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जाट बिरादरी का देश के विकास में बड़ा योगदान: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जाट बिरादरी का देश के विकास में बड़ा योगदान है। विशेषकर देश में खाद्यान्न प्रदान करने में जाट बाहुल क्षेत्र आज भी अग्रणी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 01:22 PM (IST)
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जाट बिरादरी का देश के विकास में बड़ा योगदान: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
देहरादून, जेएनएन। कारगी चौक के समीप हरिद्वार बाईपास पर उत्तराखंड जाट महासभा के भवन का शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे।

सभा में बतौर मुख्यअतिथि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जाट बिरादरी का देश के विकास में बड़ा योगदान है। विशेषकर देश में खाद्यान्न प्रदान करने में जाट बाहुल क्षेत्र आज भी अग्रणी है। देश में जाट बिरादरी की पहचान किसानों के रूप में होती है और किसान का मतलब गांव व मिट्टी से जुड़े व्यक्ति से है।

रविवार को उत्तराखंड जाट महासभा ने कारगी चौक के समीप हरिद्वार बाईपास पर 14 हजार वर्ग मीटर में बनने वाले भव्य भवन की आधारशिला रखी। इस दौरान देशभर के जाट महासभा से जुड़े कई नेता मौजूद रहे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में बहुत समय पहले से जाट बिरादरी के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। उनका स्थानीय लोगों सेे गहरा मेलजोल है। मुख्यमंत्री ने जाट महासभा के भवन के लिए अपनी ओर से 25 लाख रुपये देने की घोषणा की। इस दौरान स्थानीय विधायक व पूर्व महापौर विनोद चमोली ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाट सभा के भवन निर्माण के लिए अपनी ओर से 30 लाख रुपये देने की घोषणा की। जबकि महापौर सुनील उनियाल गामा ने जाट महासभा को विश्वास दिलाया कि वह अपनी ओर से सभा को भरपूर योगदान देंगे। इस मौके पर दायित्वधारी चौधरी अजीत सिंह, राष्ट्रीय जाट महासभा के अध्यक्ष एचपीएस परिहार, उत्तराखंड जाट महासभा के अध्यक्ष ओमपाल सिंह राठी, उत्तराखंड महिला जाट महासभा की अध्यक्ष ऊषा देवी, जम्मू-कश्मीर जाट महासभा के अध्यक्ष मनमोहन सिंह, चौधरी अमन सिंह, गौरव टिकैत आदि मौजूद रहे।

जाट बिरादरी बदले आर्थिक दृष्टिकोण

पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सदस्य व प्रमुख जाट नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि जाट बिरादरी को आर्थिक दृष्टिकोण बदलना होगा। कहा कि अभी तक जाट बिरादरी खेती करने के अलावा सरकारी नौकरी करने तक सीमित है। व्यापार के क्षेत्र में पुराने समय से ही लगाव नहीं रहा है। जबकि देश में औद्योगिक विकास से लेकर सूचना तकनीकी क्रांति में न केवल आर्थिक तरक्की जुड़ी है बल्कि इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।

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उन्होंने कहा कि जाट युवा मुद्रा ऋण के बारे में बहुत कम सोचते हैं, जबकि उन्हें भी अन्य लोगों की तरह इसका लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज दौलत का किस्सा एमएसपी से हल होने वाला नहीं है। जाट समाज की कुल दौलत का 60 फीसद केवल 23 फीसद सभ्रांत परिवारों के पास है। आज भी देश में 20 फीसद जाट परिवारों की आय बेहद कम है। हमें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

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