सियासी जमीन पर फिर रिकार्ड बनाने की भाजपा के लिए चुनौती
विधानसभा चुनाव में रिकार्ड प्रदर्शन कर सत्ता तक पहुंची भाजपा के लिए निकाय चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह हैं। भाजपा के समक्ष अपने पिछले पांच साल के प्रदर्शन को दोहराने की भारी चुनौती है।
By Edited By: Updated: Tue, 16 Oct 2018 11:35 AM (IST)
देहरादून, [विकास धूलिया]: आखिरकार राज्य निर्वाचन आयोग से अधिसूचना जारी करने के साथ ही पिछले लगभग पांच महीने से निकाय चुनाव को लेकर सूबे में छाया धुंधलका साफ हो गया। विधानसभा चुनाव में रिकार्ड प्रदर्शन कर सत्ता तक पहुंची भाजपा के लिए ये चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह हैं। खासकर, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले होने जा रहे चुनाव के नतीजे प्रदेश सरकार के डेढ़ साल के कामकाज पर मुहर तो लगाएंगे ही, पार्टी की जनता पर पकड़ को भी जाहिर करेंगे। साफ है कि भाजपा के समक्ष निकाय चुनाव में अपने पिछले पांच साल के प्रदर्शन को दोहराने की भारी चुनौती पेश आने जा रही है।
उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों की जड़ें खासी मजबूत रही हैं। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में सत्ता दो बार कांग्रेस और दो बार भाजपा को मिली। लोकसभा की पांचों सीटों के नतीजे भी हर बार बदलते रहे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हिस्से तीन सीटें आई तो कांग्रेस व समाजवादी पार्टी को एक-एक सीट पर जीत मिली।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा की सरकार रहते हुए पांचों सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके ठीक उलट वर्ष 2014 में पांचों लोकसभा सीटों पर नमो नहर में भाजपा का परचम फहराया। जहां तक विधानसभा चुनावों का सवाल है, वर्ष 2017 में संपन्न चुनाव इस लिहाज से महत्वपूर्ण रहे कि पहली बार किसी पार्टी को एकतरफा बहुमत मिला। भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें हासिल की।
इससे पहले के तीन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को मामूली बहुमत मिला या फिर बाहरी समर्थन से सरकार बनानी पड़ी। इस लिहाज से देखा जाए तो पिछले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक उत्तराखंड में भाजपा एकछत्र राज करती आ रही है और अब निकाय चुनाव के वक्त भाजपा के लिए इसी राज को कायम रख पाना सबसे बड़ी चुनौती भी है।
वैसे भी भाजपा की पकड़ शहरी क्षेत्रों में परंपरागत रूप से मजबूत मानी जाती है और पिछले निकाय चुनाव में भी भाजपा ने बढ़त हासिल की थी। विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार सियासी पार्टियां निकाय चुनाव में जनमत का सामना करने जा रही हैं। विधानसभा चुनाव के जो नतीजे रहे, उनमें कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव में खोने के लिए कुछ भी नहीं है।
इसके विपरीत भाजपा पर अपने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव रहेगा, क्योंकि निकाय चुनाव के नतीजों की तुलना लोकसभा व विधानसभा चुनाव के नतीजों से की जाएगी। इस स्थिति में अगर भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षा से थोड़ा भी कमतर रहा, तो विपक्ष और मुख्यतया कांग्रेस के लिए यह लोकसभा चुनाव में जाने के पहले मनोवैज्ञानिक बढ़त का काम करेगा। विपक्ष निकाय चुनाव के नतीजों को प्रदेश की भाजपा सरकार के लगभग डेढ़ साल के कामकाज की कसौटी पर भी परखेगा।
प्रत्याशियों की घोषणा जल्द भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि निकाय चुनाव में भी भाजपा शानदार विजय प्राप्त करेगी। चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा शीघ्र कर दी जाएगी। इस क्रम में चुनाव समिति की बैठक जल्द बुलाई जा रही है। भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा यह चुनाव विकास व भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को मुद्दा बनाकर लड़ेगी। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार प्रदेश को विकास पथ पर आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश को आर्थिक तौर पर खोखला कर दिया था और प्रदेश में विकास ठप हो गया था, लेकिन अब केंद्र व प्रदेश में डबल इंजन की सरकार ने जनता में नया विश्वास पैदा किया है। उन्होंने कहा की पार्टी की चुनाव समिति की शीघ्र बैठक बुलाई जा रही और प्रत्याशियों की घोषणा भी जल्द कर दी जाएगी।
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