खुद को एम्स का अधिकारी बताकर करता था ठगी, जानिए मामला
एम्स ऋषिकेश में नियुक्ति के नाम पर ठगी के धंधे में पुलिस गिरफ्त में आया आरोपित दीपक गोवारी खुद को एम्स में अधिकारी बताता था।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 28 Jan 2019 09:52 AM (IST)
ऋषिकेश, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में नियुक्ति के नाम पर ठगी के धंधे में पुलिस गिरफ्त में आया आरोपित दीपक गोवारी खुद को एम्स में अधिकारी बताता था। बेरोजगारों को झांसा देने के लिए उसने एम्स की वेबसाइट में प्रदर्शित नंबर से मिलता जुलता नंबर भी ले रखा था।
कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने बताया कि दीपक गोवारी सहित मामले में फरार पुष्पा शाह, प्रशांत शर्मा और दीपक तोमर का एम्स में काफी आना जाना था। वह महत्वपूर्ण विभागों में अक्सर नजर आते थे। दीपक गोवारी को बेरोजगारों का एम्स में मेडिकल कराने का जिम्मा दिया गया था। एक लाख रुपया प्रति अभ्यर्थी उसे देना तय हुआ था। दीपक गोवारी को कंप्यूटर की अच्छी जानकारी थी। वह डॉल्फिन इंस्टीट्यूट देहरादून से माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक है।वह ही अभ्यर्थियों के नाम लिखकर फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करता था। बरामद नियुक्ति पत्र एम्स के लेटर पैड पर बना है। इसमें एम्स का मोनोग्राम है और निदेशक एम्स के डिजिटल हस्ताक्षर हैं। इन सब परिपत्रों को जांच के लिए आगे भेजा जा रहा है। दीपक गोवारी ने एम्स की वेबसाइट में मोबाइल नंबर 9410773263 देखा था। जिस पर उसने मिलता-जुलता नंबर 9410773363 अपनी आइडी पर खरीदा। इसे वह सुधीर चौधरी के नाम से स्वयं चलाता था। दीपक गोवारी स्वयं को एम्स का अधिकारी सुधीर चौधरी बताता था।
आरोपितों के एम्स में तार किस रूप में और कहां तक जुड़े हैं इस बात की जांच मुख्य रूप से की जा रही है। यह भी पता किया जा रहा है कि एम्स के भीतर किन किन लोगों के साथ इनका उठना बैठना था। मामले में फरार दीपक तोमर के खिलाफ प्रदीप पाल निवासी रुड़की हरिद्वार की शिकायत पर पहले भी मुकदमा दर्ज हो चुका है।यह भी पढ़ें: एम्स में नौकरी के नाम पर लाखों ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार
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