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उत्‍तराखंड : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहुंचे दिल्ली, शुरू हुआ अटकलों का दौर

मुख्यमंत्री तीरथ के केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली पहुंचते ही एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया। इस दौरे को मुख्यमंत्री के उप चुनाव से तो जोड़ा ही गया साथ ही उप चुनाव में अड़चन की स्थिति में नेतृत्व परिवर्तन की बात भी राजनीतिक गलियारों में चली।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 01 Jul 2021 08:25 AM (IST)
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उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat Delhi Visit मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर बुधवार को दिल्ली पहुंचते ही एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया। इस दौरे को मुख्यमंत्री के उप चुनाव से तो जोड़ा ही गया, साथ ही उप चुनाव में अड़चन की स्थिति में नेतृत्व परिवर्तन की बात भी राजनीतिक गलियारों में चली। राज्य के दो मंत्रियों की दिल्ली में मौजूदगी को भी इससे जोड़ दिया गया। हालांकि, खुद मुख्यमंत्री ने कहा कि वह रामनगर चिंतन शिविर में पार्टी द्वारा तय की गई चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को दिल्ली आए हैं। मुख्यमंत्री बुधवार को दोपहर में दिल्ली पहुंच गए, लेकिन देर रात तक उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात नहीं हो पाई थी।

महज साढ़े तीन महीने पहले प्रदेश सरकार में आकस्मिक रूप से हुए नेतृत्व परिवर्तन के बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री तीरथ को अचानक आलाकमान द्वारा दिल्ली बुलाए जाने से सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगीं। रामनगर में आयोजित भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर में भाग लेकर मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री देहरादून पहुंचे। बुधवार सुबह वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इसके साथ ही कई तरह की चर्चाओं ने तेजी से जोर पकड़ा।

मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाए जाने को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा गया तो मुख्यमंत्री के उपचुनाव में आ रही अड़चन से भी। यह बात भी उठी कि यदि उपचुनाव होता है तो मुख्यमंत्री गंगोत्री सीट से शायद ही चुनाव लड़ें, क्योंकि देवस्थानम बोर्ड को लेकर वहां तीर्थ पुरोहित नाराज चल रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री गढ़वाल संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली किसी विधानसभा सीट को तवज्जो दे सकते हैं। यह अटकलें भी लगाई गईं कि यदि उपचुनाव की स्थिति नहीं बनी तो सरकार में फिर से नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।

नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सरकार ने पिछली सरकार में बंटे दायित्वों को निरस्त कर दिया था। दायित्व वितरण के लिए ऐसा फार्मूला निकालने पर जोर दिया जा रहा, जिससे संगठन में कहीं भी असंतोष के सुर न उभरें। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे को इस मसले से भी जोड़कर देखा गया। इसके अलावा पार्टी विधायकों और कार्यकर्त्‍ताओं की जुबानी जंग सरकार व संगठन को असहज किए है। चर्चा रही कि मुख्यमंत्री इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व से विमर्श कर सकते हैं।

सियासी गलियारों में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व राज्यमंत्री डा धन सिंह रावत के दिल्ली पहुंचने और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से उनकी कथित मुलाकात की भी चर्चा रही। हालांकि, संपर्क करने पर राज्यमंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि वह रामनगर से लौट रहे हैं और हरिद्वार में हैं। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज से फोन पर संपर्क नहीं हो पाया, लेकिन बताया गया कि वह रामनगर से ही निजी कार्यक्रम में भाग लेने दिल्ली चले गए थे।

सुबोध उनियाल (सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री) का कहना है कि राष्ट्रीय दलों की सरकारों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों का दिल्ली आना-जाना सामान्य बात है। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे को लेकर कोई अन्य अर्थ नहीं लेना चाहिए।

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