Clinical Establishmen: उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री बोले, क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में मिलेगी रियायत
Clinical Establishmen उत्तराखंड के छोटे और मध्यम वर्गीय अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान (सीटीपी) व एफल्यूट ट्रीटमेंट प्लान (ईटीपी) के तहत छूट दी जाएगी। इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। ये कहना है स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Wed, 08 Sep 2021 09:09 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। Clinical Establishmen उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के छोटे और मध्यम वर्गीय अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान (सीटीपी) व एफल्यूट ट्रीटमेंट प्लान (ईटीपी) के तहत छूट दी जाएगी। इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। इससे पहले अन्य राज्यों में लागू व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया जाएगा।
यह बात स्वास्थ्य मंत्री ने सुभाष रोड स्थित एक निजी होटल में नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन उत्तराखंड की ओर से आयोजित स्वास्थ्य संवाद में बतौर मुख्य अतिथि कही। डा. रावत ने कहा कि राज्य में लागू क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और सीटीपी-ईटीपी के प्राविधानों में छूट चिकित्सकों के विभिन्न संगठनों ने मांग रही है। जिस पर निश्चित ही सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में सरकारी चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही निजी अस्पतालों, चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिसके लिए उन्हें साधुवाद है। चिकित्सा शिक्षा पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शीघ्र ही अल्मोड़ा मेडिकल कालेज का संचालन शुरू कर दिया जाएगा, जबकि हरिद्वार, रुद्रपुर व पिथौरागढ़ मेडिकल कालेजों का भी जल्द शिलान्यास कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
इसके अलावा राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में रिक्त लगभग 350 पदों पर फैकल्टी की नियुक्ति शुरू की जा रही है। ताकि मेडिकल कॉलेजों में पठन-पाठन का कार्य सुचारू रूप से चल सके। मेडिकल कालेजों में प्राध्यापकों की भर्ती के लिए भी आयु सीमा खत्म करने की तैयारी है।कार्यक्रम में मेडिकल कालेजों में डीएनबी कोर्स शुरू करने,सरकार व चिकित्सकों के बीच निरंतर संवाद के लिए समन्वय समिति बनाने,छोटे क्लीनिक से बिजली व पानी का बिल घरेलु दर पर लेने का भी सुझाव आया। इस दौरान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा. आरके जैन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांतीय व्यवस्था प्रमुख सुरेंद्र मित्तल, दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना, एनएमओ के कार्यकारी अध्यक्ष ललित वार्ष्णेय, प्रांत सचिव डा. विनोद, डा. नीरज, डा. हिमांश ऐरन, डा. जेपी शर्मा, डा. गीता खन्ना, डा. डीपी पंत, डा. सुशील ओझा आदि उपस्थित रहे।
15 सितंबर तक सभी को वैक्सीन की प्रथम खुराक स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 15 सितंबर तक राज्य में प्रत्येक लाभार्थी को कोविड-वैक्सीन की प्रथम खुराक लगाने का लक्ष्य रखा गया है। चिकित्सक भी इस काम में सहयोग करें। यदि कोई टीकाकरण केंद्र तक नहीं आ सकता तो उसके घर टीम भेजी जाएगी। अब तक करीब 90 फीसद व्यक्तियों को प्रथम खुराक लग चुकी है। यह राष्ट्रीय औसत का दोगुना है।
एमबीबीएस की फीस में मिलेगी रियायतराजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की फीस में भी राज्य सरकार कुछ रियायत दे सकती है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि इस संदर्भ में प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। अन्य राज्यों के फीस स्ट्रक्चर का अध्ययन कर समस्या का हल निकाला जाएगा।यह भी पढ़ें- Uttarakhand Coronavirus Update: उत्तराखंड में कोरोना के 14 नए मामले, एक संक्रमित की मौत
एनएमओ के छात्र प्रमुख आकर्ष उनियाल के यह मामला उठाने पर उन्होंने कहा कि मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले छात्रों के लिए राज्य सरकार जरूर कोई रास्ता निकालेगी। उन्होंने कहा कि पहले सभी राजकीय मेडिकल कालेजों में बांड के तहत रियायती दर पर पढ़ाई का विकल्प दिया गया था। ऐसे छात्रों से प्रतिवर्ष महज 15 हजार की रकम ली गई। पर जब बांड के तहत पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा देने की बारी आई तो यह चिकित्सक बांड का उल्लंघन करते हुए गायब हो गए। इसी कारण उक्त हल्द्वानी व दून मेडिकल कालेज में बांड व्यवस्था खत्म कर दी गई। पर व्यावहारिक दिक्कतें पेश आने पर इस बारे में पुनॢवचार किया जा सकता है।
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