जन सुनवाई में बोले उपभोक्ता- बिजली कर्मियों को छूट, उपभोक्ताओं से लूट!
देहरादून में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की ओर से जन सुनवाई आयोजित की गई। इसमें उपभोक्ताओं ने कहा कि बिजली के बिल में बिजली कर्मियों को छूट और उपभोक्ताओं से लूट हो रही है। बात दें इस माह के अंत तक आयोग टैरिफ पर अंतिम फैसला लेगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 03 Mar 2022 09:20 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में बिजली दरों में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए उपभोक्ताओं ने ऊर्जा निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए। बिजली कार्मिकों को दी जा रही रियायत और उपभोक्ताओं के ऊपर बिजली दरें बढ़ाकर डाले जा रहे भार पर तीखी आपत्ति जताई गई। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की ओर से आयोजित जन सुनवाई में शहर के उपभोक्ताओं ने अपने-अपने तर्क देकर दरें न बढ़ाने की अपील की। वहीं, ऊर्जा निगम की ओर से दलील देते हुए टैरिफ वृद्धि के प्रस्ताव की जानकारी दी गई। अब आगामी आठ मार्च को कोटद्वार में जन सुनवाई के बाद इस माह के अंत तक आयोग टैरिफ पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
बुधवार को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय में यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड), यूजेवीएनएल (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड), पिटकुल (उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड), एसएलडीसी (स्टेट लोड डिस्ट्रिब्यूशन कारपोरेशन) की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर जनता की राय ली गई। सुबह साढ़े 10 बजे से एक बजे तक उद्योग, अघरेलू श्रेणी के उपभोक्ता, दोपहर तीन से पांच बजे तक शेष सभी श्रेणी के उपभोक्ता अपने सुझाव लिए गए। आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला की अध्यक्षता में आयोजित जन सुनवाई में ऊर्जा निगम, यूजेवीएनएल व पिटकुल और एसएलडीसी की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दायर टैरिफ याचिकाओं पर उपभोक्ताओं से सुझाव मांगे। जन सुनवाई में डेढ़ दर्जन से अधिक व्यक्तियों ने अपने तर्क रखे। अधिकांश उद्यमियों व व्यक्तियों ने कोरोना महामारी से आय प्रभावित होने का हवाला देते हुए विद्युत दर न बढ़ाने की मांग की। इसके अलावा डिफाल्टर उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगवाने, समय से बिल भेजने और बिलिंग सिस्टम को डिजिटाइज किए जाने के भी सुझाव दिए। कंटीनीयस चार्ज को कम या नगण्य करने और फिक्स चार्ज में भी रियायत देने की मांग उठाई गई। इसके अलावा उपभोक्ताओं ने लाइन लास कम करने, बिजली चोरी रोकने और ऊर्जा निगमों के अतिरिक्त खर्च कम करने के भी सुझाव दिए। इस पर आयोग की ओर से सभी के सुझाव व मांग पर विचार किए जाने की बात कही गई। साथ ही ऊर्जा के तीनों निगमों को खामियां दूर कर राजस्व हानि कम करने के निर्देश दिए गए।
इन्होंने दिए सुझाव
पहली पाली में उद्योगपति पंकज गुप्ता, राजीव अग्रवाल, संजीव शर्मा, गुलशन खंडूरी, मनमोहन भारद्वाज आदि ने अपने-अपने तर्क रख प्रदेश में बिजली की दर न बढ़ाने की अपील की। जबकि, दूसरी पाली में सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट, राजेश चौधरी, एसके सिंह, एसपी नौटियाल, एसके गुप्ता, मानवेंद्र सिंह, एसके अग्रवाल, सत्यपाल आदि ने सुझाव व मांग रखी।ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक ने दिए तर्क
बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव ने अपने तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम लाइन लास और बिजली चोरी रोकने को गंभीरता से प्रयास कर रहा है। साथ ही अन्य खर्चों को भी कम किया जा रहा है। हालांकि, उपकरण समेत अन्य वस्तुएं महंगी होने और विद्युत गृहों में रख-रखाव का खर्च बढ़ने के कारण निगम पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। साथ ही बिजली की किल्लत के समय राष्ट्रीय एक्सचेंज से कई गुना अधिक दाम पर बिजली खरीदने से भी आर्थिक भार बढ़ रहा है।
ऊर्जा निगम ने दिया है 4.5 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्तावयूपीसीएल की ओर से नए वित्तीय वर्ष से बिजली की दरों में 4.5 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया है। जबकि, यूजेवीएनएल और पिटकुल की ओर से भी अपनी दरों में बढ़ोतरी का टैरिफ दिया गया है। कुल मिलाकर 10.5 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव आयोग के पास आया है। एक अप्रैल को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत कि साथ नई दरें लागू की जाएंगीं।
आठ को कोटद्वार में होगी जन सुनवाईआयोग के सदस्य तकनीकी एमके जैन ने बताया कि आगामी आठ मार्च को कोटद्वार में अंतिम जनसुनवाई आयोजित की जाएगी। सुबह 11 से एक बजे तक आडिटोरियम नगर निगम कोटद्वार में जन सुनवाई होगी। जन सुनवाई में कोई भी व्यक्ति या संस्था अपना मत आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। इसके बाद विद्युत सलाहकार समिति की बैठक में सभी जनसुनवाई का निष्कर्ष निकाला जाएगा। मार्च के अंत तक टैरिफ पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।
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