कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों और हाथियों के बीच छिड़ी खूनी जंग, पढ़िए पूरी खबर
कार्बेट टाइगर रिजर्व की पिछले पांच वर्षों में बाघ हाथी व गुलदार की आपसी संघर्ष में हुई मौत के सिलसिले में पहली बार कराए गए अध्ययन में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 09 Jun 2019 01:12 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में मानव और वन्यजीव संघर्ष ही चिंताजनक स्थिति में नहीं पहुंचा है, बल्कि जंगलों में वन्यजीवों के मध्य छिड़ी 'खूनी जंग' भी हैरत में डाल रही है। विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व की पिछले पांच वर्षों की तस्वीर कुछ यही बयां कर रही है। बाघ, हाथी व गुलदार की आपसी संघर्ष में हुई मौत के सिलसिले में पहली बार कराए गए अध्ययन में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। खासकर, बाघों व हाथियों के मध्य द्वंद्व बढ़ा है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पांच साल के वक्फे में रिजर्व में 21 हाथियों की जान गई। इनमें से 13 को बाघों ने शिकार बनाया। अध्ययन रिपोर्ट में उजागर हुआ कि हिरनों के पीछे भागने में अधिक ऊर्जा जाया होने और फिर भी शिकार की गारंटी न होने के मद्देनजर बाघ वहां शिशु हाथियों को आसान शिकार समझने लगे हैं।
कार्बेट टाइगर रिजर्व में बीती 27 मई को आपसी संघर्ष में एक बाघिन की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद रिजर्व के निदेशक के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने बीते पांच सालों में रिजर्व में बाघ, हाथी व गुलदारों की आपसी संघर्ष में हुई मौत के मामलों का अध्ययन कराने का निर्णय लिया गया। आंकड़ों के विश्लेषण के साथ ही संघर्ष के कुछ स्थानों का निरीक्षण करने के बाद निदेशक चतुर्वेदी ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को सौंपी है।
अध्ययन रिपोर्ट में तमाम चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2014 से 30 मई 2019 तक रिजर्व में तीनों प्रजातियों के 36 वन्यजीवों (बाघ, हाथी व गुलदार) की आपसी संघर्ष में मौत हुई। इनमें सबसे अधिक 21 हाथी थे। बात सामने आई कि इनमें से 13 हाथियों को बाघों ने न सिर्फ मारा, बल्कि उनका मांस भी खाया। इनमें आठ शिशु हाथी थे।
बाघों और हाथियों के बीच इस संघर्ष से इससे रिजर्व प्रशासन भी हैरत में हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह देखा गया कि हिरन प्रजातियों खासकर सांभर व चीतल का शिकार करने के लिए बाघों को लंबी दौड़ लगानी पड़ती है। इसमें भी यह गारंटी नहीं है कि शिकार हाथ आएगा अथवा नहीं। ऐसे में बाघ अब हाथियों के झुंड की तरफ रुख कर रहे हैं। छोटे झुंड को बिदकाकर वह शिशु हाथियों को आसानी से शिकार बना रहे हैं।
सुअर व सेही के हमले भी कम नहीं
रिपोर्ट के अनुसार पांच साल में कार्बेट में नौ बाघ मरे। इनमें से सात की मौत इलाके और मिलन के लिए हुए आपसी संघर्ष में गई, जबकि दो बाघों की मौत की वजह जंगली सुअर और सेही के हमले बने।
बाघों ने मारे दो गुलदार रिजर्व क्षेत्र में छह गुलदारों की मौत हुई। इनमें से दो को बाघों ने मारा, जबकि दो का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया। दो की मौत आपसी संघर्ष में हुई।
बोले अधिकारीसंजीव चतुर्वेदी (निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व, उत्तराखंड) का कहना है कि कार्बेट में बाघ, हाथी व गुलदार की मौत के कारणों के मद्देनजर रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेज दी गई है। रिपोर्ट में बाघ व हाथियों के मध्य बढ़े संघर्ष को देखते हुए इस बारे में गहन अध्ययन की जरूरत बताई गई है, ताकि इसके समाधान को कदम उठाए जा सकें।
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