कांग्रेस में खत्म नहीं हो रही गुटबंदी, प्रीतम-इंदिरा और हरदा खेमा आमने-सामने
उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर गुटबंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इंदिरा प्रीतम और हरदा खेमा आमने सामने हैं।
By Edited By: Updated: Sun, 17 Feb 2019 05:12 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा वक्त शेष नहीं है। बावजूद इसके उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर गुटबंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को हरिद्वार और नैनीताल संसदीय सीटों पर परोक्ष तौर पर बाहरी करार दिए जाने से रावत खेमे में उबाल है तो वहीं रावत को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की जोड़ी से चुनौती मिलने का सिलसिला जारी है। लोकसभा की पांच सीटों पर दावेदारों के बीच जोर-आजमाइश ने प्रदेश में कांग्रेस के भीतर गुटीय धु्रवीकरण तेज कर दिया है। इसका नतीजा प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी घोषित करने में भी देरी के रूप में भी सामने है। ऐसे में 18 फरवरी से दो दिनी उत्तराखंड दौरे पर आ रहे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटीय संतुलन साधने की है।
प्रदेश में कांग्रेसी दिग्गजों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने लोकसभा की पांच सीटों पर दावेदारी की जंग को भी रोचक बना दिया है। लोकसभा चुनाव के मौके पर एक बार फिर ये जंग सतह पर आ गई है। दरअसल पांच सीटों पर दावेदारों और टिकट तय करने को लेकर पर्दे के पीछे चल रही लड़ाई को दिग्गजों में खींचतान की वजह माना जा रहा है। नैनीताल संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश पूरी ताकत से खड़ी हो गई हैं। अपने धुर विरोधी रावत के खिलाफ नैनीताल संसदीय सीट पर इंदिरा को फिलहाल पूर्व सांसदों केसी सिंह बाबा और महेंद्रपाल सिंह को लामबंद करने में कामयाबी मिल चुकी है।
वहीं हरिद्वार संसदीय सीट पर स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को निचले स्तर पर संगठन से जिसतरह चुनौती मिली है, उसने पार्टी के भीतर जोर-आजमाइश तेज कर दी है। हरिद्वार सीट पर सांगठनिक जिला-महानगर इकाइयों के पैनल में अपेक्षित तवज्जो नहीं मिलने से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खफा बताए जा रहे हैं। गोदियाल ने खोला मोर्चा वहीं पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट पर दावेदारी ठोक रहे रावत खेमे के पूर्व विधायक गणेश गोदियाल के सामने बतौर निर्दल विधानसभा चुनाव में खम ठोक चुके कारोबारी मोहन काला की ओर से कांग्रेस का दामन थामने की कोशिशों ने गोदियाल का पारा चढ़ा दिया है।
पूर्व विधायक गणेश गोदियाल ने जहां नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को सीधे तौर पर निशाने पर लिया, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खिलाफ भी नाराजगी जताई। गोदियाल के आक्रामक रवैये को प्रीतम और इंदिरा की जोड़ी को रावत खेमे के सख्त जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। जिला इकाइयों से दिग्गजों को चुनौती दरअसल, प्रीतम और इंदिरा ने लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने में निचले स्तर पर संगठन को सक्रिय करने का हवाला देते हुए जिसतरह जिला और महानगर इकाइयों की ओर से पैनल भेजे जाने की रणनीति तैयार की और उसमें दावेदारों के नाम पर दिग्गजों को स्थानीय स्तर पर जिसतरह चुनौती पेश आ रही है, उसने खींचतान को नया रूप दे दिया है। इस खींचतान के चलते कांग्रेस की मुश्किलें कम होने के बजाय और बढ़ गई हैं।
प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी के गठन की तारीख पीछे खिसकने में भी खींचतान को ही वजह माना जा रहा है। गुटीय संतुलन की चुनौती अब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह 18 व 19 फरवरी को उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं। 18 फरवरी को पहले वह हरिद्वार जाएंगे। इसके बाद 19 फरवरी को वह देहरादून में पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठित की गई प्रदेशस्तरीय महत्वपूर्ण समितियों की बैठक लेंगे। प्रभारी के सामने गुटीय संतुलन कायम कर सभी दिग्गजों को साधने की चुनौती से भी जूझना होगा।
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