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65 विधानसभा क्षेत्रों में हार के कारण तलाशेगी कांग्रेस

प्रदेश में पांच संसदीय सीटों पर हार के कारणों पर चर्चा के लिए पार्टी ने 18 जून को प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में बैठक बुलाई है।

By Edited By: Updated: Sun, 09 Jun 2019 12:13 PM (IST)
65 विधानसभा क्षेत्रों में हार के कारण तलाशेगी कांग्रेस
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उत्तराखंड में कांग्रेस को इस कदर मायूस किया है कि पार्टी की आगे की चुनावी रणनीतिक योजना भी गड़बड़ा गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव के अगले लक्ष्य की राह में सबसे बड़ी बाधा 70 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का बुरा प्रदर्शन बन गया है। सिर्फ पांच विधानसभा क्षेत्रों में ही बामुश्किल पार्टी की लाज बची है। पार्टी के कुल 11 विधायकों में से सिर्फ चार ही अपने क्षेत्रों में पार्टी को मामूली बढ़त दिला पाए। ऐसे में 18 जून को पांचों संसदीय सीटों के प्रत्याशियों की मौजूदगी में होने वाली समीक्षा बैठक में विधायकों के साथ ही विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस प्रत्याशियों को जवाब देना कठिन हो सकता है। इस हालात को देखते हुए माना जा रहा कि बैठक में हार के कारणों पर आत्म मंथन के साथ पार्टी के तमाम दिग्गज नेता बचाव की मुद्रा में ही दिखाई देंगे। 

प्रदेश में पांच संसदीय सीटों पर हार के कारणों पर चर्चा के लिए पार्टी ने 18 जून को प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में बैठक बुलाई है। बैठक की नई तारीख सभी संसदीय सीटों के प्रत्याशियों की उपलब्धता के आधार पर ही तय की गई है। इससे पहले बैठक आयोजित करने में प्रत्याशियों की व्यस्तता आड़े आ रही थी। बैठक में हार के कारणों के साथ आगे आने वाले समय की चुनौतियों पर भी चर्चा तय मानी जा रही है। उत्तराखंड में कांग्रेस आने वाले समय में अपनी साख बचा पाएगी या नहीं, ये गंभीर सवाल अब पार्टी के सामने खड़ा है।

कांग्रेस की पकड़ हुई ढीली

दरअसल वर्ष 2014 के बाद 2019 में हुए आम चुनाव का मत प्रतिशत कांग्रेस के माथे पर बल डाल रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 34 फीसद मत मिले थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मत घटकर 31.4 फीसद रह गए हैं। पांच संसदीय सीटों के कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में महज पांच विधानसभा क्षेत्रों में ही पार्टी ने भाजपा पर बढ़त ली। इनमें चार विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार और एक विधानसभा क्षेत्र टिहरी सीट के अंतर्गत है। 

बूथ मजबूत बनाने पर भी चर्चा

आत्ममंथन के दौरान पार्टी के भीतर सबसे ज्यादा मुश्किलें मौजूदा विधायकों के साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को आने वाली हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस प्रदर्शन को पार्टी ने आधार बनाया तो कई नेताओं की परेशानी में इजाफा हो सकता है। ऐसे में पार्टी नेता बचाव की मुद्रा में दिखें तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि बैठक में हार के कारणों के साथ भविष्य में बूथों तक पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति पर भी मंथन होगा।  

बैठक में ये रहेंगे मौजूद

कांग्रेस के पांचों संसदीय सीटों के टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा के प्रत्याशी, 11 विधायक, विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रत्याशी और 26 जिला-शहर अध्यक्ष।

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