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कुलाधिपति तक पहुंचा गढ़वाल विवि और संबद्ध कॉलेजों का विवाद, जानिए पूरा मामला

गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों का विवाद कुलाधिपति तक पहुंच गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 14 Oct 2019 04:32 PM (IST)
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कुलाधिपति तक पहुंचा गढ़वाल विवि और संबद्ध कॉलेजों का विवाद, जानिए पूरा मामला
देहरादून, अशोक केडियाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों का विवाद कुलाधिपति तक पहुंच गया है। संबद्ध कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के सेमेस्टर परीक्षा परिणाम से लेकर बैक, स्पेशल बैक का रिजल्ट समय पर न आने, अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा देने के बावजूद अंक तालिका में अनुपस्थिति दर्शाने और कई छात्रों को लिखित के साथ ही प्रयोगात्मक परीक्षा में एक से दो नंबर दिए जा रहे हैं। दो से तीन साल बीतने के बाद भी बैक परीक्षाओं का परिणाम आज तक घोषित नहीं किया गया है। डीएवी कॉलेज में कई छात्रों के ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें स्नातक में जो विषय छात्र ने ले ही नहीं रखे हैं, उन्हें अंक तालिका में बकायदा नंबरों के साथ दर्शाया गया है। 

इस तरह की अनेक समस्याओं से जूझ रहे डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और श्री गुरुराम राय पीजी कॉलेज के सैकड़ों छात्र पिछले चार सालों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन समस्याओं का कोई समाधान नहीं तलाशा जा रहा है। इस प्रकार की अनेक समस्याएं बीते शनिवार को जब गढ़वाल विवि के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण के समक्ष रखी गईं तो उन्होंने भी माना कि पिछले साल भी कॉलेजों ने इस समस्या को उठाया था। 

कुलाधिपति ने आश्वासन दिया कि आवश्यक हुआ तो गढ़वाल विवि की कुलपति, कुलसचिव और संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य के साथ बैठक की जाएगी। जिसमें समस्याओं के समाधान का रास्ता तलाशा जाएगा। यह सभी समस्याएं मानवीय गलतियों के कारण हो रही हैं, जिनमें सुधार किया जा सकता है। इस संबंध में डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना व एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने मामला कुलाधिपति के समक्ष उठाया।   

परीक्षा से संबंधी यह भी होती हैं त्रुटियां 

- सेमेस्टर परीक्षा के दौरान परीक्षा कक्ष में कई ऐसे पेपर सेट पहुंच जाते हैं, जो परीक्षा कार्यक्रम में निर्धारित तिथि को होता ही नहीं है। 

- एक ही तिथि को दो प्रश्न पत्रों की परीक्षा एक ही समय आयोजित कर दी जाती है, जिससे मजबूरी में संबंधित छात्रों को एक पेपर छोड़ना पड़ता है। 

- खुद की गलती के बावजूद गढ़वाल विवि छूटे हुए पेपर की दोबारा परीक्षा कराने की तिथि निर्धारित ही नहीं करता है। 

- क्रेडिट बेस्ड च्वाइस सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बावजूद एक समेस्टर की पढ़ाई को निर्धारित 90 दिन नहीं दिए जाते हैं। 

कुलाधिपति के समक्ष उठाए यह मुद्दे 

- गढ़वाल विवि में पिछले डेढ़ वर्षों से स्थायी कुलपति न होने से कई मामले लंबित हैं। 

- विवि से संबद्ध स्ववित्तपोषित संस्थान विवि के केंद्रीय होने से पहले संबद्ध हैं, इसलिए इन्हें स्थायी संबद्धता की व्यवस्था करवाई जाए। 

- विवि के ऐकेडमिक कैलेंडर का पालन सुचारू रूप से नहीं हो पाता है, जिससे छात्रों की परीक्षा समय पर नहीं हो पाती हैं। 

- विवि की परीक्षा और परिणाम समय पर आने से छात्र-छात्राएं अन्य विवि में दाखिला व प्रतियोगी परीक्षा से वंचित नहीं रहेंगे। 

- विवि कर्मचारियों में कार्य संस्कृति का अभाव दिखाई देता है। जिससे छात्रों के परीक्षा परिणाम समय पर घोषित नहीं होते हैं। 

- कर्मचारियों के नकारात्मक रवैये और कार्यसंस्कृति विकसित करने के लिए विवि प्रशासन आवश्यक कदम उठाए। 

एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि एसोसिएशन आफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन की ओर से गढ़वाल विवि के कुलाधिपति को ज्ञापन सौंपते हुए कई समस्याओं से रूबरू करवाया। कुलाधिपति ने हमें आश्वासन दिया है कि उनकी समस्याओं पर त्वरित कार्रवाई के विवि प्रशासन को आदेश दिए जाएंगे। कुलाधिपति के प्रशासनिक अनुभव का प्रदेश के छात्रों को लाभ मिलना चाहिए। 

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गढ़वाल विवि की कुलपति अन्नपूर्णा नौटियाल ने बताया कि गढ़वाल विवि से संबद्ध दून के कॉलेज अपने स्तर पर कई गलतियां करते हैं और छात्र के सामने पूरा दोष विवि प्रशासन के सिर मढ़ देते हैं। मैंने खुद कॉलेज प्राचार्यों की बैठक में उनकी गलतियों को उजागर किया था। कॉलेज समय पर विवि को नंबर नहीं भेजते हैं। ऑनलाइन नंबर जैसे विवि को प्राप्त होंगे, वैसे उनकी अंक तालिका में दर्ज होंगे। कॉलेज भी अपनी कार्यप्रणाली सुधारें। 

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वहीं, डीएवी के छात्रसंघ अध्यक्ष निखिल शर्मा का कहना है कि गलती चाहे गढ़वाल विवि की ओर से हो, या कॉलेज स्तर पर, नुकसान तो छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ रहा है। परीक्षा परिणाम त्रुटि सुधार व शैक्षणिक कैलेंडर नियमित करने को लेकर कॉलेज  विवि मिल बैठकर चिंतन करें। अन्यथा दून के चारों बड़े कॉलेज के हजारों छात्र एक दिन सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे। 

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