डग्गामार बसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, सचिव मैदान में उतरे तो हरकत में आया परिवहन विभाग
परिवहन प्रवर्तन टीमों ने डग्गामार बसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की। दून व हरिद्वार में कराई चेकिंग के महज दो घंटे के भीतर नौ डग्गामार डीलक्स व स्लीपर बसों को सीज किया गया। यह बसें दिल्ली और आगरा समेत जयपुर अलीगढ़ लखनऊ व कानपुर आदि के लिए चल रहीं थी।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 05 Sep 2021 08:06 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में परिवहन विभाग के टैक्स को चपत लगाकर दौड़ रहीं बसों पर कार्रवाई के लिए परिवहन सचिव डा. रणजीत सिन्हा खुद आइएसबीटी पहुंचे तो परिवहन विभाग भी हरकत में आ गया। सचिव की नाराजगी के बाद शनिवार को परिवहन प्रवर्तन टीमों ने डग्गामार बसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की। शाम को दून व हरिद्वार में कराई चेकिंग के महज दो घंटे के भीतर नौ डग्गामार डीलक्स व स्लीपर बसों को सीज किया गया। यह बसें दिल्ली और आगरा समेत जयपुर, अलीगढ़, लखनऊ व कानपुर आदि के लिए चल रहीं थी।
बाहरी राज्यों की रोडवेज और निजी बसें उत्तराखंड को टैक्स में सालाना करोड़ों रुपये की चपत लगा रहीं। इस मामले में परिवहन सचिव ने शुक्रवार को देहरादून आइएसबीटी का निरीक्षण किया था और आइएसबीटी के आसपास से डग्गामार बसों के संचालन पर नाराजगी जताई थी। उनकी चेतावनी के बाद शनिवार को आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी ने दून, हरिद्वार, ऋषिकेश व रुड़की एआरटीओ को डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई का आदेश दिया।
इसी क्रम में टीमों ने ताबड़तोड़ कदम उठाकर दून, हरिद्वार व ऋषिकेश में ऐसी नौ बसों को सीज कर दिया। इन बसों में नियम विरुद्ध आनलाइन टिकट बुकिंग भी की जा रही थी। यात्रियों से मनमाना किराया लिया हुआ था। परिवहन टीमों ने जब यात्रियों को उतारा तो उन्होंने हंगामा भी किया। हालांकि बाद में रोडवेज बसें मंगाई गईं और यात्रियों को रवाना किया गया। परिवहन विभाग के साथ रोडवेज की टीम भी चेकिंग में साथ रही।
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डग्गामार डीलक्स बसें सिर्फ अवैध रूप से यात्री ही नहीं बैठा रहीं, बल्कि परिवहन नियमों की धज्जियां भी उड़ा रहीं। परिवहन टीम के मुताबिक ज्यादातर बसों के चेसिस नियम विरुद्ध अधिक हैं और इनमें सीटें भी ज्यादा लगाई गई हैं। यही नहीं कुछ बसों में परमिट व बीमे के कागज भी नहीं मिले।
यह भी पढें- दून से दिल्ली और आगरा के लिए संचालित तीन डग्गामार बसें सीज, तीन दिन चला ये विशेष अभियान मुख्यालय के अधिकारी क्यों खामोश प्रदेश में टैक्स चोरी रोकने के लिए सचिव परिवहन खुद सड़क पर हैं लेकिन परिवहन मुख्यालय के अधिकारी इस पर नजरें घुमाए बैठे हैं। पूर्व में सचिव ने आदेश दिए थे कि मुख्यालय के अधिकारी प्रदेश के आरटीओ एवं एआरटीओ दफ्तरों समेत चेकपोस्टों का औचक निरीक्षण करेंगे, लेकिन पिछले एक साल में एक भी अधिकारी ने निरीक्षण नहीं किया। मौजूदा समय में परिवहन कार्यालयों पर 295 करोड़ रुपये टैक्स बकाया है मगर इसकी वसूली को लेकर भी मुख्यालय की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। यही नहीं, सड़क सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी को लेकर भी मुख्यालय उदासीन बना हुआ।
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