लोकायुक्त पर कांग्रेस के दांव से बढ़ा भाजपा सरकार पर दबाव
लोकायुक्त विधेयक को पारित कर लोकायुक्त के जल्द गठन की मांग को रखकर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल भाजपा की पेशानी पर बल डाल दिए। सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी इस मामले में सरकार पर दबाव है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में भाजपा की सरकार ने सत्ता मिलते ही लोकायुक्त विधेयक को पहले ही विधानसभा सत्र में पेश कर जो दांव खेला था, विपक्ष ने सोमवार को उसी दांव से सरकार को घेरने में कसर नहीं छोड़ी। लोकायुक्त विधेयक को पारित कर लोकायुक्त के जल्द गठन की मांग को रखकर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल भाजपा की पेशानी पर बल डाल दिए। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी इस मामले पर सरकार पर दबाव बना हुआ है।
दरअसल, भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में राज्य में सरकार बनने पर 100 दिन के भीतर लोकायुक्त और तबादला एक्ट लागू करने का वायदा किया था। बीते वर्ष 18 मार्च को प्रदेश की सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा सरकार ने महज कुछ दिन बाद ही विधानसभा सत्र आहूत कर लोकायुक्त विधेयक को सदन के पटल पर पेश कर दिया।
यह दीगर बात है कि सदन में पेश इन दोनों विधेयकों को छह दिन बाद ही तीन अप्रैल, 2017 को विधानसभा की प्रवर समितियों के सुपुर्द कर दिया था। सौ दिन में लोकायुक्त के गठन के वायदे पर आगे बढ़ते हुए सरकार ने बीती 16 जून को आनन-फानन प्रवर समितियों की सिफारिशों के साथ विधेयकों को सदन में पेश कर दिया था। सरकार के इस कदम से तब कांग्रेस हक्की-बक्की रह गई थी।
विपक्ष का पलटवार
इसके बाद बीते दिसंबर माह में गैरसैंण में आहूत विधानसभा सत्र में तबादला विधेयक को तो पारित कराने में सरकार कामयाब रही, लेकिन लोकायुक्त विधेयक अभी सदन में ही अटका हुआ है। लोकायुक्त विधेयक को पारित कराने में हो रही देरी को देखते हुए विपक्ष कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
पहले लोकायुक्त विधेयक को जल्दबाजी में पारित करने का विरोध कर रही कांग्रेस ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र के छठवें दिन लोकायुक्त विधेयक पारित करने और लोकायुक्त के गठन की मांग को लेकर सरकार को घेरा। विपक्ष के इस दांव के बाद लोकायुक्त को लेकर सरकार के लिए आगे जवाब देना आसान नहीं रहने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया दबाव
लोकायुक्त को लेकर विपक्ष के तेवरों के साथ सरकार की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते जनवरी माह में राज्य सरकार को लोकायुक्त के जल्द गठन के आदेश दिए हैं। ऐसे में लोकायुक्त के मुद्दे पर अधिक देर तक ढुलमुल रवैया बनाए रखने में सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा की परेशानी अस्वाभाविक नहीं है।
हरदा, अन्ना हजारे सक्रिय
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सरकार पर तंज कसते हुए कह चुके हैं कि लोकायुक्त के लिए दिल्ली में भी जागर (देवी-देवताओं का आह्वान) लगाने होंगे। साथ में यह भी पूछना होगा अन्ना कहां हो, केजरी कहां हो। सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बीच बीते माह समाजसेवी अन्ना हजारे भी उत्तराखंड दौरे में जनलोकपाल की तर्ज पर लोकायुक्त के गठन की पुरजोर पैरवी कर चुके हैं।
लोकायुक्त को लेकर यूं रहा प्रदेश का घटनाक्रम
-प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27 मार्च, 2017 को विधानसभा में पेश किया लोकायुक्त विधेयक
-लोकायुक्त विधेयक को तीन अप्रैल, 2017 को प्रवर समिति को सौंपा गया
-जन सुनवाई में मिले सुझावों के साथ प्रवर समिति की सिफारिशों को 16 जून, 2017 को विधानसभा में रखा गया लोकायुक्त विधेयक।
-गैरसैंण में बजट सत्र में नहीं हो सकी लोकायुक्त विधेयक व प्रवर समिति की सिफारिशों पर चर्चा। कांग्रेस का हंगामा।
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