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उत्‍तराखंड को अभी नहीं मिलेगी पीएमश्री योजना की दूसरी किस्‍त, अफसरों की लापरवाही की नतीजा भुगतेंगे छात्र

PM Shri उत्तराखंड को केंद्र सरकार से मिलने वाली दूसरी किस्त अटक गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्‍योंकि पीएमश्री योजना के तहत उत्तराखंड को मिली करोड़ों की धनराशि को अधिकारी खर्च नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षा विभाग ने अल्मोड़ा हरिद्वार पिथौरागढ़ और बागेश्वर के सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। अब अफसरों की लापरवाही का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा।

By Sukant mamgain Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:27 PM (IST)
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PM Shri: चार जिलों के खराब प्रदर्शन से केंद्र ने रोकी दूसरी किस्त

जागरण संवाददाता, देहरादून। PM Shri: पीएमश्री योजना के तहत मिली करोड़ों की धनराशि अधिकारी खर्च करने की भी जहमत नहीं उठा रहे हैं। जिससे उत्तराखंड को केंद्र सरकार से मिलने वाली दूसरी किस्त अटक गई है।

ऐसे में शिक्षा विभाग ने केंद्र से मिले बजट को खर्च न कर पाने पर अल्मोड़ा, हरिद्वार, पिथौरागढ़ व बागेश्वर के सीईओ (मुख्य शिक्षा अधिकारी) को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने सात दिन के भीतर जवाब न देने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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कारण बताओ नोटिस जारी

शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने कहा कि अल्मोड़ा जनपद में पीएम श्री विद्यालय की प्रगति रिपोर्ट बेहद निराशाजनक है। इस जनपद में निर्धारित समय तक जारी धनराशि का करीब 29 प्रतिशत ही व्यय हुआ है। जिस पर अल्मोड़ा के सीईओ अत्रेश सयाना को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

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मुख्य शिक्षा अधिकारी ने पीएमश्री के तहत जनपद को मिले एक करोड़ 15 लाख रुपये से अधिक की धनराशि से निर्धारित समय तक केवल 4.57 लाख रुपये की राशि खर्च की है। सात दिन में जवाब न मिलने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी उन्हें दी गई है।

पिथौरागढ़ में 38 व बागेश्वर में 35 प्रतिशत ही धनराशि खर्च

इसके अलावा हरिद्वार के मुख्य शिक्षाधिकारी केके गुप्ता, पिथौरागढ़ के सीईओ हरक राम कोहली व बागेश्वर के सीईओ गजेंद्र सिंह से भी स्पष्टीकरण तलब किया गया है। हरिद्वार में भी पीएमश्री विद्यालय के लिए जारी बजट में सिर्फ 52 प्रतिशत ही खर्च हुआ है। जबकि, पिथौरागढ़ में 38 व बागेश्वर में 35 प्रतिशत ही धनराशि खर्च की गई है।

महानिदेशक ने कहा कि केंद्र सरकार से स्पष्ट निर्देश हैं कि पीएमश्री विद्यालय योजना को मिली धनराशि समय पर खर्च कर इसकी प्रगति रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी होती है। अधिकारियों को इसकी गंभीरता को खुद समझना चाहिए।

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