2023 11:49 AM (IST)
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AIIMS Rishikesh: छापे की कार्रवाई के बाद बीते वर्ष प्रोफेसर समेत पांच के खिलाफ हुआ था मुकदमा दर्ज
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: AIIMS Rishikesh: नियुक्ति और खरीदारी में घपले के आरोप से घिरे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में बीते वर्ष फरवरी में सीबीआइ की टीम ने छापा मारा था। पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

शुक्रवार को फिर से एक डीएसपी के नेतृत्व में सीबीआइ की टीम में शामिल सात लोग एम्स ऋषिकेश पहुंचे हैं। यहां वह चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में आवश्यक पूछताछ कर रहे हैं।

बीते वर्ष गड़बड़ी मामले में सीबीआइ ने की थी बड़ी कार्रवाई

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद और केमिस्ट शाप के आवंटन में बीते वर्ष फरवरी माह में गड़बड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) बड़ी कार्रवाई की थी। इस सिलसिले में सीबीआइ ने बीते वर्ष अप्रैल माह में आपराधिक षडयंत्र कर धोखाधड़ी करने के दो मुकदमे दर्ज किए थे।

इनमें एम्स के तीन प्रोफेसरों, एक प्रशासनिक अधिकारी और एक लेखाधिकारी को नामजद किया गया है। इसके साथ ही सीबीआइ ने शुक्रवार को उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 24 स्थानों पर आरोपितों के ठिकानों पर छापे डाले थे।

दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए

संबंधित मामले में सीबीआइ ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे। एम्स ऋषिकेश में उपकरणों की खरीद और दवा की दुकान के आवंटन में गड़बड़ी की जांच सीबीआइ बीते वर्ष फरवरी से कर रही थी। तीन से सात फरवरी तक सीबीआइ टीम ने यहां डेरा डालकर शिकायतों से संबंधित दस्तावेज खंगाले थे। अब इस प्रकरण में सीबीआइ ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।

उस वक्त सीबीआइ प्रवक्ता ने बताया था कि एम्स प्रशासन ने वर्ष 2017-18 में अस्पताल परिसर की सड़कों की सफाई के लिए स्वीपिंग मशीन खरीदी थी। जिस कमेटी के माध्यम से खरीद प्रक्रिया पूरी कराई गई, उसमें अनियमितता पाई गई। इसमें करीब 2.41 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई।

इतनी बड़ी लागत से खरीदी गई यह मशीन सिर्फ 124 घंटे ही चल पाई। जांच में यह भी सामने आया कि एक अन्य कंपनी इसी मशीन को करीब एक करोड़ में उपलब्ध करा रही थी, लेकिन क्रय समिति ने महंगे दामों पर मशीन की खरीद कर डाली।

इस मामले में एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग में तैनात तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम जी उमर, एनाटामी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल निवासी ऋषिकेश देहरादून, प्रशासनिक अधिकारी शशि कांत, लेखाधिकारी दीपक जोशी और खनेजा कांप्लेक्स शकरपुर दिल्ली स्थित प्रो-मेडिक डियाईसेस के स्वामी पुनीत शर्मा को नामजद किया गया था। इस मुकदमे में कुछ अन्य लोक सेवक और निजी क्षेत्र के अज्ञात व्यक्ति भी आरोपित हैं।

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