कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के बेबाक बोल से कांग्रेस हमलावर, भाजपा असहज
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के नारायण दत्त तिवारी सरकार को गिराने की तैयारी को लेकर किए गए खुलासे से जहां कांग्रेस हमलावर हो गई, वहीं भाजपा असहज है।
By Edited By: Updated: Wed, 05 Dec 2018 12:07 PM (IST)
देहरादून, [विकास धूलिया]: अपने बयानों को लेकर अकसर सुर्खियां बटोरते रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने विधानसभा सत्र के पहले दिन नारायण दत्त तिवारी सरकार को गिराने की तैयारी को लेकर जो खुलासा किया, उसने सत्तारूढ़ भाजपा को असहज स्थिति में ला दिया। राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के खिलाफ विद्रोह के कगार पर पहुंचने संबंधी हरक का यह बयान भाजपा से न निगलते बन रहा है और न उगलते। वहीं, कांग्रेस हमलावर हो गई।
दरअसल, वर्ष 2016 में जब कांग्रेस दो फाड़ हुई, उस वक्त भी हरक सिंह रावत ही सूत्रधार की भूमिका में थे। तब तत्कालीन हरीश रावत सरकार संकट में घिरी तो कांग्रेस के टूटे गुट को भाजपा का ही आसरा मिला।उत्तराखंड ने हाल ही में अपनी स्थापना के अठारह वर्ष पूर्ण किए हैं। देश के 27 वें राज्य के रूप में जन्मे उत्तराखंड के साथ शुरुआत से ही यह विडंबना जुड़ी रही है कि यहां सरकार चाहे भाजपा की रही या कांग्रेस की, राजनैतिक अस्थिरता का उससे चोली-दामन सरीखा साथ रहा।
यही वजह रही कि राज्य की पहली अंतरिम सरकार के सवा साल के कार्यकाल में दो मुख्यमंत्रियों ने सत्ता संभाली तो उसके बाद के तीन चुनावों में छह बार पांच नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
इस दौरान केवल नारायण दत्त तिवारी का वर्ष 2002 से 2007 तक का कार्यकाल ही ऐसा रहा, जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने पांच साल पूरे किए। हालांकि, तिवारी पांच साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जरूर रहे, लेकिन इस दौरान उन्हें भारी अंतर्कलह से गुजरना पड़ा।
तब मुख्यतया तिवारी को हरीश रावत खेमे के विरोध से दो-चार होना पड़ा था। यहां तक कि अंतर्कलह को थामने को तब मंत्री पद के समकक्ष पदों को सरकार को इफरात में बांटना पड़ा। तिवारी और हरीश रावत के बीच छत्तीस का आंकड़ा तो जगजाहिर है, लेकिन विधानसभा में भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि उन्होंने जैनी कांड के बाद नाराज होकर तिवारी सरकार के तख्ता पलट की पूरी तैयारी कर ली थी। अलबत्ता, यह सवाल अनुत्तरित रहा कि तब उन्हें हरीश रावत खेमे का साथ मिला था या नहीं।
गौरतलब है कि हरक सिंह रावत तब कांग्रेस में थे और स्वयं पर लगे आरोपों के बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उन्होंने सदन में यह तक कह दिया कि इस संबंध में उनकी भाजपा के प्रदेश और केंद्रीय नेताओं से भी बात हो गई थी। हालांकि तिवारी के समझाने के बाद उन्होंने तब सरकार गिराने का इरादा छोड़ दिया। हरक की इस स्वीकारोक्ति से भाजपा असहज नजर आई। दरअसल, वर्ष 2016 में जब पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत कांग्रेस के दस विधायकों ने पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थामा था, उस वक्त भाजपा पर ही तत्कालीन हरीश रावत सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा था। उस वक्त भी डॉ. हरक सिंह रावत को ही इस पूरे सियासी घटनाक्रम का सूत्रधार माना गया।
असहज वाली कोई बात नहीं शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के वक्तव्य को लोकतंत्र में व्यक्ति को कितनी मजबूती के साथ खड़ा रहना चाहिए, इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने अपनी बात कही। इसे लेकर असहज होने वाली जैसी कोई बात नहीं है।
भाजपा को लोकतंत्र में नहीं विश्वास प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अनुसार आज खुद कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि 2003 में वह एनडी तिवारी सरकार को गिराना चाहते थे। 2016 में भाजपा ने क्या किया, सब जानते हैं। भाजपा का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। डॉ.रावत का बयान मौजूदा मुख्यमंत्री के लिए भी इशारा है कि यदि महत्व नहीं दिया तो सरकार गिरा देंगे।
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