देवभूमि के फूलों से महकेंगे चारों धाम, सरकार बना रही योजना
उत्तराखंड के प्रसिद्ध गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ व केदारनाथ धाम इस बार देवभूमि में उत्पादित फूलों से ही महकेंगे। इसके लिए सरकार ने योजना बनाई है।
ऋषिकेश, [दुर्गा नौटियाल]: योजना फलीभूत हुई तो आने वाले समय में उत्तराखंड के प्रसिद्ध गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ व केदारनाथ धाम इस बार देवभूमि में उत्पादित फूलों से ही महकेंगे। राज्य सरकार ने स्थानीय उत्पादकों की आजीविका बढ़ाने और यहां उत्पादित फूलों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए योजना तैयार की है।
दरअसल, चारों धाम में प्रतिवर्ष सजावट व पूजा में करीब दस लाख टन फूलों की खपत होती है। लेकिन, इसके लिए बाहरी राज्यों की बड़ी मंडियों का मुंह ताकना पड़ता है।
चारों धामों की कपाट खुलने और कपाट बंद होने पर फूलों से भव्य सजावट की जाती है। साथ ही यात्राकाल में भी मंदिरों की सजावट और पूजा के लिए फूलों की भारी डिमांड रहती है। यह फूल दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों की मंडियों से मंगाए जाते हैं।
लेकिन, अब कृषि विभाग ने राज्य के किसानों को ही फूलों की सप्लाई के लिए प्रोत्साहित करने की पहल की है। इसके लिए चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में पुष्पोत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार की मंशा उत्तराखंड में कलस्टर आधारित फूलों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने की है।
15 से बढ़कर 90 हेक्टेयर होगा क्षेत्रफल
वर्तमान में उत्तराखंड में करीब 200 करोड़ का फूलों का कारोबार हो रहा है। जबकि, राज्य में पुष्प उत्पादन का क्षेत्रफल महज 15 हेक्टेयर है। मगर, अब कृषि विभाग ने करीब 90 हेक्टेयर भूमि पर पॉली हाउस के माध्यम से फूलों की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके तहत गुलाब, गेंदा व रजनीगंधा के अलावा जरबेरा, कारनेशन, ग्लोडियोलस व लिलियम का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया जाएगा।
बाजार नहीं मिला तो छोड़ा उत्पादन
उत्तराखंड में फूलों की खपत को ठीक-ठाक है, मगर अब तक किसानों को यहां बाजार नहीं मिल पाया। करीब दस वर्ष पहले तक देहरादून व हरिद्वार जिले में फूलों का अच्छा-खासा उत्पादन होता था। धीरे-धीरे उत्पादन इतना बढ़ गया कि फूलों को बेचने के लिए न तो बाजार मिल पाया और न अच्छे दाम ही। नतीजा, किसान पुष्प उत्पादन से विमुख होने लगे।
सरकार की मंशा उम्मीद जगाने वाली
छिद्दरवाला के किसान देवेंद्र नेगी बताते हैं कि विपणन की सुविधा और उचित दाम न मिलने के कारण उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से फूलों की खेती करना छोड़ दिया है। त्रिवेणी घाट पर फूलों का व्यवसाय करने वाली और बदरीनाथ धाम में फूलों की सजावट का काम करने वाली चंदना ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में फूलों का उत्पादन घटा है।
अब उन्हें दिल्ली समेत अन्य मंडियों से ही फूल खरीदने पड़ते हैं। यदि सरकार पुष्प उत्पादन को नोटिफाइड करती है तो आने वाले समय में किसानों को प्रदेश में ही बाजार उपलब्ध हो जाएगा।
चमोली जिले में कार्य शुरू
उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक सरकार कलस्टर के माध्यम से पुष्पोत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। चमोली जिले में इस पर काम शुरू भी हो गया है। भविष्य में हम मांग के अनुरूप पुष्पोत्पादन कर सके तो निश्चित रूप से चारों धाम में स्थानीय पुष्प उत्पादकों के फूलों की ही मार्केटिंग की जाएगी।
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