सर्दी बढ़ने से निमोनिया की चपेट में आ रहे बच्चे, अस्थमा भी कर रहा परेशान; इस तरह रखें लाडले का ध्यान
Winter Disease सर्दी बढ़ने के साथ ही निमोनिया और अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोजाना 15-20 बच्चे निमोनिया से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं। ठंड और प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों पर बुरा असर डाल रहा है। इस मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखना जरूरी है। सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून । Winter Disease: सर्दी बढ़ने के साथ ही बच्चे निमोनिया की चपेट में आने लगे हैं। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में रोजाना निमोनिया पीड़ित 15-20 बच्चे पहुंच रहे हैं। ठंड व प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों पर भी असर डाल रहा है। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है।
अस्थमा, सर्दी-जुकाम, बुखार और एलर्जी के मरीज भी हर दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। स्थिति यह है कि दून मेडिकल कालेज अस्पताल में निक्कू व पीकू वार्ड फुल हो गए हैं और पीडिया वार्ड में भी 88 प्रतिशत बेड पर मरीज भर्ती हैं।
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सर्दियों में तेजी से बढ़ जाती हैं श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक के अनुसार सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं। खासकर छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में। सर्दी-खांसी जैसे मामूली लक्षणों की अनदेखी करने पर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।
बताया कि अगर निमोनिया में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती तो उसे दवा दी जाती हैं। इसमें बुखार और सर्दी-खांसी कम करने की दवा दी जाती हैं। इसके साथ ही बच्चे की स्थिति के आधार पर एंटीबायोटिक दी जाती है।
माइल्ड केस में फालोअप करना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसे मामलों में अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। अगर मामला गंभीर है तो अस्पताल में भर्ती कर बच्चे का इलाज किया जाता है। डा. अशोक के अनुसार अस्पताल में 30 बेड का पीकू व 13 बेड का निक्कू वार्ड फुल चल रहा है, जबकि 40 बेड के पीडिया वार्ड में 35 बच्चे भर्ती हैं।
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संक्रमित व्यक्ति खांसता व छींकता है तो वायरस व बैक्टीरिया सांस से फेफड़ों तक पहुंच कर सामने बैठे व्यक्ति को संक्रमित कर देते हैं। निमोनिया का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होता है। खासतौर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने और दूध पीने में दिक्कत होती है।यह हैं निमोनिया के प्रमुख लक्षण
तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंक के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।लक्षण पहचानें, तुरंत चिकित्सक को दिखाएं
नवजात शिशु देखने में बीमार लगे, दूध न पिए, सांस लेने में दिक्कत हो, सुस्त हो, रोये या बुखार हो तो उन्हें निमोनिया हो सकता है। इसके लिए तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। निमोनिया से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें। बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते हैं, अवश्य पिलाएं तथा बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराएं। यह भी पढ़ें- Dehradun Crime: जिस कमरे में छात्रा संग हुई थी हैवानियत, वहां रहता मिला ऐसा शख्स जिसे देख पुलिस हैरानखांसी जल्दी नहीं हो रही ठीक
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि खांसी होने पर जल्दी ठीक नहीं हो रही है। इन्फेक्शन के कारण खांसी अधिक दिनों तक चल रही है। सांस के पुराने मरीजों की परेशानी बढ़ने के कारण दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है। कई मरीजों को इनहेलर का सुझाव दिया गया है। वहीं नाक व गले में एलर्जी की समस्या भी बढ़ गई है। कुछ युवा भी सांस फूलने व छाती में दर्द की परेशानी के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।इन बातों का रखें ध्यान
- सफाई का रखें ध्यान
- धूल और गंदगी से छोटे बच्चों को दूर रखें। इससे उन्हें सांस की समस्या के साथ दस्त भी हो सकते हैं।
- छोटे बच्चों को रोज नहलाने के बजाय हर दूसरे दिन गर्म पानी में साफ्ट एंटीबैक्टीरियल लिक्विड डालकर उसमें नर्म तौलिया भिगोकर उनका शरीर साफ कर दें।
- मौसम के अनुसार बच्चे को गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दें।
- हल्की ठंड को नजरअंदाज न करें और बच्चे को हमेशा मोजे पहना कर रखें।
- गर्म तेल से करें मालिश।
- सर्दियों में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। डाइट में अंडा, ड्राई फ्राइट्स, दूध, मौसमी फल-सब्जियां शामिल करें।
- सर्दी में भूल से भी बच्चे को ठंडी चीजें न खिलाएं। बासी या ठंडा खाना न दें।
- गर्मी हो या सर्दी शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। ऐसे में पानी पर्याप्त मात्रा में दें।
- अच्छी हाइजीन की आदत डालें, साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- यह जरूरी है कि बच्चा भरपूर आराम करे और अच्छी नींद ले।
- बच्चे को बाहर निकलने पर अपनी–आंखों और मुंह को छूने से बचने के लिए प्रोत्साहित करें।
- आप बाहर से आ रहे हैं तो बच्चे से मिलने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लें।