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उत्तराखंड के सीएम रावत बोले, लगता है फिर नशा कर संसद गए थे राहुल गांधी

मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता और पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी को एकबार फिर आड़े हाथों लिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:57 PM (IST)
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उत्तराखंड के सीएम रावत बोले, लगता है फिर नशा कर संसद गए थे राहुल गांधी
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लगता है कि राहुल गांधी आज फिर नशा करके संसद में चले गए थे। उन्हें मालूम होना चाहिए कि उत्तराखंड में वर्ष 2012 में कांग्रेस की सरकार थी। इसी अवधि में कांग्रेस की सरकार ने मंत्रिमंडल की समिति बनाकर पदोन्नति में आरक्षण न देने का निर्णय लिया था। वह राहुल गांधी से कहना चाहते हैं कि अगर वे भविष्य की राजनीति करना चाहते हैं तो थोड़ा पीछे भी देखें। 

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने सितंबर 2012 में पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने के शासन के आदेश पर रोक लगा दी थी। सोमवार को यह मसला लोकसभा और राज्यसभा में  गूंजा। इसके बाद राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस को आरक्षण चुभता है। भाजपा सरकार जितना भी प्रयास कर लें वह इसे समाप्त नहीं होने देंगे। उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ही यह निर्णय लिया था कि नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जाएगा। यह वैसी ही स्थिति है जैसे उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार ने शराब फैक्ट्री के लाइसेंस जारी किए और बाद में आक्षेप भाजपा सरकार पर लगा दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। 

सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, सरकार उसका अध्ययन करेगी। प्रदेश में हजारों कर्मचारी बगैर पदोन्नति पाए ही सेवानिवृत्त हो गए। सरकार का यह काम है कि जिन्हें पदोन्नति मिलनी चाहिए वह समय पर मिले। अन्याय किसी के साथ नहीं होना चाहिए। इससे पहले दोपहर में ही प्रदेश सरकार द्वारा मीडिया को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस संबंध में लिए गए निर्णयों की प्रति भी उपलब्ध करा दी गई।

इनमें एक आदेश 27 जुलाई 2012 का है, जिसमें तत्कालीन मुख्य सचिव के पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में मंत्रिमंडल की पांच सदस्यीय उप समिति का गठन करने के आदेश हैं। इस उप समिति में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश के अलावा तत्कालीन कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, प्रीतम सिंह और मंत्री प्रसाद नैथानी को शामिल किया गया था। दूसरी प्रति मंत्रिमंडल के चार सितंबर 2012 को जारी किए गए आदेश की है। इसमें मंत्रिमंडल ने डीपीसी पर रोक हटाकर पदोन्नति की सभी रिक्तियों को बिना आरक्षण के भरने का निर्णय लिया गया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री थे।

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गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने के शासनादेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति के कार्मिकों की चार माह के भीतर गणना करने को कहा था। इस पर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। इसके बाद से ही यह मामला गरमा रहा है और अब यह राजनीतिक रूप ले चुका है।  

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