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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बच्‍चों के साथ मनाया फूलदेई त्‍योहार

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड का पारंपरिक फूलदेई त्योहार बच्चों के साथ मनाया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 14 Mar 2020 05:50 PM (IST)
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बच्‍चों के साथ मनाया फूलदेई त्‍योहार
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में शनिवार से फूलदेई का त्योहार शुरू हो गया। मुख्यमंत्री आवास में भी फूलदेई की बयार रही। वहीं, महाराष्ट्र राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी बच्चों संग फूलदेई मनाया और पौधरोपण किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड का पारंपरिक फूलदेई त्योहार बच्चों के साथ मनाया। मुख्यमंत्री ने प्रकृति के इस त्योहार की बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि प्रकृति संरक्षण हमारी संस्कृति में है। यह बड़ी खुशी की बात है कि हमारे बच्चों में अपनी संस्कृति और परंपराओं से लगाव बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोकर रखने की जरूरत है। प्रकृति के इस त्योहार को संजोए रखने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। फूलदेई का त्योहार सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। उन्होंने प्रदेशवासियों को फूलदेई की बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने सीएम आवास आए बच्चों को उपहार भेंट किए और पौधरोपण भी किया।

शैलेश मैठाणी अपने रंगोली आंदोलन के तहत बच्चों की टोली के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। आवास की दहलीज पर फूल डालने के बाद बच्चों ने मुख्यमंत्री को रंग लगाया। साथ ही फूल-फूलमाई दाल दे, खूब-खूब खज्जा. समेत अन्य फुलारी के गीत गाए। मुख्यमंत्री ने शगुन में बच्चों को मुट्ठी भर चावल और गेहूं भेंट किए। वहीं, डीपीएमआइ संस्थान में फूलदेई के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। छात्र ओम, उर्वशी, ममता, अवंतिका, दीक्षा, सौरव, सुनीता, दीपांशी ने मंगलगीत से कार्यक्रम का उद्घाटन किया। संस्थान के अन्य छात्रों ने भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। संस्थान के निदेशक नरेंद्र सिंह और मैनेजर अश्वनी ने प्रस्तुति देने वाले छात्र-छात्रओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर डॉ. इंदु राणा, गिरीश तिवारी, विश्वजीत नेगी, बृजेश चंद्र, विक्रम श्रीवास्तव मौजूद रहे।

आरकेडिया ग्रांट में कन्याओं के साथ मनाया फूलदेई

पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति ने आरकेडिया ग्रांट बड़ोवाला में कन्याओं के साथ लोकपर्व फूलदेई संक्रांति मनाया। शनिवार सुबह कन्याओं ने क्षेत्र के लोगों के घरों के द्वार (देहरी) पर फूल रखकर पूजन किया। झीवरहेड़ी स्थित न्यू ऐरा ऐकेडमी परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें वक्ताओं ने फूलदेई के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर स्कूल प्रधानाचार्य मोनिका रावत, संस्था अध्यक्ष जसवीर बड़थ्वाल, सचिव चंद्रशेखर जोशी, संदीप रावत, जयकृत रावत, सतेंद्र पंवार, दीपक मेहता, राकेश कुमार, दिगम्बर, वैष्णवी जोशी, पल्लवी सेठ, सिद्धि, अयाना, आयुषी, अनीता भंडारी, विमला बिष्ट, रजनी जोशी आदि मौजूद रहे।

पवित्र फूलदेई पर्व आज से शुरू

पवित्र फूल्यात (फूलदेई) पर्व आज से शुरू हो गया है। जो पूरे एक महीने तक चलेगा। बैशाख संक्रांति को ठेस्या पूजन के साथ खत्म होगा। फूल्यात या फूलदेई प्रमुख रूप से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में मनाया जाता है। फूलदेई को लेकर बच्चे विशेषतौर पर उत्सुक रहते हैं। विशेषकर लड़कियां प्रतिदिन सूरज निकलने से पहले गांवों के समीप खेतों से ताजे फूल तोड़ कर लाती हैं और अपने ईष्टदेव, मंडाण चौक, घरों की देहरी, चूल्हे तथा परिवार के बुजुर्गो के कंधों पर फूल रख कर पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। मान्यता के अनुसार सूरज निकलने के बाद फूलों को नहीं तोड़ा जाता है।

पूरे चैत महीने में फूलों से की जाने वाली पूजा बैशाख के आगमन पर बैशाख संक्रांति को बच्चों के ठेस्या पूजन के साथ समाप्त होती है। इस दौरान चैत्र महीने में फूलों से पूजा करने वाले बच्चों को दावतें दी जाती है, जिसको अंदरेड़ियो कहा जाता है। कन्याओं द्वारा फूल पूजने के पीछे बहुत पवित्र भाव छिपा है क्योंकि कन्याओं को माता दुर्गा का रूप माना जाता है। फूलदेई के पहले दिन चावल के दानों से पूजा होती है और दूसरे दिन पीले फ्योंली के फूलों से पूजा की जाती है।

इसके बाद विभिन्न प्रकार के ताजे फूलों से पूजा होती है। लगभग दो दशक पहले तक फूल्यात की शुरुआत के दिन अर्थात चैत्र संक्रांति के दिन हर गांव में ढोल वादकों के परिवार की महिलाएं गांव के मंडाण चौक में विशेष गीतों के साथ नृत्य करती थीं, लेकिन यह परंपरा अब लगभग दम तोड़ चुकी है। बावजूद ढोलवादक गांव के हर एक परिवार के आंगन में जाकर ढोल बचाकर फूल्यात की बधाई देते हैं। 

महाराष्ट्र के राजभवन में भी दिखेगी फुलदेई की रौनक

प्रदेश के पारंपरिक त्योहार फुलदेई की रौनक इस बार मुंबई के राजभवन में भी दिखेगी। 'रंगोली' आंदोलन के तहत मराठी समुदाय के बच्चे महाराष्ट्र के राजभवन में फुलदेई मनाएंगे। उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री आवास की देहरी पर नौनिहाल पुष्प वर्षा करेंगे। इसके अलावा नौनिहाल मुख्यमंत्री आवास में भी फुलदेई मनाएंगे।

रंगोली आंदोलन के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी ने बताया कि फुलदेई आंदोलन को देश में पहचान दिलाने के लिए ही रंगोली आंदोलन की शुरुआत की थी। एक समय था जब प्रदेश से फुलदेई लगभग गायब हो गया था। लेकिन पहाड़ के इस अनूठे त्योहार के वजूद को बचाने के लिए रंगोली आंदोलन के तहत पहले प्रदेश में इसे दोबारा जीवित किया गया फिर देश के दूसरे राज्यों में इसका प्रसार किया गया। मैठाणी ने बताया कि आज के समय में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र और कई विदेशी देशों में फुलदेई का प्रसार हो चुका है। 

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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस मुहिम से जुड़ने पर खुशी जताई। उन्होंने वहां महाराष्ट्र के बच्चों को राजभवन में आमंत्रित किया है, जिन्हें वह फुलदेई के बारे में बताएंगे। मैठाणी ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर भी सुबह फुलदेई का कार्यक्रम रखा गया है। कार्यक्रम में राजभवन और मुख्यमंत्री आवास में फलदार पौधों का रोपण भी किया जाना है।

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