उत्तराखंड की इस सीट का सियासी गणित है सबसे अलग, कांग्रेस की रही है मजबूत पकड़; मोदी लहर भी नहीं तोड़ पाई रिकार्ड
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चकराता विधायक एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह टिहरी गढ़वाल सीट से चुनाव मैदान में उतरे और मोदी लहर के चलते दो लाख 64 हजार 747 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। तब तीसरी बार सांसद बनी भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह को पांच लाख 65 हजार 333 वोट मिले थे।
चंदराम राजगुरु, त्यूणी (देहरादून)। टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की चकराता विधानसभा सीट का सियासी गणित और भूगोल सबसे अलग है। चकराता क्षेत्र को कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है और आजादी के बाद से ही यहां कांग्रेस का परचम लहराता रहा है। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां मोदी लहर प्रभावी नहीं रही। लेकिन, अबकी भाजपा इस मिथक को तोड़ने की जुगत में है।
इस बार टिहरी गढ़वाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि, भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा जौनसार के बोंदूर खत से जुड़े बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बाबी पंवार भी निर्दल प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक रहे हैं।
टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में देहरादून, उत्तरकाशी व टिहरी जिलों की 14 विधानसभा सीट आती हैं। इनमें देहरादून जिले के चकराता विधानसभा क्षेत्र से लोस चुनाव में भाजपा को कभी बढ़त नहीं मिली। क्षेत्र के मतदाता हर बार कांग्रेस के पक्ष में ही रहे।
मोदी लहर के चलते दूसरे स्थान पर रहे
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चकराता विधायक एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह टिहरी गढ़वाल सीट से चुनाव मैदान में उतरे और मोदी लहर के चलते दो लाख 64 हजार 747 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। तब तीसरी बार सांसद बनी भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह को पांच लाख 65 हजार 333 वोट मिले थे।
चकराता विधानसभा की बात करें तो कांग्रेस के प्रीतम सिंह को 31 हजार 767 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह को 26 हजार 981 मत प्राप्त हुए।
इस बार के लोकसभा चुनाव में चकराता सीट से छह बार के विधायक प्रीतम सिंह कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के लिए वोट मांग रहे हैं। साथ ही कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को सेंधमारी से बचाने का प्रयास भी कर रहे हैं। वहीं, भाजपा चकराता क्षेत्र में अपना ग्राफ बढ़ाने को पूरी ताकत झोंक रही है।
निर्दल प्रत्याशी बाबी पंवार के चुनावी मैदान में उतरने से चकराता क्षेत्र में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है। बहरहाल! इस बार के चुनाव में कांग्रेस के सामने अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने, भाजपा को अपना वोट बैंक बढ़ाने और निर्दल बाबी पंवार को सियासी जमीन तलाशने के लिए जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा।
लोकतंत्र के इस महापर्व में जनता का वोट रूपी आशीर्वाद किसे मिलेगा, यह तो चार जून को परिणाम घोषित होने पर ही पता चलेगा। लेकिन, फिलहाल चुनावी समर में सभी के अपने-अपने तर्क हैं।
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