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करीब तीन सौ करोड़ की लागत से बना इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम बदहाल, कौन जिम्मेदार?

दून में करीब तीन सौ करोड़ की लागत से बना राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम आज रखरखाव के अभाव में बदहाल स्थिति में है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 12 Aug 2020 03:58 PM (IST)
करीब तीन सौ करोड़ की लागत से बना इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम बदहाल, कौन जिम्मेदार?
 देहरादून, जेएनएन। राजधानी दून में करीब तीन सौ करोड़ की लागत से बना राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम आज रखरखाव के अभाव में बदहाल स्थिति में है। यह वही स्टेडियम है, जिसे अफगानिस्तान ने अपना होम ग्राउंड भी बनाया था। साथ ही आयरलैंड के साथ उसने इसी स्टेडियम में कई अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले थे। वर्तमान में आलम यह है कि स्टेडियम के चारों तरफ पानी भरा है। मैदान में उग आई बड़ी-बड़ी घास खुद इसकी दुर्दशा बयां कर रही है।

स्टेडियम की इस स्थिति पर जिम्मेदार मौन हैं। स्टेडियम संचालक कंपनी आइएल एंड एफएस का कहना है कि सरकार ने पिछले कुछ महीनों से स्टेडियम में कोविड सेंटर बनाया हुआ है। तबसे हमारा कोई भी कर्मचारी स्टेडियम नहीं जा रहा है। वर्तमान में सरकार अगर इसका उपयोग कर रही है तो इसका रखरखाव भी वही करे, लेकिन सवाल यह है कि जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा खिलाड़ियों को ही उठाना होगा।

सीओओ के समक्ष रहेंगी कई चुनौतियां

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने प्रदेश में क्रिकेट संचालन के लिए मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) को नियुक्ति दी है। पिछले छह साल से आइपीएल में संचालन प्रबंधक की भूमिका निभा रहे अमन सिंह को पहला सीओओ चुना गया है, लेकिन उनके लिए यह डगर आसान नहीं होगी। उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों से कोई भी अनजान नहीं हैं। प्रदेश में मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में क्रिकेट के लिए संसाधन विकसित करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में भी कई प्रतिभाएं प्रोत्साहन न मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाती हैं। ऐसे खिलाड़ियों को सुविधा उपलब्ध कराना भी बेहद जरूरी है, जिससे प्रतिभाएं सुविधा के अभाव में दम न तोड़ दें। सीएयू को मान्यता मिलने के बाद यह दायरा काशीपुर और हल्द्वानी तक बढ़ गया है। अब देखना यह है कि सीओओ प्रदेश में कहां तक क्रिकेट के लिए संसाधन विकसित कर पाते हैं।

विजेता को कब तक मिलेगी कार

खेलों में जमीनी स्तर से खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए। इनमें खेल महाकुंभ का आयोजन प्रमुख है। इसके तहत सरकार ने विजेता को कार तक देने की घोषणा की, लेकिन खेल विभाग तृतीय खेल महाकुंभ की विशेष आठ सौ मीटर दौड़ के विजेता मोहित पुरोहित को पुरस्कार स्वरूप कार अब तक नहीं दे पाया है। मार्च के पहले सप्ताह में महाकुंभ का समापन हुआ, इस दौरान खेल मंत्री ने विजेताओं को डमी चाबी देकर सम्मानित किया, लेकिन इसके कुछ दिन बाद कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन शुरू हो गया। इससे प्रदेश में समस्त खेल गतिविधियां और उससे जुड़ी प्रक्रिया में विराम लग गया। अब अनलॉक थ्री आरंभ हुआ है, जिसमें खेल गतिविधियां आरंभ करने की अनुमति दी गई है। विजेता खिलाड़ी विभाग से कई बार पुरस्कार की गुहार लगा चुका है, लेकिन उसको कब कार मिलेगी इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है।

क्रिकेटरों को मैच फीस का इंतजार

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने मान्यता मिलने के बाद प्रदेश में क्रिकेट संसधान जुटाने और खिलाड़ियों को सुविधा देने के कई दावे किए। पर अब दावे हकीकत से इतर साबित हो रहे हैं। क्रिकेटरों को मैच फीस देने की बात करने वाली सीएयू अब तक क्रिकेटरों को पिछले सत्र में खेले गए मैचों की फीस ही नहीं दे पाई है।

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हालांकि, इससे पहले भी वेंडरों का पैसा जब सीएयू समय पर नहीं दे पाया तो उन्होंने बीसीसीआइ से शिकायत की। बीसीसीआइ के निर्देश के बाद वेंडरों का भुगतान हो पाया था। लेकिन, खिलाड़ी अधिकारियों के डर के कारण शिकायत नहीं कर पा रहे हैं। मैच फीस न देने के मामले में सीएयू के पदाधिकारियों का कहना है कि एसोसिएशन ने खिलाड़ियों की फीस का समस्त ब्योरा बनाकर बीसीसीआइ को भेज दिया है। वहां से स्वीकृत होने के बाद खिलाड़ियों के खातों में मैच फीस की धनराशि डाल दी जाएगी। 

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