Chardham Yatra: शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, उत्सव में शामिल हुए चार हजार से अधिक श्रद्धालु
Chardham Yatra 2021 आज बदरीनाथ धाम के चारधाम यात्रा का विधिवत समापन हो गएया। बदरीनाथ धाम के कपाट वृष लग्न में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर बंद किए गए। इस दौरान चार हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 20 Nov 2021 09:47 PM (IST)
संवाद सूत्र, बदरीनाथ (चमोली)। Chardham Yatra 2021 बदरीनाथ धाम के कपाट वृष लग्न में शनिवार शाम 6.45 बजे विधि-विधानपूर्वक शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ उत्तराखंड हिमालय की चारधाम यात्रा ने भी विराम ले लिया। कपाटबंदी के अवसर पर रिकार्ड 4366 श्रद्धालु धाम में मौजूद रहे। अब शीतकाल के दौरान भगवान बदरी नारायण के दर्शन योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में होंगे। उधर, बदरीनाथ धाम के साथ ही सुभांई गांव स्थित भविष्य बदरी धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए।
उत्तराखंड चमोली जनपद में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए। रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने वृष लग्न में शाम 6:45 बजे धाम के कपाट बंद किए। कपाट बंदी उत्सव में 4,366 श्रद्धालु शामिल हुए।@MygovU @UTDBofficial #BadrinathTemple
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— Amit Singh (@Join_AmitSingh) November 20, 2021
समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया भगवान नारायण के फूलों से शृंगार के साथ सुबह ही शुरू हो गई थी। नित्य पूजाओं के बाद भगवान को दोपहर का भोग लगाया गया। वैसे दोपहर का भोग लगने के बाद कुछ समय के लिए मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं, लेकिन कपाटबंदी के मौके पर दिनभर कपाट खुले रहे। इस दिन को यादगार बनाने के लिए मंदिर को 20 क्विंटल गेंदा व अन्य प्रजाति के फूलों से सजाया गया था।
शाम को भगवान के तन से फूल हटाकर उन्हें देश के अंतिम गांव माणा की कुंआरी कन्याओं का बुना घृत कंबल ओढ़ाया गया। अब अगले साल कपाट खुलने के मौके पर यही घृत कंबल श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। इससे पूर्व, धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी मां लक्ष्मी को गर्भगृह में लाने के लिए उनकी सखी के वेश में मंदिर परिसर स्थित मां लक्ष्मी के मंदिर पहुंचे। इसी दौरान गर्भगृह में स्थित बदरीश पंचायत से भगवान के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की उत्सव मूर्ति और आदि शंकराचार्य की गददी को बाहर लाया गया। जबकि, मां लक्ष्मी को गर्भगृह में भगवान नारायण के साथ विराजित किया गया और इसी के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
इस दौरान सेना व भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के बैंड की मधुर धुनों पर माणा व बामणी गांव की महिलाओं ने पारंपरिक पौंणा नृत्य की छटा बिखेरी। कपाटबंदी पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र सती, सुमन प्रसाद डिमरी, पं. मोहित डिमरी, अंकित डिमरी, ज्योतिष डिमरी समेत हक-हकूकधारी व श्रद्धालु मौजूद रहे।
रविवार को पांडुकेश्वर पहुंचेंगे भगवान नारायण के प्रतिनिधिभगवान नारायण के प्रतिनिधि के रूप में उद्धवजी व कुबेरजी की उत्सव डोली और आदि शंकराचार्य की गद्दी यात्रा रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की अगुआई में रविवार सुबह पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद उद्धवजी योग-ध्यान बदरी मंदिर और कुबेरजी अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। जबकि, आदि शंकराचार्य की गद्दी यात्रा योग-ध्यान बदरी मंदिर में रात्रि प्रवास के बाद सोमवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचेगी।
चारों धाम पहुंचे 5.06 लाख यात्री
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- बदरीनाथ, 197056
- केदारनाथ, 242712
- गंगोत्री, 33166
- यमुनोत्री, 33306
- कुल, 506240