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चकराता में ब्लॉक प्रमुख के लिए मचा सियासी घमासान, पढ़िए पूरी खबर

दून के चकराता ब्लॉक प्रमुख पद पर काबिज कांग्रेस का सियासी गणित इस बार ओबीसी महिला आरक्षण से गड़बड़ा गया है। अब देखना यह है कि सियासी ऊंट किस करवट बैठता है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 25 Oct 2019 05:34 PM (IST)
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चकराता में ब्लॉक प्रमुख के लिए मचा सियासी घमासान, पढ़िए पूरी खबर
त्‍यूणी, चंदराम राजगुरु। देश की आजादी के बाद दशकों तक चकराता ब्लॉक प्रमुख पद पर काबिज कांग्रेस का सियासी गणित इस बार ओबीसी महिला आरक्षण की वजह से गड़बड़ा गया है। पर्याप्त संख्या बल होने के बावजूद कांग्रेस के सामने इस बार प्रमुख बनाने की बड़ी चुनौती है। जबकि भाजपा इसका फायदा उठाने को सियासी जुगत में लगी है। दोनों सियासी दल ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए जोड़-तोड़ में लगे है। अब देखना यह है कि सियासी ऊंट किस करवट बैठता है।

 जौनसार-बावर की राजनीति दो बड़े सियासी घरानों के इर्द-गिर्द घूमती है। यहां कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह और भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बीच सियासी टकराव रहा है। जौनसार बावर परगने के चकराता ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख पद पर दशकों से कांग्रेस का कब्जा रहा है। जबकि कालसी ब्लॉक में प्रमुख पद पर बीते चार दशकों से मुन्ना सिंह चौहान का कब्जा बरकरार है। इस बार हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2019 में आरक्षण व्यवस्था के कारण चकराता ब्लॉक में कांग्रेस का सियासी समीकरण गड़बड़ा गया है। यहां बीडीसी की 40 सीटें निर्धारित हैं। जिसमें 11 बीडीसी सीटें अनुसूचित जनजाति महिला, सात सीटें अनुसूचित जाति महिला, 11 सीटें ओपन एसटी वर्ग, सात सीटें ओपन एससी वर्ग, एक सीट महिला ओपन, एक सीट ओबीसी महिला वर्ग व दो बीडीसी सीटें अनारक्षित हैं।

कुनैन व खारसी सीट पर निगाहें

चकराता में क्षेत्र पंचायत कुनैन की सीट ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने से यहां भाजपा समर्थित निधि ने बाजी मारी। जबकि बीडीसी खारसी महिला ओपन सीट से भाजपा समर्थित ओबीसी कोटे की शिवानी मल्ल ने जीत हासिल की। इस तरह कुनैन व खारसी दोनों बीडीसी सीट से भाजपा समर्थित ओबीसी कोटे की दो महिला क्षेत्र पंचायत सदस्य बनीं। जिसमें से एक का प्रमुख बनना तय है। प्रमुख पद पर इनमें से किसकी ताजपोशी होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन ओबीसी कोटे की दोनों बीडीसी महिला मेंबर प्रमुख की प्रबल दावेदार बताई जा रही है। भाजपा के सामने मुश्किल यह है की निर्वाचित उक्त दो महिला बीडीसी मेंबर में से वह किस पर दाव खेलती हैं।

इसमें एक की नाराजगी भाजपा के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। चकराता में भाजपा समर्थित तेरह बीडीसी मेंबर चुनाव जीते हैं। भाजपा नेता चकराता में 17 बीडीसी मेंबर अपने पाले में होने का दावा कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस नेता 27 बीडीसी मेंबर अपने पाले में होने का दावा कर रहे हैं। चकराता में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या बल होने के बावजूद प्रमुख बनाने की बड़ी चुनौती है। जिसके लिए कांग्रेस सियासी जोड़-तोड़ में लगी है। यहां ओबीसी महिला आरक्षण की वजह से कांग्रेस का सियासी गणित गड़बड़ा गया है। कांग्रेस इस फिराक में है कि भाजपा खेमे से नाराज होकर एक ओबीसी महिला बीडीसी मेंबर किसी तरह उसके पाले में आ जाए। जिससे उसकी राह आसान हो जाए।

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वहीं भाजपा के सामने निर्वाचित दो ओबीसी महिला बीडीसी मेंबर में से एक को किसी तरह संतुष्ट करने की बड़ी चुनौती है। भाजपा इस सुनहरे मौके को गंवाने का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। भाजपा कांग्रेस खेमे से कुछ बीडीसी मेंबर को अपने पाले में लाने की जुगत में लगी है। जिसके लिए दोनों सियासी दलों ने गोटियां बिछां दी है। इस बार के चुनाव में अगर भाजपा अपनी सियासी चाल में कामयाब रही तो चकराता में दशकों पुराना इतिहास बदल जाएगा। जिससे कांग्रेस का मजबूत गढ़ माने जाने वाले चकराता ब्लॉक में आने वाले समय में अपना किला बचाना मुश्किल होगा। 

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