Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Kedarnath ByElection: केदारनाथ व‍िधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयार‍ियों में जुटी कांग्रेस, गुटबंदी से निपटने की चुनौती

कांग्रेस ने बद्रीनाथ की भांति केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में विजय पाने को अपना अगला लक्ष्य बनाया है। पार्टी के सामने भाजपा के गढ़ को भेदने की चुनौती तो है ही लेकिन इससे पहले गुटबंदी पर अंकुश लगाने के मोर्चे पर उसे परीक्षा देनी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने को बनाई गई प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्य स्वयं खींचतान का शिकार हैं।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Vinay Saxena Updated: Sat, 21 Sep 2024 09:34 AM (IST)
Hero Image
कांग्रेस ने बद्रीनाथ की तरह केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में विजय पाने को बनाया अपना अगला लक्ष्य।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख भले ही अभी तय नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस ने जोर-शोर से तैयारी प्रारंभ कर दी है। पार्टी के सामने भाजपा के गढ़ को भेदने की चुनौती तो है ही, लेकिन इससे पहले गुटबंदी पर अंकुश लगाने के मोर्चे पर उसे परीक्षा देनी है।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने को बनाई गई प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्य स्वयं खींचतान का शिकार हैं। प्रदेश संगठन के आह्वान पर निकाली गई केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा के दूसरे चरण में वरिष्ठ नेताओं ने सीमित भागीदारी की। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व स्थानीय विधायक मनोज रावत ने दूसरे चरण की यात्रा में सम्मिलित होना आवश्यक नहीं समझा। उन्होंने गांवों में जनसंपर्क किया।

कांग्रेस ने बद्रीनाथ की तरह केदारनाथ में जीत बनाया लक्ष्‍य

कांग्रेस ने बद्रीनाथ की भांति केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में विजय पाने को अपना अगला लक्ष्य बनाया है। भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से यह सीट रिक्त हुई है। केदारनाथ उपचुनाव को पार्टी अधिक प्राथमिकता दे रही है तो उसका कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। बाबा केदारनाथ पर मोदी की अगाध श्रद्धा है। मोदी के बाबा केदारनाथ के प्रति प्रेम और हिंदू जनमानस पर इसके प्रभाव को देखते हुए ही भाजपा इस उपचुनाव पर पूरी शक्ति झोंक रही है। प्रदेश सरकार के पांच कैबिनेट मंत्रियों को उपचुनाव की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा के इस दांव से कांग्रेस और अधिक सतर्क हो गई है।

मुख्य विपक्षी दल पूरा प्रयास कर रहा है कि उपचुनाव को लेकर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में पक्ष में वातावरण तैयार किया जाए। साथ ही प्रदेश सरकार के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी को अधिक से अधिक उभारा जाए। बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में यही रणनीति अपनाई गई और पार्टी लक्ष्य पाने में सफल रही। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने में कथित गड़बड़ी को मुद्दा बनाकर केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा निकाली गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के आह्वान पर गत माह अगस्त में यात्रा के पहले चरण में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत अधिकतर दिग्गज नेता सम्मिलित हुए थे। बाद में अतिवृष्टि से केदारघाटी क्षेत्र में भूस्खलन के कारण यात्रा को रोक दिया गया था।

प्रदेश कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा का दूसरा चरण 13 सितंबर से प्रारंभ हुआ। दूसरे चरण की यात्रा में प्रदेश सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा ने भागीदारी की, लेकिन वरिष्ठ नेता इससे दूरी बनाए रहे। गणेश गोदियाल एवं क्षेत्र के पूर्व विधायक मनोज रावत ने यात्रा के स्थान पर क्षेत्रवासियों से भेंट और जनसंपर्क को अधिक महत्व दिया। इसे लेकर दोनों पक्षों में एकदूसरे के प्रति नाराजगी रही। यद्यपि, यात्रा का दूसरा चरण प्रारंभ होने से मात्र तीन दिन पहले करन माहरा की अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक में सभी दिग्गज नेताओं ने एकजुट होकर पार्टी की नैया पार लगाने का संकल्प लिया था।

यात्रा को लेकर खींचतान के पीछे क्‍या है वजह? 

पार्टी सूत्रों की मानें तो यात्रा को लेकर खींचतान के पीछे केदारनाथ उपचुनाव में प्रत्याशी का मुद्दा है। प्रदेश अध्यक्ष माहरा उपचुनाव में ऐसा प्रत्याशी चाहते हैं, जिसके जीतने की प्रबल संभावनाएं हों। माहरा मानते हैं कि पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत का क्षेत्र में अच्छा-खास प्रभाव है। समन्वय समिति की बैठक में भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रत्याशी के मुद्दे को उठाया था। तब उनके निशाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ही थे। यद्यपि, माहरा यह भी कह चुके हैं कि प्रत्याशी पर सर्वसम्मति समन्वय समिति की बैठक में ही तय होनी है।

यह भी पढ़ें: जम्‍मू-कश्‍मीर में CM धामी ने की जनसभा, बोले- PM मोदी के रहते विपक्ष का देशविरोधी षड्यंत्र नहीं होगा सफल