Devasthanam Board: उत्तराखंड सरकार ने भंग किया देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड, मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट पर सीएम धामी ने लिया निर्णय
Chardham Devasthanam Board दो साल से चली आ रही खींचतान के बाद आखिरकार उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को सरकार ने भंग कर दिया। सरकार इससे संबंधित अधिनियम को वापस लेने जा रही। मुख्यमंत्री ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को निरस्त कर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा की।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:32 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Chardham Devasthanam Board दो साल से चली आ रही खींचतान के बाद आखिरकार उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को सरकार ने भंग कर ही दिया। सरकार इससे संबंधित अधिनियम को वापस लेने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को निरस्त कर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा की। इस संबंध में गठित उच्च स्तरीय समिति व मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया।
देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और इसके तहत गठित देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों में उत्पन्न रोष को देखते हुए धामी सरकार ने यह निर्णय लेने के संकेत दे दिए थे। मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने बीते सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर निर्णय लेने में देर नहीं लगाई। मंगलवार को उन्होंने अधिनियम को निरस्त कर बोर्ड भंग करने की घोषणा कर दी। साथ ही कहा कि संबंधित अधिनियम को वापस लेने की कार्यवाही की जा रही है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे वापस लिया जा सकता है। धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार का फैसला पलट दिया। बीते रोज मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट
हालांकि, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के खिलाफ हक-हकूकधारियों और पंडा समाज में जिस तरह असंतोष पनप रहा था, उसे देखते हुए धामी की पूर्ववर्ती तीरथ सिंह रावत सरकार ने भी बोर्ड पर कदम पीछे खींचने के संकेत दिए थे। बीते जुलाई माह में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने राज्यसभा के पूर्व सदस्य मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति ने हाल में अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। मुख्यमंत्री ने समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए तीन कैबिनेट मंत्रियों सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल व स्वामी यतीश्वरानंद की मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की। साथ ही उपसमिति को दो दिन के भीतर अपनी संस्तुति देने को कहा था।
घोषित समय पर लिया फैसला
मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर बीते रोज मुख्यमंत्री को अपनी संस्तुति सौंपी। सरकार ने पहले ही साफ किया था कि 30 नवंबर तक इस विषय पर वह निर्णय ले लेगी। इसीलिए तीर्थ पुरोहितों से मंगलवार तक धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया गया। सरकार ने मंगलवार सुबह यह फैसला लिया। पिछले दो साल से देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहितों और सरकार के बीच टकराव बना हुआ था। विपक्षी दल भी बोर्ड के गठन का विरोध कर रहे थे। चुनाव से ठीक पहले सरकार ने टकराव को टालते हुए देवस्थानम बोर्ड पर कदम पीछे खींच लिए। दिसंबर, 2019 में पारित हुआ था विधेयकभाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट ने उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी दी थी और नौ दिसंबर 2019 को यह विधेयक विधानसभा से पारित कराया गया था। राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया। सरकार ने 25 फरवरी, 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन कर दिया था। बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और धर्मस्व व संस्कृति मंत्री इसके उपाध्यक्ष बनाए गए। गढ़वाल मंडलायुक्त रविनाथ रमन को बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद सौंपा गया। मुख्य सचिव समेत कई नौकरशाह इसके सदस्य बनाए गए। टिहरी रियासत के राजपरिवार का एक सदस्य, ङ्क्षहदू धर्म मानने वाले तीन सांसद व छह विधायक इसमें बतौर सदस्य नामित करने का प्रविधान किया गया। इसके अतिरिक्त चार दानदाता, ङ्क्षहदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्तियों, पुजारी और वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधियों को भी बोर्ड में जगह दी गई।
बोर्ड के दायरे में लाए गए थे 51 मंदिरदेवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के दायरे में चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनसे जुड़े मंदिरों समेत कुल 51 मंदिर लाए गए। बोर्ड के माध्यम से इन मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने की मंशा थी।
यह भी पढ़ें- Devasthanam Board: तीर्थ पुरोहितों ने निकाली जनाक्रोश रैली, पुलिस से धक्का-मुक्की, समर्थन को पहुंचे प्रीतम यह होगा अगला कदमउत्तराखंड चार धाम देवस्थानम अधिनियम को वापस लेने के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक पेश करेगी। आगामी विधानसभा सत्र नौ व 10 दिसंबर को होना है। माना जा रहा है विधानसभा के शीत सत्र में देवस्थानम अधिनियम को वापस लिया जाएगा। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन से पहले बदरीनाथ व केदारनाथ की व्यवस्था बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अधीन थी, जबकि गंगोत्री व यमुनोत्री की अपनी-अपनी मंदिर समितियां थीं। अब बोर्ड भंग होने पर यही व्यवस्था बहाल हो जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देव स्थान हमारे लिए सर्वोपरि रहे हैं। आस्था के इन केंद्रों में सदियों से चली आ रही परंपरागत व्यवस्था का हम सम्मान करते हैं। गहन विचार-विमर्श और सर्व सहमति के बाद ही सरकार ने देवस्थानम अधिनियम को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस विषय पर सुझाव देने के लिए सभी तीर्थ पुरोहितों, विद्वान पंडितों, हक- हकूकधारियों और चारधाम से जुड़े सभी वर्गों का आभार।
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