पोर्टफोलियो पर होमवर्क, बंटवारे का इंतजार; मुख्यमंत्री अपने पास रखते हैं विभागों का ढेर या मंत्रियों को बनाएंगे साझीदार
प्रदेश में कोरोना संकट के दूसरे दौर के बीच महज आठ महीनों में विकास कार्यों को तेज करने की चुनौती है। सरकार में बदलाव के जरिये आम जनता में जगाई गईं उम्मीदों को भी जल्द मूर्त रूप देना होगा। विभागों के बंटवारे को लेकर फार्मूले की भी परीक्षा होनी है।
By Sumit KumarEdited By: Updated: Sun, 14 Mar 2021 04:30 AM (IST)
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून: प्रदेश में कोरोना संकट के दूसरे दौर के बीच महज आठ महीनों में विकास कार्यों को तेज करने की चुनौती है। सरकार में बदलाव के जरिये आम जनता में जगाई गईं उम्मीदों को भी जल्द मूर्त रूप देना होगा। इसके लिए महत्वपूर्ण विभागों के बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के फार्मूले की भी परीक्षा होनी है। बताया जा रहा है कि विभागों को लेकर जरूरी होमवर्क तकरीबन पूरा हो चुका है। बड़े विभागों का ढेर मुख्यमंत्री खुद अपने पास रखेंगे या सहयोगी मंत्रियों को भी अहम पोर्टफोलियो से नवाज कर चुनौतियों से निपटने में साझीदार बनाएंगे, इससे पर्दा उठने का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ये संकेत दे दिए हैं कि आम जन और उससे जुड़े फैसले नई सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं। इन्हें पूरा करने के लिए विभागों का बंटवारा होना है। नए मंत्री परिषद में विधायकों और जन असंतोष को थामने की जिस कवायद पर सर्वाधिक जोर दिया गया, उसकी परीक्षा अब विभागों के वितरण के रूप में होगी। पिछली सरकार में अहम समझे जाने वाले तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा विभाग मुख्यमंत्री के ही पास थे। मंत्री परिषद के सदस्यों की कम संख्या के साथ विभागों का असमान वितरण ही बाद में असंतोष की बड़ी वजह भी बना।
तीरथ सरकार की नई मंत्री परिषद पूरी सदस्य क्षमता के साथ आकार ले चुकी है। आठ कैबिनेट मंत्रियों और तीन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार को विभागों के बंटवारे की कवायद की जा रही है। इनमें सात मंत्री पिछली त्रिवेंद्र सरकार में भी मंत्री थे। अनुभवी मंत्रियों के पिछले अनुभवों को भी तरजीह दी जाएगी। मुख्यमंत्री अपने पास कौन से और कितने विभाग रखते हैं और अपने सहयोगियों को कौन-कौन से विभाग बांटते हैं, इसे लेकर कयासबाजी शुरू हो चुकी है। मंत्री भी अहम और मलाईदार विभाग हासिल करने को जुगत बिठा रहे हैं। हालांकि विभागों के बंटवारे से पहले मंत्रियों को मुख्यमंत्री और पार्टी हाईकमान के फार्मूले पर खरा उतरना होगा। इसी फार्मूले से ये परखा जा रहा है कि जन सेवाएं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को मंत्रीगण कितनी तेजी और सक्षमता के साथ जनता के दरवाजे और दिलों तक पहुंचा पाते हैं।
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मुख्यमंत्री पोर्टफालियो वितरण को लेकर शनिवार को खुद भी मशक्कत करते दिखे। उन्होंने मंत्रियों की इच्छा जानने को उनसे भी मशविरा किया। इस संबंध में विभिन्न स्तरों पर फीडबैक लेने की कसरत जारी है। विभागों की जिम्मेदारी देने को जिस पैमाने पर काम किया जा रहा है, उनमें मंत्रियों के अनुभव वरिष्ठता के साथ योग्यता व क्षमता को भी परखा जा रहा है। जनाधार और पार्टी में सक्रियता व संघ निष्ठा को वरीयता मिलेगी। साथ में गुटीय, जातीय व क्षेत्रीय संतुलन को अहमियत मिलना भी तकरीबन तय माना जा रहा है। इस कसौटी पर खरा उतरने वालों को पार्टी हाईकमान की मंजूरी के बाद एक-दो दिन में विभाग बांटे जाने तय हैं।
ये हैं प्रमुख महत्वपूर्ण विभाग: स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग, पेयजल, ऊर्जा, उद्योग, वित्त, नियोजन, गृह, आपदा प्रबंधन, खाद्य व नागरिक आपूर्ति, आबकारी, ग्राम्य विकास, विधायी व संसदीय कार्य, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा। यह भी पढ़ें- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा- मिशन 60 प्लस के लिए कार्यकर्त्ता अभी से हों एकजुटUttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें
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