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'अंधेर' नगर निगम, 'चौपट' सफाई व्यवस्था, स्वच्छता सर्वेक्षण ने खोली पोल

राजधानी देहरादून में सफार्इ व्यवस्था पूरी तरह से चरमरार्इ हुर्इ है। वीवीआइपी क्षेत्र हो या फिर आम हर जगह बस कूड़े के ढेर ही नजर आ रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 08 Sep 2018 08:47 PM (IST)
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'अंधेर' नगर निगम, 'चौपट' सफाई व्यवस्था, स्वच्छता सर्वेक्षण ने खोली पोल
देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: अंधेर नगरी और चौपट राजा की तरह ही दून शहर का पूरा सफाई सिस्टम ध्वस्त है। नगर निगम के 'नियंता' हर मामले पर दावे जरूर बड़े-बड़े करते रहे, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम ने दावों की पोल खोल दी है। देश में स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 की सूची में दून पहले 100 शहरों में भी जगह नहीं बना सका। जबकि 2017 में दून 316 नंबर पर था। 

शहर में सबसे ज्यादा सवाल डोर-टू-डोर कूड़ा उठान को लेकर उठ रहे हैं। जब तक यह व्यवस्था एजेंसी के पास थी, तब तक कुछ राहत थी लेकिन जब ये व्यवस्था निगम ने अपने हाथों में ली, तभी से शहर के हालात खराब होते गए। हालात ये हैं कि वर्तमान में रोज तो दूर हफ्ते-हफ्ते तक भी गली-मोहल्लों से कूड़ा उठान नहीं हो रहा। लोगों के घरों के बाहर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं और निगम अधिकारी दफ्तर में बैठकर आराम फरमा रहे। यही वजह है कि हाईकोर्ट को दखल देकर चौबीस घंटे में शहर साफ करने के आदेश देने पड़े। 

वर्ष 2011 तक शहर में जहां देखो वहीं कूड़ा फेंक दिया जाता था पर 11 अगस्त को जेएनएनयूआरम के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम शुरू किया गया। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के तहत यह काम डीवीडब्लूएम को मिला। शुरुआत में कंपनी को 15 वार्ड दिए, बाद में पूरे साठ वार्ड दे दिए गए। कंपनी द्वारा तीन चरण में 45 वार्डों से कूड़ा कलेक्शन के लिए 42 टाटाऐस वाहन खरीदे गए, मगर चौथे चरण में कोई वाहन खरीदा ही नहीं गया। जबकि वार्ड पूरे 60 कंपनी के पास आ गए। 

निगम सूत्रों की मानें तो डीवीडब्लूएम ने 45 वार्ड की जिम्मेदारी तक तो ठीक व्यवस्था निभाई मगर इसके बाद कंपनी बेपटरी होती चली गई। तमाम विरोध होने पर मार्च-2014 में नगर निगम द्वारा कंपनी से करार तोड़ लिया गया और डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया। हालात ये हो गए कि जहां कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था जैसे-तैसे चल रही थी, वहां भी ठप पड़ती चली गई। इन दिनों गाड़ियां हफ्तेभर तक गली व मोहल्लों में नहीं पहुंच रही है। जबकि निगम के अधिकारी दावा कर रहे कि कूड़ा उठान डीवीडब्ल्यूएम से बेहतर हो रहा है। निगम कर्मी अफसरों को गच्चा देकर काम के दावे कर रहे हैं मगर हकीकत गंदगी के ढेर बयां कर रहे हैं। 

वीवीआइपी इलाका यमुना कालोनी हो या फिर नेशविला रोड या पटेलनगर। हर तरफ गंदगी का साम्राज्य व्याप्त है।

कूड़ा उठान का समय तय नहीं

कूड़ा उठान बेपटरी की एक वजह समय से काम न करना भी है। कर्मचारी सुबह के बजाए दोपहर में कूड़ा उठाने निकलते हैं व जब तक वे कूड़ा उठाते हैं तब तक दोपहर का कूड़ा डंप होना शुरू हो जाता है। पुराने कूड़े के उठते-उठते ही नया कूड़ा शहर में पड़ चुका होता है। ऐसे में शहर कभी भी साफ नजर ही नहीं आता।

जीपीएस लगाने के दावे भी हवाई

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की गाड़ियों के संचालन को लेकर धींगामुश्ती पर जल्द अंकुश लगाने के दावे भी हवाई साबित हो रहे हैं। दरअसल गाड़ी चालक कूड़ा उठाने जाते ही नहीं लेकिन रेकार्ड में दर्ज होता है कि वह काम पर गए थे। पेट्रोल व डीजल की पर्ची भी जमा करा दी जाती है, जबकि गाड़ी चलती ही नहीं। घपले को रोकने के लिए गाड़ियों में जीपीएस लगाने का दावा किया गया था, लेकिन यह भी हवा हवाई साबित हुआ।

ये है निगम की सफाई व्यवस्था

160 वार्ड, दस सफाई निरीक्षक, 60 सुपरवाइजर, 636 नियमित सफाई कर्मी, 120 संविदा सफाई कर्मी व 310 एजेंसी कर्मी। नाला गैंग के 60 कर्मियों के साथ 610 मोहल्ला स्वच्छता समिति कर्मचारी। छह टैक्ट्रर नालों की सफाई के लिए। एक टीएमएक्स मशीन बड़े नालों की सफाई के लिए।

सॉलिड वेस्ट प्लांट के दावे हुए हवा-हवाई

नगर निगम पिछले दस साल से दावा कर रहा था कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के शुरू होते ही दून शहर को कूड़े-गंदगी से पूरी तरह निजात मिल जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। स्थिति ऐसी है कि प्लांट चला रही कंपनी अपनी मनमानी कर रही है और निगम अधिकारी कंपनी की 'जी-हूजूरी' से बाज नहीं आ रहे।

कूड़ा उठता नहीं, फिर भी नोटिस 

हद तो यह है कि अब निगम लोगों को जुर्माने का नोटिस भेज रहा है कि जो कूड़ा कलेक्शन शुल्क नहीं देते, उन पर पांच सौ रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। सवाल ये है कि जिन क्षेत्रों से कूड़ा कलेक्शन ही नहीं हो रहा, जहां नगर निगम की गाड़ियां नहीं जा रही, वे लोग जुर्माना क्यों भरें। नोटिस को लेकर आमजन परेशान हैं। निगम लोगों को नोटिस भेजकर जुर्माने की चेतावनी देने में लगा हुआ है जबकि लोगों का दावा है कि उनके घर तक गाड़ी आती ही नहीं। ये लोग शिकायतें कर रहे हैं लेकिन निगम के अफसर नींद में धड़ाधड़ नोटिस दे रहे हैं। नोटिस में चेतावनी है कि कूड़ा कलेक्शन के मासिक 50 रुपये न देने पर 500 रुपये जुर्माना ठोका जाएगा।

नग आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में अगले चौबीस घंटे में वृहद स्तर पर पूरे शहर में सफाई अभियान चलाया जाएगा। हालांकि, निगम अपने स्तर पर पिछले दस दिनों से विशेष सफाई अभियान चलाए हुए है मगर अब इसे और तेजी दी जाएगी। शुक्रवार की रात से ही टीमें शहर में उतार दी गई हैं। अपर नगर आयुक्त व वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी हर घंटे की रिपोर्ट देंगे।

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