आचार संहिता की उड़ी धज्जियां, नामांकन कक्ष तक पहुंची भीड़
देहरादून में भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा के नामांकन यात्रा के दौरान आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 23 Oct 2018 03:38 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा के नामांकन यात्रा के दौरान आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई। नामांकन परिसर से लेकर कक्ष तक पार्टी के वरिष्ठ मंत्री, विधायकों समेत बड़ी संख्या में न सिर्फ कार्यकर्ता पहुंचे, बल्कि पार्टी व प्रत्याशी के पक्ष में जमकर नारेबाजी भी की गई। इस दौरान रिटर्निंग अधिकारी भी मूक दर्शक बने रहे।
नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशी के साथ अधिकतम दो लोगों को आने की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा सहयोग के लिए अधिवक्ता या सलाहकार प्रवेश कर सकते हैं। अन्य प्रत्याशियों के मामले में पुलिस ने इसका अनुपालन भी कराया और नगर निगम के मुख्य गेट प्रत्याशियों व उनके साथ अधिकतम दो लोगों को ही आने की अनुमति दी गई। हालांकि जैसे ही भाजपा प्रत्याशी की नामांकन यात्रा नगर निगम के बाहर पहुंची, सभी व्यवस्थाएं धराशाई हो गई। दर्जनों की संख्या में भीड़ धड़धड़ाते हुए नगर निगम परिसर में प्रवेश कर गई। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ मंत्री, विधायक व अन्य कार्यकर्ता नामांकन कक्ष में प्रवेश कर गए। इससे शोरगुल तेज हो गया और नामांकन प्रक्रिया में व्यवधान भी पैदा हो गया। एक दफा रिटर्निंग अधिकारी अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद कुमार पांडेय ने सभी को शांत रहने के निर्देश भी दिए, लेकिन इसका कोई असर नजर नहीं आया।
दून में आचार संहिता का नोडल अधिकारी ही नहीं
सोमवार को भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा के नामांकन के दौरान आचार संहिता की जमकर धज्जियां उड़ती रहीं, मगर इस पर अंकुश लगाने वाला कोई अधिकारी मौके पर नहीं था। गंभीर यह कि इस समय दून में आचार संहिता का कोई नोडल अधिकारी तैनात ही नहीं है।
पूर्व में आचार संहिता के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी एमडीडीए के सचिव पीसी दुम्का को दी गई थी। जिलाधिकारी ने उनसे यह जिम्मेदारी हटा दी थी। इसके बाद क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक चंद्र सिंह धर्मशक्तू को आचार संहिता का नोडल अधिकारी बनाया गया था। जबकि अब धर्मशक्तू का कहना है कि उन्हें आदेश अभी तक प्राप्त ही नहीं हुआ है। वाकई यही बात है या निकाय चुनाव में 'बिल्ली के गले में घंटी बांधने' जैसी कहावत को चरितार्थ करने से अधिकारी बच रहे हैं। क्योंकि जिला सहायक निर्वाचन अधिकारी वीएस चौहान का कहना है कि एमडीडीए सचिव दुम्का से जिम्मेदारी हटने के बाद चंद्र सिंह धर्मशक्तू को आचार संहिता का नोडल अधिकारी बनाया गया था। उन्होंने यह आदेश भी प्राप्त कर लिया है और इसकी रिसीविंग उनके पास है। वजह चाहे जो भी हो, मगर निकाय चुनाव के दौरान ऐसी स्थिति कई सवाल खड़े करती है।
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