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24 करोड़ के कॉम्पलेक्स में पानी बंद, लिफ्ट ठप; पढ़िए पूरी खबर

राजीव गांधी बहुद्देशीय कॉम्पलेक्स की लिफ्ट और पेयजल व्यवस्था के हाल बदहाल है। यहां हफ्तेभर से इनका संचालन ठप है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 12 Mar 2019 09:20 AM (IST)
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24 करोड़ के कॉम्पलेक्स में पानी बंद, लिफ्ट ठप; पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। यह सरकारी अधिकारियों की धींगामुश्ती नहीं तो और क्या है। जिस बहुद्देशीय कॉम्पलेक्स में तहसील, जिला खाद्य आपूर्ति जैसे जनता से जुड़े कार्यालयों समेत आठ सरकारी कार्यालय संचालित हो रहे हैं, वहां हफ्तेभर से पेयजल आपूर्ति ठप है और लिफ्ट का संचालन भी बंद हो चुका है। यह स्थिति महज 68 हजार रुपये के उस बिजली के बकाया बिल को लेकर उपजी है, जिसे भरने में सभी कार्यालय ना-नुकुर कर रहे हैं। जून 2016 से बिल बकाया होने पर जब ऊर्जा निगम के अधिकारियों को एक-एक कर सभी कार्यालयों से टका सा जवाब मिलता रहा तो आखिरकार उन्हें बिजली गुल करने पर विवश होना पड़ा। 

यह बकाया उस बिजली के कनेक्शन का है, जिससे राजीव गांधी बहुद्देशीय कॉम्पलेक्स की लिफ्ट व पेयजल की पंपिंग व्यवस्था का संचालन किया जाता था। अधिकारियों की हीलाहवाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह कनेक्शन तहसीलदार के नाम पर जारी किया गया है, जबकि तहसील को इस कॉम्पलेक्स में महज एक हिस्सा आवंटित किया गया है। स्वयं तहसीलदार एमसी रमोला भी यह नहीं जानते कि तहसीलदार के नाम से यह कनेक्शन कब से और किस वजह से जारी किया गया। 

उनकी यह बात भी इसलिए जायज है, क्योंकि वर्ष 2013-14 में इस कॉम्पलेक्स का निर्माण एमडीडीए ने किया था। हालांकि एमडीडीए की भूमिका सिर्फ कॉम्पलेक्स निर्माण की ही थी। क्योंकि इसके बाद यहां पर न सिर्फ करीब 100 व्यापारियों को दुकानें आवंटित की गईं, बल्कि तमाम सरकारी कार्यालयों को भी जगह दी गई। कायदे से इन सभी को साझा सुविधाओं के लिए प्रयोग में लाई जा रही बिजली के बिल का भुगतान करना चाहिए, मगर ऐसी आज तक कोई व्यवस्था बनाई ही नहीं जा सकी। हालांकि, इतना जरूर है कि उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा), जिसका कार्यालय भी इसी कॉम्पलेक्स में है, वह यहां की पार्किंग का ठेका जारी करता है। 

इस बार यह ठेका करीब 45 लाख रुपये में छूटा है। यही नहीं उडा की पिछली बोर्ड बैठक में यह सहमति बनाई गई कि बार-बार खराब होने वाली लिफ्ट का रखरखाव व संचालन भी उडा ही करेगा। इस तरह बिल के भुगतान या इसके लिए व्यवस्था बनाने की पहली जिम्मेदारी उडा की बनती है, मगर आज तक ऐसी कोई पहल अधिकारियों ने नहीं की। इसी का नतीजा है कि आज इतने बड़े कॉम्पलेक्स में न तो पानी की एक बूंद टपक रही है, न ही लिफ्ट ही चल पा रही है।

कॉम्पलेक्स में इन कार्यालयों का संचालन

तहसील सदर, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, जिला उपभोक्ता फोरम, विधिक बाट एवं माप कार्यालय, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा), उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा), नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन।

सार्वजनिक शौचालय में लगा ताला

पानी के अभाव में कॉम्पलेक्स में बनाए गए सार्वजनिक शौचालय में ताला लगा दिया गया है। ऐसे में लोगों को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ रही है, जबकि कॉम्पलेक्स में रोजाना सैकड़ों लोग काम के सिलसिले में पहुंचते हैं। आसपास के बाजार में भी शौचालय के अभाव में बड़ी संख्या लोग इसका प्रयोग करते थे। इसके अलावा व्यापारियों के शौचालय में भी ताला लगा दिया गया है और बाहर पर्ची चस्पा की गई है कि पानी नहीं है।

एमडीडीए ने कहा उडा की जिम्मेदारी

एमडीडीए अधिकारियों का कहना है कि सरकार के निर्देश पर उन्होंने 24 करोड़ रुपये कॉम्पलेक्स बनवाया, मगर उन्होंने सिर्फ 63 लाख रुपये का ही लाभ मिल पाया। यहां की पार्किंग का संचालन उडा कर रहा है और तमाम व्यवस्थाएं उनसे बड़े और राज्य स्तरीय प्राधिकरण के पास हैं। ऐसे में कॉम्पलेक्स की सभी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी उडा की है।

लिफ्ट सिर्फ अधिकारियों के लिए

कॉम्पलेक्स की लिफ्ट सिर्फ तीसरे और चौथे तल पर ही खुलती है। इसके साथ ही लिफ्ट को सिर्फ अधिकारियों की पार्किंग वाले स्थल से ही संचालित किया जा सकता है। ऐसे में दूर-दराज से आने वाले आमजन, बुजुर्ग व दिव्यांगजन भी लिफ्ट की सुविधा से वंचित रह जाते हैं। 

आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता एनएस रावत कहते हैं कि बिजली के बकाया बिल के भुगतान के लिए रास्ता निकाला जाएगा। इसके साथ ही भविष्य की व्यवस्थाओं को लेकर कारोबारियों व अन्य कार्यालयों के साथ बैठक की जाएगी।

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