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उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह की सिफारिशों का पालन कराना चुनौती

राजकीय महाविद्यालय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों व विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र संघ चुनाव में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का अनुपालन कराना बड़ी चुनौती होगी।

By BhanuEdited By: Updated: Mon, 02 Sep 2019 11:45 AM (IST)
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उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह की सिफारिशों का पालन कराना चुनौती
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के सभी राजकीय महाविद्यालय, सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों व विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र संघ चुनाव लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार होंगे। इसके तहत प्रिंटेड बैनर-पोस्टर, हैंड कार्ड का प्रयोग तो प्रतिबंधित है ही, कैंपस के बाहर रैली या जुलूस भी वर्जित है। कॉलेज खुलते ही लिंगदोह की सिफारिशें प्रभावी हो जाएंगी। मगर दून में पिछले अनुभवों की बात करें तो छात्र संगठन अक्सर इन सिफारिशों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। हालांकि डीएम व एसएसपी ने छात्र संगठनों को सिफारिशों का अनुपालन करने की सख्त हिदायत दी है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी पुलिस व प्रशासन के लिए लिंगदोह की सिफारिशों का पालन कराना किसी चुनौती से कम नहीं है।

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां वर्ष 2018 में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का पुनर्गठन किया गया और बदले नियमों के अनुसार पूरे प्रदेश में एक ही तिथि को चुनाव करवाए गए। पिछले वर्ष पहली बार चुनाव में कई नए नियमों को लागू किया गया, मसलन कोई भी छात्र संगठन महाविद्यालय कैंपस से बाहर चुनाव रैली एवं शक्ति प्रदर्शन नहीं कर सकता।

दून के चार बड़े महाविद्यालय डीएवी, डीबीएस, एमकेपी व श्री गुरुराम राय महाविद्यालय में इसका ज्यादा असर नहीं देखा गया। छात्र संगठन इस बार भी धड़ल्ले से प्रिंटेड प्रचार सामग्री का प्रयोग कर रहे हैं और कैंपस के बाहर से रैली व प्रदर्शन शुरू कर कॉलेज पहुंच रहे हैं। 

लिंगदोह की सिफारिशों के संदर्भ में उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एससी पंत की ओर से प्रदेश के सभी महाविद्यालय के प्राचार्य को इसकी प्रति भेजी गई है। चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर चुनाव के लिए तैनात चुनाव अधिकारी तत्काल चुनाव को रद कर सकता है। छात्र संघ चुनाव में खर्चे की अधिकतम सीमा 25 हजार है। केवल दस हजार से अधिक छात्र संख्या वाले डीएवी महाविद्यालय देहरादून व एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में खर्च की सीमा 50 हजार रुपये रखी गई है। चुनाव लड़ने वाले स्नातक के छात्र की आयु सीमा 17 से 22 वर्ष व स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थी की उम्र एक जुलाई 2019 तक 25 वर्ष होनी चाहिए।

छात्र संगठनों ने दिया पालन करने का भरोसा 

डीएवी पीजी कॉलेज के मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. गोपाल क्षेत्री के अनुसार, डीएवी पीजी कॉलेज में सभी छात्र संगठनों की संयुक्त बैठक में सीओ डालनवाला ने स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव की तिथि घोषित होते ही लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें कॉलेज के अंदर व बाहर प्रभावी होंगी। प्रिंटेड प्रचार सामग्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। छात्र संगठनों ने अपनी ओर से इसका पालन करने का भरोसा दिया है।

डीएवी-डीबीएस के 14 छात्र नेताओं के जमानती वारंट

छात्रसंघ चुनाव में अशांति फैला सकने वाले छात्र नेताओं पर पुलिस ने अभी से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। डालनवाला कोतवाली की पुलिस ने डीएवी पीजी कॉलेज और डीबीएस कॉलेज के ऐसे 67 छात्र नेताओं को चिन्हित करते हुए उन सभी का सीआरपीसी की धारा 107/116 में चालान करते हुए नोटिस जारी कर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। इसमें से 53 कोर्ट में पेश हुए, मगर 14 पेशी पर नहीं पहुंचे। इन सभी के खिलाफ कोर्ट ने जमानती वारंट जारी कर सोमवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।

छात्रसंघ चुनाव की घोषणा होने के साथ ही एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने अधिकारियों व थानेदारों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की अवहेलना और शहर में अराजकता फैलाने वाले छात्र नेताओं को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाए। 

इसके लिए पुलिस ने विगत वर्षों में हुए छात्रसंघ चुनाव की फाइलों को पलटीं और उसमें से जिन लोगों के खिलाफ पूर्व में मुकदमा दर्ज हुआ था, उनके नामों की लिस्ट बनाते हुए ऐसे 67 छात्रनेताओं को पाबंद किया है। 

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एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि विगत वर्षों में हुए छात्रसंघ चुनाव के दौरान हुड़दंग करने में जिन छात्र नेताओं के नाम सामने आए थे, उन सभी के खिलाफ पाबंदी की कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी किए गए थे। कुल 67 को नोटिस जारी हुए थे। इसमें से 53 ने कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखा, लेकिन जो 14 छात्र नेता पेश नहीं हुए उन सभी के खिलाफ कोर्ट से जमानती वारंट जारी किया गया है। सभी को अब कोर्ट में पेश होना होगा।

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