निशंक बोले, कृषि सुधार विधेयकों पर कांग्रेस का दोगला व छल कपट भरा चरित्र हुआ उजागर
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों पर कांग्रेस का दोगला व छल कपट भरा चरित्र सामने आ गया है। 2019 के चुनावी घोषणापत्र में एपीएमसी को हटाने का वायदा करने वाली कांग्रेस अब इसी का विरोध कर रही है।
By Edited By: Updated: Sun, 04 Oct 2020 10:07 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों पर कांग्रेस का दोगला व छल कपट भरा चरित्र सामने आ गया है। 2019 के चुनावी घोषणापत्र में एपीएमसी को हटाने का वायदा करने वाली कांग्रेस अब इसी का विरोध कर रही है। केंद्र सरकार ने भी नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी दलों खासतौर पर कांग्रेस के विरोध पर पलटवार तेज कर दिया है।
शनिवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से मुखातिब केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कांग्रेस पर तीखे हमले बोले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दसियों साल के अपने शासन में देश के किसानों को कानून के नाम पर कई बंधनों से जकड़ कर रखा। किसानों को सशक्त करने के बजाय कांग्रेस ने उन्हें गुमराह कर राज किया। यह दल शुरुआत से ही किसान विरोधी रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर सीधा आरोप मढ़ा कि कांग्रेस अन्य दलों को साथ लेकर किसानों को भड़काने की कोशिश कर रही है। कृषि सुधार विधेयकों का हवाला देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था खत्म करने की बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कह चुके हैं कि एमएसपी की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। इसमें बदलाव नहीं किया जाएगा। इन विधेयकों का एमएसपी और एपीएमसी व्यवस्था से लेना-देना ही नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एपीएमसी एक्ट हटाने की बात की थी लेकिन इन विधेयकों के मुताबिक एपीएमसी की व्यवस्था बनी रहेगी और उसीतरह काम करती रहेगी। निशक के निशाने पर राहुल गांधी रहे। उन्होंने कहा कि 2013 में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेसशासित 12 राज्य अपने यहां फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर करेंगे। घोषणापत्र में कृषि सुधारों की बात करने वाली पार्टी अब इसका विरोध कर रही है।
कहा कि कांग्रेस ने 55 साल में एक बार किसानों का कर्जा माफ किया, उसमें भी भारी घोटाला हुआ। कांग्रेस ने सिर्फ किसानों के वोट पर डकैती डालने की कोशिश की। मोदी सरकार में केवल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत ही अब तक किसानों को 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा राशि उनके खातों में दी गई। किसानों को 60 वर्ष की आयु में तीन हजार रुपये पेंशन मंजूर की गई। कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 2009 से 2014 तक महज 1.25 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी, जबकि 2014-19 की अवधि में मोदी सरकारने 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद की। आज खाद्यान्न व दालों की एमएसपी में 65 फीसद से 106 फीसद तक इजाफा हुआ है।
यह भी पढ़ें: हाथरस कांड में पुलिस की अनदेखी पर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने जताया रोष, उप्र सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शनउन्होंने कहा कि कृषि सुधार के तीनों कानूनों से अन्नदाता सशक्त होंगे। उनका मुनाफा बढ़ेगा। उन्हें बिचौलियों के हाथों अपनी उपज बेचने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। लाइसेंसी व्यापारियों के बजाय किसान राज्य के भीतर और बाहर ज्यादा मुनाफा कमाने को कहीं भी फसल बेच सकेंगे। केंद्र सरकार किसानों की उपज के लिए मूल्य जानकारी और मंडी आसूचना प्रणाली विकसित करेगी। कोई विवाद होने पर निपटाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा जो 30 दिन के भीतर समाधान करेगा।
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