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ज्ञान गंगा : कोरोना संकट के दौरान बेस्ट प्रेक्टिस को केंद्र ने सराहा

कोरोना संकट के दौरान बेस्ट प्रेक्टिसेज के लिए राज्य को केंद्र से शाबासी मिली। पिछले शैक्षिक सत्र में आनलाइन पढ़ाई पर जोर देने के बावजूद दूरदराज में आम छात्र तक पहुंचने में शिक्षा विभाग के कदम ठिठक गए थे। ऐसे में दूरदर्शन के माध्यम से कक्षाएं शुरू की गईं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 01 Jul 2021 08:38 AM (IST)
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मंगलवार को वर्चुल बैठक में शिरकत करते शिक्षा सचिव राजन मीनाक्षी सुंदरम एवं अन्य अधिकारी।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। कोरोना संकट के दौरान बेस्ट प्रेक्टिसेज के लिए राज्य को केंद्र से शाबासी मिली। पिछले शैक्षिक सत्र में आनलाइन पढ़ाई पर जोर देने के बावजूद दूरदराज में आम छात्र तक पहुंचने में शिक्षा विभाग के कदम ठिठक गए थे। ऐसे में दूरदर्शन के माध्यम से माध्यमिक स्तर पर छात्र-छात्राओं के लिए कक्षाएं शुरू की गईं। स्मार्ट फोन व लैपटाप की कमी और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का समाधान दूरदर्शन ने कर दिया। प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों तक पहुंचने के लिए कम्युनिटी रेडियो का उपयोग हुआ। पर्वतीय अंचलों में कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से कविताओं और कहानियों के जरिये बच्चों को सिखाने-पढ़ानेका प्रयास किया गया। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा-एक से आठवीं तक बच्चों को वर्कशीट के जरिये पढ़ाया गया था। ये सभी नए प्रयास केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को खूब भाए। समग्र शिक्षा अभियान प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की वर्चुअल बैठक में शिक्षा सचिव राजन मीनाक्षी सुंदरम की पीठ थपथपाई गई।

बंद स्कूलों में हरेला का धमाल

कोरोना काल में लगातार दूसरे साल बंद पड़े सरकारी स्कूलों में धमाल मचने जा रहा है। यह स्पष्ट करना ठीक रहेगा कि इससे आनलाइन पढ़ाई का कोई लेना-देना नहीं है। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में जुलाई के पहले पखवाड़े में हरेला पर्व मनाया जाएगा। स्कूलों में शिक्षकों की मौजूदगी में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगेगी। इसे गौरा देवी पर्यावरण जन जागरण यात्रा नाम दिया गया है। इसकी कमान खुद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने अपने हाथों में ली है। स्कूलों में मनाए जाने वाले इस पर्व का वैसे सियासत से दूर तक वास्ता नहीं है। सिर्फ 45 विधानसभा क्षेत्रों के चुनिंदा स्कूलों तक इसे सीमित रखा गया है। इस दौरान लगे हाथों अटल उत्कृष्ट विद्यालयों का भी उद्घाटन किया जाएगा। ये विद्यालय सरकार और शिक्षा मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। ये साल चुनावी है। पर्व पर शिक्षकों की मौजूदगी अनिवार्य की गई है। मगर सवाल तबादलों का भी तो है।

सैनिटाइजेशन को जन जागरण करेंगी एसएमसी

प्रदेश में सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों को साफ-सफाई जागरूकता की मुहिम से जोड़ा जाएगा। केंद्र ने प्राथमिक से लेकर माध्यमिक के साढ़े सोलह हजार सरकारी स्कूलों में कोरोना महामारी का सामना करने के लिए सेफ्टी व सैनिटाइजेशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने को कहा है। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन कमेटियों में अभिभावकों के साथ शिक्षक भी हैं। दूरस्थ विद्यालयों में भी ये गठित की गईं हैं। पंचायतों और शहरी निकायों के बाद स्कूलों में एमएमसी को सैनिटाइजेशन की मुहिम से जोड़ने के सार्थक परिणाम मिल सकते हैं। छात्र-छात्राओं को संक्रमण से सुरक्षा के साथ ही अन्य तरह के सुरक्षा बंदोबस्त के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसीतरह ड्रापआउट बच्चों की ट्रेकिंग की जाएगी। इस योजना का मकसद स्कूलों तक नहीं पहुंचने वालों और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों पर लगातार नजर रखना है, ताकि उन्हें शिक्षा के अधिकार का लाभ मिले।

छोटे पद भी होते हैं मलाईदार

मलाई केवल बड़े पदों पर चिपकी रहती है, सिर्फ ऐसा मानना खामख्याली है। तीसरी श्रेणी के खास किस्म के पदों में भी ऐसी कुव्वत होती है कि सामने वाला ललचा उठे। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव का पद कुछ ऐसा ही है। पांचवें से लेकर सातवें वेतनमान तक सभी में गुरुजनों के गुरूर का पूरा ख्याल रखा गया है। लिहाजा अन्य समकक्ष श्रेणी के कार्मिकों से वेतनमान ज्यादा रखा गया। सम्मान का यही भाव जब-तब आसानी से ताव खाते देखा जा सकता है। बावजूद इसके एलटी पद पर कार्यरत एक गुरुजी सहायक कुलसचिव बनने को मचल उठे। विभाग से एनओसी लिए बगैर ही आवेदन कर दिया। मामला उच्च शिक्षा का था, सो बड़ा दिल दिखाते हुए सामने वालों ने भी बगैर एनओसी जांचे-परखे पद थमा दिया। अब साथी गुरुजन बेचैन हो उठे हैं। दे दनादन असंतोष। हल्ला तारी है, स्कूलों में शिक्षक हैं नहीं, देखो अगला छोड़कर चल दिया।

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