उत्तराखंड में अब सहकारी समितियां बेचेंगी ऑनलाइन उत्पाद, पढ़िए पूरी खबर
राज्यभर में बहुद्देश्यीय सहकारी समितियां अगले साल मार्च से उत्पादों की बिक्री ऑनलाइन करने लगेंगी।
By Edited By: Updated: Thu, 31 Oct 2019 02:52 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। वक्त के साथ चलने में ही समझदारी है। यह बात अब सहकारिता महकमे की समझ में आ गई है। इसके परिणामस्वरूप राज्यभर में बहुद्देश्यीय सहकारी समितियां अगले साल मार्च से उत्पादों की बिक्री ऑनलाइन करने लगेंगी। इस कड़ी में सभी 670 समितियों के डिजिटाइजेशन की मुहिम चल रही है। उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री को सिस्टम बनाया जा रहा है, जो आगामी मार्च से अस्तित्व में आ जाएगा। इससे जहां समितियों को अपने उत्पादों के बेहतर दाम मिलेंगे, वहीं राज्य के उत्पाद देश-दुनिया में आसानी से पहुंचेंगे। विभाग ने ऐसे करीब 250 उत्पादों की सूची भी तैयार की है।
प्रदेश में सहकारिता का सशक्त ढांचा है, लेकिन सिस्टम की अनदेखी और खामियों को नजरअंदाज करने के कारण ये खास छाप नहीं छोड़ पाई। नतीजतन, सहकारिता की रीढ़ कही जाने वाली 759 बहुद्देश्यीय सहकारी समितियों में से बड़ी संख्या में घाटे में चल रही हैं। इसे देखते हुए मौजूदा सरकार ने सहकारी समितियों को सशक्त बनाने की ओर फोकस किया। साथ ही समय के अनुरूप इनके आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया। सरकार ने तय किया है कि अब राज्य की सभी 670 न्याय पंचायतों में एक-एक बहुद्देश्यीय सहकारी समिति रहेगी। शेष का आसपास की समितियों में मर्जर किया जाएगा।
इसके अलावा 670 समितियों के डिजिटाइजेशन की मुहिम इन दिनों तेज की गई है। अब समितियों की आय में बढ़ोतरी के मद्देनजर इन्हें ऑनलाइन कारोबार में उतारने की तैयारी है। अपर सचिव सहकारिता बीएम मिश्र के मुताबिक बहुद्देश्यीय सहकारी समितियों को ऑनलाइन करने को खाका खींच लिया गया है। जल्द ही सभी समितियों में यह सिस्टम काम करने लगेगा और अगले साल मार्च से सहकारी समितियां अपने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए उत्पादों की सूची भी तैयार कर ली गई है।
मिश्र ने हाल में दिल्ली में हुए इंटरनेशनल सहकारिता मेला समेत अन्य मेलों का जिक्र करते हुए कहा कि देश-दुनिया में उत्तराखंड के जैविक उत्पादों की अच्छी मांग है। बहुद्देश्यीय समितियों के जरिये ऑनलाइन बिक्री से यहां के उत्पाद देश-दुनिया में आसानी से पहुंच सकेंगे। इससे उत्पादों के दाम भी बेहतर मिलेंगे। साथ ही समितियां भी आर्थिक रूप से सशक्त होंगी। इसके अलावा जिन किसानों से समितियां उत्पाद खरीदेंगी उन्हें भी अच्छे दाम मिलेंगे।
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