Move to Jagran APP

उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में बनेंगे बाल गृह, वर्तमान में सरकारी स्तर पर सिर्फ पांच हो रहे संचालित

बाल संरक्षण योजना के तहत अब उत्तराखंड के सभी जिलों में बाल गृह बनाए जाएंगे। समेकित बाल विकास से संबंधित योजनाओं की समीक्षा बैठक में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने इस बारे में अधिकारियों को निर्देशित किया।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 02 Feb 2021 08:01 AM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में बनेंगे बाल गृह।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। बाल संरक्षण योजना के तहत अब उत्तराखंड के सभी जिलों में बाल गृह बनाए जाएंगे। समेकित बाल विकास से संबंधित योजनाओं की समीक्षा बैठक में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने इस बारे में अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी जिले के बाल मित्र थाने में अतिरिक्त कक्ष है तो उसमें भी संयुक्त रूप से बाल गृह संचालित किया जा सकता है। वर्तमान में राज्य में सरकारी स्तर पर केवल पांच बाल गृह ही संचालित हैं।

सचिवालय में मुख्य सचिव सभागार में हुई समीक्षा बैठक में आयोग की अध्यक्ष नेगी ने कहा कि जेजे अधिनियम नियमावली भी काफी समय से लंबित है। अभी तक जेजे बोर्ड और सीडब्लूसी का चयन भी नहीं हुआ है। उन्होंने यह कार्य मार्च से पहले पूर्ण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित बालक-बालिकाओं के लिए पोक्सो अधिनियम में विशेष राहत राशि उपलब्ध कराने का प्रविधान है। इसके लिए बाल कल्याण समिति को प्रस्ताव भेजना होता है। निर्देश दिए कि इस बारे में गाइडलाइन सभी जिलों को तत्काल भेज दी जाए। साथ ही पीड़ित बालक-बालिकाओं के लिए भोजन, कपड़ा, परिवहन व अन्य आकस्मिक जरूरतों के लिए सप्ताहभर में धनराशि जारी करने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए।

उन्होंने सभी जिलों में गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से उज्ज्वला गृह व सुधार गृह स्थापित करने और हरिद्वार कुंभ के दौरान समेकित बाल विकास की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के मद्देनजर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। इससे पहले बैठक में अधिकारियों ने बाल संरक्षण योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, आंगनबाड़ी केंद्र, महिला पुलिस वालंटियर, महिला शक्ति केंद्र, निर्भया फंड, वन स्टाप सेंटर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजनाओं की प्रगति के बारे में जानकारी दी।

बच्चों के लिए भी बनेंगे सेंटर

बैठक में बताया गया कि राज्य में वन स्टाप सेंटरों में कामकाजी महिला छात्रावास भी स्थापित किए गए हैं।आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि कामकाजी व पीडि़त महिलाओं के साथ बच्चे भी आते हैं, जिन्हें दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। उन्होंने वन स्टाप सेंटर में बच्चों के लिए भी सेंटर स्थापित करने को कहा। उन्होंने निर्भया फंड के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के निर्देश भी दिए। बैठक में सचिव महिला सशक्तीकरण और बाल विकास एचसी सेमवाल, आयोग की सदस्य सचिव झरना कमठान समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड का पहला बाल मित्र थाना शुरू, CM त्रिवेंद्र रावत ने किया उद्घाटन; ये रहेंगी सुविधाएं

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।