Citizenship Amendment Act: शाहीनबाग की तर्ज पर सीएए को लेकर दून में भी धरना शुरू
दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर सीएए को लेकर दून के परेड ग्राउंड में भी धरना शुरू हो गया। इसमें मुस्लिम समाज के साथ अन्य वर्गों के पुरुष और महिलाएं भी शामिल हुए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 28 Jan 2020 12:51 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज पर सीएए को लेकर देहरादून के परेड ग्राउंड में भी धरना शुरू हो गया। इसमें मुस्लिम समाज के साथ अन्य वर्गों के पुरुष और महिलाएं भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस कानून से समाज को धर्म के आधार पर बांटना चाहती है। उनका यह धरना शाहीन बाग की तर्ज पर तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार कानून को वापस नहीं ले लेती।
धरने पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रजिया बेग ने कहा कि संसद की ओर से पास किया गया नागरिकता संशोधन कानून संविधान की धारा 14 व 15 का उल्लंघन करता है, जिसमें भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र कहा गया है। अत: वह संविधान की मूल भावना के अनुरूप इस कानून का विरोध करते हैं। रईस फातिमा ने कहा कि एनआरसी, सीएए के जरिये हिंदू और मुस्लिमों को सुनियोजित तरीके से लड़ाने की साजिश की जा रही है। यही वजह है कि सोमवार से शुरू हुए इस धरने में समाज के सभी धर्मों और जातियों के लोग हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इस दौरान पार्षद सोनू उर्फ इदाद खान व इलियास अंसारी, जाकिर अंसारी, रिहाना, शहनाज, मेहराज बेगम, कृष्णा, शांति, साधना, लईका, राजेश्वरी, अजीम मिर्जा, कफील, रईस अहमद व अन्य लोग शामिल रहे।
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असहयोग आंदोलन की चेतावनीपीपुल्स फोरम उत्तराखंड ने सीएए के विरोध को लेकर अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन की चेतावनी दी है। फोरम के संयोजक जयकृष्ण कंडवाल ने मुख्यमंत्री के उस पर बयान पर आपत्ति भी जताई, जिसमें उन्होंने कहा है कि बाहर के लोग आकर उत्तराखंड में लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं। कंडवाल ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। सरकार कहती है कि विरोध-प्रदर्शन के लिए एक सप्ताह पहले अनुमति लेनी होगी। ऐसे में साफ है कि सरकार लोगों की आवाज दबाना चाहती है।
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