दवाओं की खरीद को लेकर सोशल ऑडिट में मिली अनियमितताओं की होगी समीक्षा
स्वास्थ्य महकमे में दवाओं की खरीद को लेकर सोशल ऑडिट में उठे सवाल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
By Edited By: Updated: Mon, 12 Aug 2019 12:09 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। स्वास्थ्य महकमे में दवाओं की खरीद को लेकर सोशल ऑडिट में उठे सवाल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि मरीजों को इलाज व दवाएं समय पर उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है।
स्वास्थ्य महकमे में कुछ दिनों पहले हुए सोशल ऑडिट में दवा खरीद को लेकर वित्तीय अनियमितताओं की आशंका जताई गई थी। सोशल ऑडिट में यह कहा गया था कि तीन करोड़ की दवाएं बिना नियमों को अपनाए क्रय की गई। यही दवाएं अन्य राज्यों में कम कीमत पर ली गईं। इस पर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ आरके पांडे कहा था कि ऑडिट विभाग की कुछ आपत्तियां थीं, जिस पर संबंधित विभाग को स्पष्टीकरण भेज दिया गया है।इस दौरान राजस्थान की तर्ज पर यहां भी दवा खरीद को कॉरपोरेशन बनाने की बात भी उठी थी। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा है कि राजस्थान बड़ा राज्य है इसलिए वहां कॉरपोरेशन बना हुआ है। उत्तराखंड में भी इस पर विचार किया जा सकता है। ऑडिट में दवा खरीद के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की समीक्षा करने को कहा गया है।
दवा खरीद पर आडिट की आपत्ति, विभाग का इनकार
दवा खरीद को लेकर घिरे स्वास्थ्य विभाग के अफसर अब अपनी खाल बचाने में जुटे हैं। इस मामले में ऑडिट की आपत्ति पर विभाग ने अपना जवाब दाखिल किया है। अधिकारियों का दावा है कि खरीद नियमों के तहत की गई है।
बता दें, वित्तीय वर्ष 2018-19 के नियमित ऑडिट के दौरान औषधि क्रय प्रक्रिया को लेकर आपत्ति की गई है। जिसमें कहा गया है कि क्रय नीति के तहत 103 तरह की दवाएं सीधे सार्वजनिक उपक्रम से ली जाती हैं। पर केंद्र सरकार से प्राप्त बजट का 50 फीसदी हिस्सा ओपन टेंडर के माध्यम से औषधि क्रय को खर्च किया गया। ऑडिट की आपत्ति पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए थे। महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय ने अधिकारियों की बैठक भी ली थी।
काफी मंथन के बाद अब अधिकारियों ने ऑडिट की आपत्ति पर अपना उत्तर दिया है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि एनएचएम के माध्यम से भारत सरकार से प्राप्त बजट का 50 फीसदी हिस्सा 103 तरह की दवाएं सीधे सार्वजनिक उपक्रम से खरीदने को किया गया। जबकि शेष 50 फीसदी बजट ओपन टेंडर द्वारा दवा खरीद को किया गया। औषधि क्रय निति में इस संदर्भ में व्यवस्था दी गई है। ऑडिट टीम को बताया गया है कि दवा खरीद में अधिप्राप्ति के नियमों की अवहेलना नहीं की गई है।
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