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एक्सक्लूजन क्लॉज की आड़ में क्लेम न देना पड़ा महंगा, भरना होगा हर्जाना Dehradun News

एक्सक्लूजन क्लॉज की आड़ लेकर उपभोक्ता का क्लेम खारिज करना इंश्योरेंस कंपनी को महंगा पड़ा। अब क्लेम अदायगी के साथ ही उसे 25 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति भी देनी होगी।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 01 Jan 2020 06:48 PM (IST)
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एक्सक्लूजन क्लॉज की आड़ में क्लेम न देना पड़ा महंगा, भरना होगा हर्जाना Dehradun News
देहरादून, जेएनएन। बीमा शर्तों के एक्सक्लूजन क्लॉज की आड़ लेकर उपभोक्ता का क्लेम खारिज करना इंश्योरेंस कंपनी को महंगा पड़ा। अब क्लेम अदायगी के साथ ही उसे 25 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति भी देनी होगी। जिला उपभोक्ता फोरम ने तीस दिन के भीतर भुगतान का आदेश दिया है। 

नयी बस्ती गुरु रोड निवासी निर्मला तड़ीवाल ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वादी के अनुसार उन्होंने इस बीमा कंपनी से मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी। बीमा अवधि के दौरान ही उन्हें इस्केमिक हार्ट डिजीज की वजह से सीएमआइ अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। जिसकी जानकारी बीमा कंपनी को भी दी गई थी। इलाज पर 1,56,673 रुपये खर्च आया, पर बीमा कंपनी ने क्लेम खारिज कर दिया। तर्क दिया कि बीमा शर्तों के एक्सक्लूजन क्लॉज से आच्छादित होने के कारण भुगतान नहीं किया जा सकता।

कहा गया कि परिवादी इस्केमिक हार्ट डिजीज विद डायबिटीज मेलिटस के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थी। पर साक्ष्य के आधार पर यह साबित हुआ कि प्रारंभिक जांच में परिवादी ने छाती में दर्द होना बताया था। बीमा कंपनी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से कहीं भी यह साबित नहीं हुआ कि उसने डायबिटीज मेलिटस का इलाज कराया था। एक्सक्लूजन क्लॉज में इस्केमिक हार्ट डिजीज का उल्लेख कहीं नहीं था। जिस पर उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने यह आदेश दिया कि बीमा कंपनी तीस दिन के भीतर क्लेम की राशि परिवादी को अदा करे। साथ ही 20 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय के भी दे। 

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क्या है एक्सक्लूजन क्लॉज 

सभी हेल्थकेयर पॉलिसी के तय एक्सक्लूजन (अपवाद) होते हैं। इनमें ऐसी कुछ बीमारियां और स्थितियां होती हैं जो इंश्योरेंसकर्ता पॉलिसी में शामिल नहीं करता। कुछ का क्लेम एक तय अवधि के बाद मिलता है। 

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